रैट माइनिंग क्या है?
यह माइनिंग का एक तरीका है जिसका इस्तेमाल करके संकरे क्षेत्रों से कोयला निकाला जाता है। ‘रैट-होल’ टर्म जमीन में खोदे गए संकरे गड्ढों को दर्शाता है। यह गड्ढा आमतौर पर सिर्फ एक व्यक्ति के उतरने और कोयला निकालने के लिए होता है। एक बार गड्ढे खुदने के बाद माइनर या खनिक कोयले की परतों तक पहुंचने के लिए रस्सियों या बांस की सीढ़ियों का उपयोग करते हैं। फिर कोयले को गैंती, फावड़े और टोकरियों जैसे आदिम उपकरणों का इस्तेमाल करके मैन्युअली निकाला जाता है।
दरअसल, मेघालय में जयंतिया पहाड़ियों के इलाके में बहुत सी गैरकानूनी कोयला खदाने हैं लेकिन पहाड़ियों पर होने के चलते और यहां मशीने ले जाने से बचने के चलते सीधे मजदूरों से काम लेना ज्यादा आसान पड़ता है। मजदूर लेटकर इन खदानों में घुसते हैं। चूंकि, मजदूर चूहों की तरह इन खदानों में घुसते हैं इसलिए इसे ‘रैट माइनिंग’ कहा जाता है। 2018 में जब मेघालय में खदान में 15 मजदूर फंस गए थे, तब भी इसी रैट माइनिंग का सहारा लिया गया था।
उत्तरकाशी की सिलक्यारा टनल में फंसे 41 मजदूरों को बचाने की जद्दोजहज रंग लाती दिख रही है। सोमवार शाम को जैसे ही मैनुअल ड्रिलिंग शुरू की गई, लगातार सकारात्मक खबरें मिल रही हैं। सेना के जवानों और रैट होल माइनिंग के एक्सपर्ट ने टनल के भीतर अब तक 52 मीटर का रास्ता तैयार कर दिया है। वर्टिकल ड्रिलिंग से भी 40 मीटर खुदाई हो चुकी है। उम्मीद की जा रही है कि रेस्क्यू ऑपरेशन के 17वें दिन बड़ी खुशखबरी यहां से मिल सकती है।
दरअसल 48 मीटर तक रास्ता तैयार करने के बाद ऑगर मशीन फंस गई थी, बुरी तरह टूट गई थी। इसके बाद सेना के जवानों और रैट माइनिंग एक्सपर्ट की मदद से टनल के भीतर बचे हुए हिस्से में मैनुअल तरीके से मलबा हटाने का काम सुरू हुआ। सोमवार शाम से ही मैनुअल ड्रलिंग ने अच्छी रफ्तार पकड़ी है। ड्रिलिंग करने के बाद बचे हुए हिस्से में ऑगर मशीन की मदद से 800 एमएम का पाइप भी डाला जा रहा है। मुख्यमंत्री पुष्कर धामी ने बताया कि अब तक 52 मीटर का रास्ता तैयार हो चुका है। यानि मैनुअल तरीके से 4 मीटर ड्रिलिंग हो चुकी है। सीएम धामी ने उम्मीद जताई है कि जल्द ही हमें ब्रेकथ्रू मिल जाएगा। अभी एक और पाइप डाला जाना बाकी है। इससे पहले मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने मंगलवार को सिलक्यारा टनल रेस्क्यू ऑपरेशन का जायजा लिया। उन्होंने टनल के प्रवेश द्वार पर स्थित बाबा बौखनाग के मंदिर में पूजा अर्चना कर सभी श्रमिकों के सकुशल बाहर निकलने की प्रार्थना की।
जैसे-जैसे टीम मजदूरों के नजदीक पहुंच रही है वैसे-वैसे सुरंग के बाहर हलचल भी बढ़ गई है। केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग राज्य मंत्री रिटायर्ड जनरल वीके सिंह भी सिलक्यारा पहुंचे हैं। वह मैन्युअल ड्रिलिंग का जायजा लेने के लिए सुरंग के अंदर गए हैं। अच्छी बात ये है कि जैसे जैसे खुदाई आगे बढ़ रही है, मेटल के टुकड़े मिलना कम हो गए हैं। इसलिए जल्द रेस्क्यू ऑपरेशन पूरा होने की उम्मीद है।
आज सुबह तक सुरंग के ऊपर से वर्टिकल ड्रिलिंग 40 मीटर तक हो गई है। वर्टिकल ड्रिलिंग अभी 46 मीटर और शेष है। कोई अड़चन नहीं आई तो रेस्क्यू ऑपरेशन आज पूरा हो सकता है।