- एसटीएफ एवं साईबर क्राईम पुलिस स्टेशन उत्तराखण्ड द्वारा की गई संयुक्त कार्यवाही
- विदेश से डॉलर में पेमेंट,अवैध धन से प्रॉपर्टी में इन्वेस्टमेंट और करोड़ो रूपये के बैंक ट्रांसक्शन्स किया जाता था
- विदेशो में रह रहे लोगो को खासकर अमेरिकन सिटीजन्स को विभिन्न सेवा देने और कंप्यूटर में फ़र्ज़ी वायरस से सिस्टम को नुकसान से बचाने के नाम पर करते थे ठगी
- देहरादून में ए.डी. बिल्डर्स के नाम से आई. टी. पार्क के पास चल रहा था प्रॉपर्टी का आफिस
देहरादून 8 अप्रैल, भारत से संचालित नेटवर्क जो विदेशो में रह रहे लोगो को खासकर अमेरिकन सिटीजन्स को विभिन्न सेवा देने और कंप्यूटर में फ़र्ज़ी वायरस से सिस्टम को नुकसान से बचाने के नाम पर अंतरराष्ट्रीय साइबर अपराधों को अंजाम देने वाले मास्टरमाइंड को उत्तराखंड के देहरादून से किया गया अरेस्ट
विदेश से डॉलर में पेमेंट,अवैध धन से प्रॉपर्टी में इन्वेस्टमेंट और करोड़ो रूपये के बैंक ट्रांसक्शन्स का चला पता
स्पेशल टास्क फोर्स के पुलिस उपाधीक्षक जवाहर लाल के नेतृत्व में स्पेशल तकनीकी टीम द्वारा विगत 2 माह से गोपनीय रूप से किया जा रहा था सूचना संकलन
देहरादून में एडी बिल्डर्स के नाम से आई. टी. पार्क के पास चल रहा था प्रॉपर्टी का आफिस पूछताछ में अभियुक्त द्वारा किया खुलासा किया कि अमेरिका में रह रहे गिरोह के मास्टरमाइंड निपुण गंधोक की फ़ेडरल ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टीगेशन की अरेस्ट के बाद, देहरादून व अन्य स्थानों पर कॉल सेंटर्स को बंद करके स्वंम द्वारा वर्चुअल नंबर्स से साइबर अपराध को अंजाम दिया जा रहा था। निपुण भोपाल का रहने वाला है तथा टेक्सास (Texas) के एक कॉलेज में पढ़ता था।
पूरे रैकेट के भारत से संचालन और बैंक एकाउंट डिटेल्स,प्रोपेर्टी इन्वेस्टमेंट तथा महत्वपूर्ण सूचनाओ को इंटरनेशनल एजेंसीज व एनफोर्समेंट डायरेक्टरेट से किया जाएगा साझा।
अभियुक्त का साथी दिलीप कुमार थुपेला निवासी चंद्रबनी पहले से ही घटनास्थल पर नहीं था वह कहीं जा रखा था। वह मौके से फरार है। अभियुक्त के 4 बैंक खाते जिसमें एक खाते में 9.5 लाख दूसरे में 4.5 लाख तीसरे में 2.5 लाख रुपए हैं तथा एक अन्य खाते में लगभग विगत वर्ष में 3.50 करोड़ का ट्रांजैक्शन हुआ है। साथ में उसके द्वारा 52लाख का जमीन लेन-देन में निवेश देहरादून में तथा उसके द्वारा एक 20 लाख का फ्लैट लिया गया है ऐसा पता चला है। गोपनीय जांच के आधार पर अभियुक्त एवं उनके साथियों के अनुमानित 10 से 12 बैंक खाते हैं। दिल्ली में एक व्यक्ति को 15 लाख चेक से एवं 5 लाख कैश दिए| अभियुक्त द्वारा दिलीप की माता एवं बहन को करीब 18 लाख खाते में भेजे हैं| विवेचना से स्पष्ट हो पाएगा कि कितने कुल रुपए का मामला एवं ट्रांजैक्शन हुआ है। अभियुक्त से अन्य पूछताछ पर पता चला की मासिक लाखों का खर्चा अभियुक्त द्वारा किया जाता था।
इनका अपराध का तरीका बड़ा ही शातिराना है, अभियुक्त द्वारा एक वर्चुअल नम्बर द रियल पी.बी.एक्स। कम्पनी से अपने नम्बर पर लिया है जिसको Microsoft Support System के प्रतिनिधि के रूप में काम करने के लिये लिया था। अभियुक्त का एक साथी निपुन गन्धोक जो कि अमेरिका में रह रहा था उसके साथ मिलकर 2 वर्ष पूर्व विदेशी व्यक्तियों को माईक्रोसाफट कम्पनी से सम्बन्धित होना बताकर वर्चुअल नम्बर के माध्यम से सम्पर्क कर उनके कम्पयूटर से वायरस हटाने की बात कह कर धोखाधडी करता था। इस काम के लिये जो पैसा निपुन के पास आता था उसमें अभियुक्त का हिस्सा विदेश से भेजता था। उसी समय के आसपास अमेरिका की पुलिस ने निपुन को गिरफतार कर लिया था और उसके बाद अभियुक्त ने अपने अन्य साथियों के साथ मिलकर ये काम करना शुरू कर दिया था। ये लडके अभियुक्त को अमेरिकन विदेशी कस्टर के नम्बर भेजते थे जिनको अभियुक्त अपने लैपटाप में साफटवेयर के माध्यम से डील करता था और उनसे विभिन्न कम्पनियों जैसे एच.पी., डैल, कैनन, लैक्समार्क के टेकशीयन के नाम से सर्विस प्रोवाईडर के रूप में पैसे प्राप्त करता था। विदेशी कस्टमर का नम्बर उक्त अभियुक्त के साथी उपलब्ध कराते थे तथा उसका एक साथी जो कि कलकत्ता का रहने वाला था वो गेटवे के माध्यम से सम्बन्धित कस्टमर से धनराशि प्राप्त करता था। अभियुक्त एवं उक्त साथियों के मध्य समस्त लेन देन उनके बैंक खातो से अभियुक्त खाते के माध्यम से होता था जिसमें किसी एक कस्टमर से प्राप्त की गई धनराशि का कुछ प्रतिशत हिस्सा कोलकाता के साथी को जाता है व 1300 रूपये प्रति कस्टमर के काॅल प्रोवाईडर के रूप में उपरोक्त विभिन्न साथियों में से उस साथी को जाता है जिसने अभियुक्त को उस कस्टमर का काॅल फारवर्ड किया हो।
अभियुक्त व्यक्ति ऑनलाइन के माध्यम से अपने साथियों के साथ विदेशी नागरिकों को विभिन्न मल्टीनेशनल कम्पनियों का सर्विस प्रोवाईडर बनकर उनसे सर्विस के तौर पर धोखाधडी कर रूपये प्राप्त करता है जोकि धारा 420 भादवि. एवं धारा 66 डी, 75 आई.टी. एक्ट का अपराध है।
प्रभारी स्पेशल टास्क फोर्स द्वारा बताया गया कि एसटीएफ ने जनवरी में भी एक फर्जी कॉल सेंटर को पकड़ा था और लगातार एसटीएफ इस प्रकार के अंतरराष्ट्रीय फर्जी कॉल सेंटर्स पर कार्रवाई हेतु अग्रसारित है जनता से अपील की जाती है क्या आजकल साइबर अपराधी फर्जी कस्टमर केयर बंद करके लोगों का विश्वास जीतने का प्रयास करते हैं और उसके बाद उनके साथ ठगी करते हैं। किसी भी कस्टमर केयर का नंबर आप उसके अधिकृत या पंजीकृत वेबसाइट अथवा स्वयं उसके ऑफिस में जाकर उनका नंबर प्राप्त करें।
साईबर क्राईम पुलिस स्टेशन उत्तराखण्ड की संयुक्त कार्यवाही में गिरफ्तार एक अभियुक्त अर्जुन सिंह पुत्र नरेन्द्र सिंह निवासी भारापुर, भौरी, थाना बहादराबाद, जिला हरिद्वार, उम्र 28 साल तथा दूसरे फरार अभियुक्त दिलीप कुमार थुपेला निवासी चंद्रबनी की तलाश की जा रही है।
इनके पास से बरामद सामान एक लैपटॉप, 4 मोबाईल, एक जिओ डोंगल, तीन हेडफोन, तीन बैंक चेकबुक, एक प्रिंटर और चार पैन कार्ड और डेबिट कार्ड मिले हैं।