34.2 C
Dehradun
Saturday, May 18, 2024

दून विश्वविद्यालय में अंग्रेजी विभाग के “लेखक से मिलें” कार्यक्रम में पहुंचे कवि-लेखक अजेय जुगरान

देहरादून 24 अप्रैल, दून विश्वविद्यालय, देहरादून की अंग्रेजी विभाग की साहित्यिक सोसायटी ऐलिसियन ने 23 अप्रैल, 2024 को अपने छठे “लेखक से मिलें” कार्यक्रम की मेजबानी की। इस कार्यक्रम में छात्रों ने पेशे से वकील और दिल से कवि-लेखक अजेय जुगरान से बातचीत की। उन्होंने बताया कि वे कहानी और कविता कहने की कला में गहरी रुचि रखते हैं और उनकी कुछ कहानियाँ और कविताएँ यूट्यूब पर भी उपलब्ध हैं। बतौर वकील उन्होंने तीस से अधिक देशों की यात्रा कर वहाँ की कंपनियों को भारत में निवेश संबंधी सलाह दी है। वे सुदूर पहाड़ी क्षेत्रों में स्वास्थ्य और शिक्षा से संबंधित हिम जागृति एनजीओ का नेतृत्व भी कर रहे हैं।

डॉ चेतना पोखरियाल, डॉ ऋचा जोशी पांडे, डॉ गज़ाला खान और डॉ अदिति बिष्ट के साथ-साथ यूनिवर्सिटी के कुछ पीएचडी विद्वान भी इस कार्यक्रम में उपस्थित थे और वे लेखक द्वारा लिखी गई चर्चित पुस्तक “द ब्रिज ऑन द रिवर सॉन्ग एंड अदर शॉर्ट स्टोरीज़ फ्रॉम गढ़वाल” पर सक्रिय चर्चा में शामिल हुए। इस कार्यक्रम की मेजबानी खुशी यादव ने की, जबकि वत्सल नैथानी और नयोनिका चक्रवर्ती कार्यक्रम मॉडरेटर थे।

सत्र का संचालन वत्सल और नयोनिका ने अजेय जुगरान और उनके 1970-80 के दशक के स्कूल के शिक्षकों का परिचय देकर किया, जिन्होंने अपनी दयालु और विनम्र उपस्थिति से कार्यक्रम की शोभा बढ़ाई। यह सत्र “द ब्रिज ऑन द रिवर सॉन्ग एंड अदर शॉर्ट स्टोरीज़ फ्रॉम गढ़वाल” पुस्तक पर एक गहन चर्चा थी। यह पुस्तक गढ़वाल की कहानियों, अनुभवों और यादों को संजोने का लेखक के अत्यधिक रुचिकर प्रयास का परिणाम है। उन्होंने छात्रों के साथ साझा किया कि कैसे “मैंने कहानियों को प्रथम वाक्य या पद्य के आगे उजागर नहीं किया बल्कि कहानियाँ मुझे माध्यम बना के उजागर हुईं।” यह पूछे जाने पर कि किसने उन्हें कहानियों का संग्रह लिखने के लिए प्रेरित किया, जुगरान ने बताया कि प्रेमचंद, मंटो, काफ़्का, रस्कीन बॉण्ड जैसे लेखकों के साथ साथ उनकी माँ की पारिवारिक कहानियाँ उनकी प्रेरणा हैं और स्पष्ट किया कि उन्होंने तो केवल “जीवन अनुभव और अवलोकन से कहानियों की शुरुआत की लेकिन फिर वे उनकी कलम के माध्यम से स्वतः प्रवाहित होने लगीं।”

 

 

अजेय जुगरान ने बहुत ही स्पष्टता से बताया कि कैसे एक वकील के रूप में उन्हें “भावनाओं के बिना” लिखना पड़ता है। “मुझे घंटों बैठने और लिखने की आदत है लेकिन कानून के उद्देश्यों के लिए यह लिखना बहुत व्यावहारिक है। मैं लिखना चाहता था लेकिन भावनाओं के साथ”, उन्होंने कहा जब उनसे एक वकील और लेखक होने के अनुभव के बारे में पूछा गया। उन्होंने यह भी साझा किया कि कैसे उनकी कथा शैली को उनकी माँ ने अपनाया है जिनकी “कहानियों की शुरुआत अक्सर अत्यंत सरल किंतु अप्रत्याशित होती हैं”। लेखक ने अपनी कथा तकनीक के बारे में पूछे जाने पर अपने अंतिम वक्तव्य में कहा, “मेरी तकनीक हर दिन कुछ न कुछ कुछ समय लिखना है। कहानियों को आम या साधारण पृष्ठभूमि में विकसित होते देखने में मुझे विशेष आनंद आता है”।

सत्र को अजेय जुगरान के पूर्व स्कूल शिक्षकों सजवान, रामदेवी कक्कड़ और बीना जयाल ने भी प्रबुद्ध किया। पूर्व शिक्षक सजवान ने बताया कि कैसे अजेय “एक ऐसे छात्र थे जो इतिहास में विशेष रुचि रखते थे और हमेशा स्कूल मैगज़ीन और अख़बार में कहानियाँ लिखते थे।” यह सत्र लेखक अजेय के बचपन के किस्सों और उनके देहरादून और उसके आसपास के अनुभवों से भरा हुआ था।छात्रों के सभी प्रश्नों के संतोषजनक उत्तर मिल जाने के साथ सत्र समाप्त हुआ। धन्यवाद ज्ञापन संयम बिष्ट द्वारा दिया गया, उन्होंने कार्यक्रम के सम्मानित अतिथि लेखक अजेय जुगरान के प्रति आभार व्यक्त करने के साथ-साथ सभी श्रोताओं को उनकी उपस्थिति और भागीदारी लिए धन्यवाद दिया।

Related Articles

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Stay Connected

22,024FansLike
0FollowersFollow
0SubscribersSubscribe

Latest Articles

- Advertisement -spot_img
error: Content is protected !!