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Tuesday, October 22, 2024

मनुष्य को प्रभु की भक्ति से मिलता है परमसुख, भक्ति अनुकूल संत से प्राप्त होती है

देहरादून 4 मार्च, श्रीमद् भागवत कथा के दूसरे दिन व्यासपीठ आचार्य पवन नंदन ने कथा का वाचन करते हुए बताया कि श्रीमद् भागवत धरती पर जन्म लेने पर तीन कर्म अवश्य करने चाहिए। कथा का सम्मेलन कथा का श्रवण कीर्तन और भगवान का स्मरण धरती पर सुख सिर्फ भक्ति से ही प्राप्त किया जा सकता है। भक्ति अनुकूल संत के मिलने से प्राप्त होती है संत की प्राप्ति पूर्ण पूंजी एकत्र होने से होती है। इसलिए हमेशा सत्य मार्ग पर चलें जिसका कोई गुरु नहीं उसका जीवन शुरू नहीं। श्रीमद् भागवत सेवा समिति द्वारा देहरादून में आयोजित श्रीमद् भागवत कथा व्यास आचार्य पवन नंदन ने कहा आज भी जहां कथा होती है वहां भगवान जरूर आते हैं। आप और हम जो कथा सुनते हैं वह व्यास पीठ से स्वयं भगवान के शब्द होते हैं।

आचार्य पवन नंदन ने कहा कि मोक्ष के दरवाजे के ताले की चाबी मनुष्य शरीर है। विभिन्न योनियों के रूप में चाबियां तो चौरासी लाख है लेकिन मोक्ष के दरवाजे में कोई फिट नहीं बैठती मनुष्य जन्म प्राप्त कर मोक्ष की चाबी हाथ लगने पर भी ताला न खोलें तो उससे बड़ा अभागा कोई नहीं मनुष्य शरीर रूपी चाबी को संसार की ओर मोड़ दिया तो संसार हमें बांधने लगा और माधव के चरणों की ओर मोड़ दिया तो यही मन तुम्हारी मुक्ति का हेतु बन जाएगा मनुष्य शरीर साधनों का धाम है मनुष्य शरीर से साधना कर सकते हैं एवं उस परम तत्व को जान सकते हैं इसलिए इस मनुष्य शरीर रूपी चाबी का सदुपयोग करना चाहिए। इसके साथ उन्होंने कर्दम ऋषि देवहूति विवाह कपिल देव द्वारा मां देवहूति को उपदेश सती का आत्मदाह ध्रुव चरित्र प्रियव्रत चरित्र कथा का वर्णन किया।

श्रीमद् भागवत कथा ज्ञान यज्ञ महोत्सव के दौरान संकीर्तन में सभी भक्त भक्ति में सराबोर हो गए। आज के श्रीमद् भागवत कथा का अध्यक्ष प्रेम सिंह भंडारी सचिव नवीन जोशी, पार्षद राजेश परमार, विनोद राई, प्रदीप राई, मालती राई, गीता, विमला, ईश्वर सिंह नेगी और अभिषेक परमारआदि श्रद्धालुजनों ने श्रवण कर आनंद लिया ।

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