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Friday, May 16, 2025

त्रैमासिक बहुभाषी अंतरराष्ट्रीय पत्रिका, वातायनम् का लंदन मे लोकार्पण

लंदन/नई दिल्ली 18 अप्रैल, वातायन-यूरोप पिछले बाईस वर्षों से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारतीय भाषाओं, साहित्य और संस्कृति का प्रचार-प्रसार कर रही है। इसी दिशा में वातायन द्वारा प्रकाशित त्रैमासिक बहुभाषी अंतरराष्ट्रीय पत्रिका, वातायनम्, का लोकार्पण लंदन में एक भव्य समारोह में आयोजित किया गया, जिसकी मुख्य अतिथि थीं, वातायन की नई संरक्षक माननीय बैरोनेस उषा पराशर, सी.बी.ई., प्रतिष्ठित ब्रिटिश राजनीतिज्ञ और हाउस ऑफ लॉर्ड्स की क्रॉसबेंच सदस्य। स्वर्गीय बैरोनेस श्रीला फ्लैदर 2004 से 2024 के दौरान वातायन की संरक्षक रहीं, जिनका अवदान विशेष और अशेष रहा।
इस कार्यक्रम की विशिष्ट अतिथि थीं, अनुराधा पांडे, भारतीय उच्चायोग-लंदन की हिंदी एवं संस्कृति संबंधी अधिकारी, जिन्होंने हाल ही में कार्यभार सँभाला है। इस अवसर पर स्थानीय और अंतरराष्ट्रीय साहित्यकार, शिक्षाविद और अन्य प्रतिष्ठित व्यक्तित्व उपस्थित थे। ऑक्सफ़ोर्ड बिज़नेस कॉलेज के निदेशक और प्रतिष्ठित लेखक डॉ पद्मेश गुप्त ने अतिथियों का परिचय कराया और पत्रिका की संकल्पना करने वाली वातायन की संस्थापक और लेखिका दिव्या माथुर ने पुष्प-गुच्छ भेंट कर अतिथियों का स्वागत किया। डॉ गुप्त ने कहा कि इस पत्रिका का उद्देश्य प्रवासी भारतीय लेखकों के लिए एक कसौटी बनना है। तत्पश्चात, बैरोनेस उषा पराशर जी के हाथों पत्रिका का लोकार्पण किया गया, जिसका प्रवेशांक स्वर्गीय प्रो कमल किशोर गोयनका जी को समर्पित है। वे प्रसिद्ध लेखक, प्रेमचंद के अध्येता और प्रवासी साहित्य को वैश्विक स्तर पर बढ़ावा देने वाले अग्रणी हस्ती थे।

कार्यक्रम का संचालन पुरस्कृत लेखिका एवं अनुवादक ऋचा जैन ने किया। कार्यक्रम की औपचारिक शुरुआत वातायन के लक्ष्य-गीत की प्रस्तुति से हुई, जिसे सुप्रसिद्ध कवयित्री प्रो. मधु चतुर्वेदी ने लिखा, संगीत दिया प्रसिद्ध संगीतज्ञ डॉ शिवदर्शन दुबे, सुंदर प्रस्तुति है शिव दर्शन दुबे और प्रियंका शर्मा की।
बैरोनेस पराशर ने पत्रिका का औपचारिक लोकार्पण करते हुए बताया कि कैसे उन्होंने किशोरावस्था में यूके में रहते हुए हिंदी सीखी और कैसे तभी से यह उनके दिल की भाषा बन गई है। अनुराधा पांडे ने उच्चायोग में अपने नए दायित्व के बारे में बात की और बताया कि प्रवासी लेखकों से मिलकर भारतीय संस्कृति और भाषाओं को बढ़ावा देने के लिए वे बहुत उत्साहित हैं।

‘विश्वरंग अंतरराष्ट्रीय हिंदी ओलंपियाड 2025’ के पोस्टर को प्रस्तुत करते हुए संतोष चौबे, चांसलर, रवींद्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय भोपाल एवं विश्वरंग के संस्थापक ने कहा कि हिंदी ओलंपियाड में 50 से अधिक देश भाग लेंगे, इस विराट आयोजन को वैश्विक स्तर पर मान्यता मिल चुकी है और मिल रही है।
लंदन और कैंब्रिज विश्वविद्यालयों की पूर्व प्रोफ़ेसर फ्रांसेस्का ओरसिनी ने अपने अध्यक्षीय वक्तव्य में बहुत से सुझाव देते हुए कहा कि पत्रिका में यूके में बसे अप्रवासी भारतीयों के जीवन, संघर्षों, उनकी रोज़मर्रा की व्यावहारिकता और अन्य समुदायों के साथ उनके संवाद को स्थान दिया जाना चाहिए।

वातायनम् की संपादकीय टीम के सदस्य अर्पणा संत सिंह और अजेय जुगरान ने पत्रिका को लेकर अपने  विचार साझा किए। तकनीकी टीम की ओर से अंतरिपा ठाकुर मुखर्जी ने वेबमास्टर शिवी श्रीवास्तव का उल्लेख करते हुए बताया कि किस तरह उन्होंने मिलकर इस सुंदर पत्रिका के निर्माण में अथक परिश्रम किया। संपादक मंडल के सदस्यों – प्रो रेखा सेठी, प्रो राजेश कुमार और डॉ वंदना मुकेश की कमी खली।
अंत में ऑनलाइन और ज़मीनी रूप से जुड़े कई प्रतिष्ठित लेखकों से संक्षिप्त टिप्पणियाँ भी आमंत्रित की गईं। इनमें वरिष्ठ पत्रकार-लेखिका नासिरा शर्मा (जिनका दास्तानगोई पर विशेष लेख वातायनम् के इस अंक में प्रकाशित हुआ है), प्रसिद्ध कवि-चित्रकार लीलाधर मंडलोई (जिनकी चित्रकृति वातायनम् के मुखपृष्ठ पर है), प्रो तातियाना ओरांस्किया, पत्रकार एवं इतिहासकार डॉ विजय राणा, वैश्विक हिंदी परिवार के अध्यक्ष और लेखक डॉ अनिल शर्मा ‘जोशी’, डॉ यूरी बोत्वकींन, डॉ दिविक रमेश और डॉ जवाहर कर्णावत शामिल रहे।

इस अवसर पर कुछ विशेष वीडियो संदेश भी प्रसारित किए गए, जिनमें प्रसिद्ध लेखका डॉ. सूर्यबाला, साहित्य अकादमी के सचित, डॉ केएस राव, डॉ सच्चिदानंद जोशी (IGNCA), प्रो तोमियो मिजोकामी और प्रो. ल्यूदमिला खोखोलोवा के संदेश शामिल हैं।

कार्यक्रम का समापन लेखिका और प्रस्तोता आस्था देव द्वारा धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ। लेखक आशीष मिश्रा और ऑक्सफ़ोर्ड कॉलेज के आरुष साखूजी ने तकनीकी सहायता प्रदान की।

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