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Saturday, November 9, 2024

”स्कूल्स ऑफ़ टुमॉरो कॉन्क्लेव 2024” मे सौ स्कूलों के प्रतिनिधियों ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति पर की चर्चा

  • एक्स्ट्रामार्क्स एजुकेशन ने देहरादून में आयोजित किया “स्कूल्स ऑफ़ टुमॉरो कॉन्क्लेव 2024”

देहरादून, 26 अगस्त,  एक्स्ट्रामार्क्स एजुकेशन ने देहरादून में “स्कूल्स ऑफ़ टुमॉरो” कॉन्क्लेव का आयोजन किया, जिसमें 100 स्कूल के प्रतिनिधियों ने शिक्षा के भविष्य पर चर्चा की। इस कार्यक्रम में एक विशिष्ट पैनल शामिल था जिसने राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) और तकनीक की भूमिका पर विचार-विमर्श किया और यह बताया कि भविष्य के लिए स्कूलों को कैसे तैयार किया जाए।

कॉन्क्लेव के मुख्य वक्ता, दून स्कूल के हेडमास्टर, डॉ जगप्रीत सिंह ने विरासत में मिले स्कूलों में तकनीक के एकीकरण के महत्व को उजागर किया। पारंपरिक संस्थानों के सफल आधुनिकीकरण के अपने अनुभव से सीख देते हुए उन्होंने कहा, “भारत अग्रणी नीतियों के साथ वैश्विक शिक्षा का नेतृत्व कर रहा है। तकनीक को दून स्कूल जैसे समृद्ध इतिहास वाले स्कूलों में एकीकृत करना आवश्यक है ताकि शैक्षिक उत्कृष्टता को बनाए रखते हुए आधुनिक आवश्यकताओं के अनुरूप ढाला जा सके। इससे हमें शिक्षकों को समर्थन देने और छात्रों और नेताओं दोनों के लिए निरंतर सीखने को प्रोत्साहित करने में मदद मिलती है।”

कॉन्क्लेव के पैनल मे शामिल सदस्यों द्वारा कुछ प्रमुख बातें रखी गई हैं जैसे वाइस चेयरमैन, तुला इंटरनेशनल स्कूल रौनक जैन ने कहा भविष्य की शिक्षा के लिए नवाचारी समाधान पर बात की, डिप्टी हेडमास्टर, दून स्कूल कमल आहूजा ने नेतृत्व को बढ़ावा देने के लिए पाठ्यक्रम डिजाइन पर चर्चा की। निदेशक, दून इंटरनेशनल स्कूल एचएस मान ने व्यक्तिगत शिक्षा और शिक्षक की दक्षता में एडटेक की भूमिका को उजागर किया। उधर दिव्या द्विवेदी, प्रिंसिपल, नियोटेरिक वर्ल्ड स्कूल: डिजिटल लर्निंग इकोसिस्टम के पूर्ण अपनाने की वकालत की। प्रिंसिपल, श्री राम सेंटेनियल स्कूल डॉ अरविंदनाभ शुक्ला ने विभिन्न विषयों में एकीकृत शिक्षा पर विचार-विमर्श किया ओर डीन एकेडमिक्स, दून स्कूल अंजन कुमार चौधरी ने संचार और समृद्ध सीखने के माहौल के महत्व पर जोर दिया।

एक्स्ट्रामार्क्स एजुकेशन की चीफ बिजनेस ऑफिसर, पूनम सिंह जमवाल ने व्यक्तिगत शिक्षा और शिक्षकों को तकनीक के माध्यम से सशक्त बनाने की आवश्यकता पर बल दिया, ताकि वे अवधारणात्मक समझ और समस्या-समाधान पर ध्यान केंद्रित कर सकें। कॉनक्लेव मे इस बात पर जोर दिया गया कि आधुनिक दुनिया की मांगों को पूरा करने के लिए शिक्षा को कैसे अनुकूलित किया जा सकता है, जिसमें व्यक्तिगत शिक्षा, तकनीक और शिक्षकों और छात्रों दोनों के लिए निरंतर विकास पर विशेष ध्यान दिया गया।

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