देहरादून, मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने नगर निगम कोटद्वार का नाम परिवर्तित कर कण्व ऋषि के नाम पर कण्व नगरी कोटद्वार रखने पर स्वीकृति प्रदान की है। अब नगर निगम कोटद्वार, कण्व नगरी कोटद्वार के नाम से जाना जायेगा। खो नदी के समीप बसा कोटद्वार शहर जितना सुंदर है उतना ही सुंदर इसका इतिहास है। इसे गढ़वाल का प्रवेश द्वार भी कहा जाता है। कोटद्वार सीमा से दुगड्डा होते हुए लैंसडॉन भी पहुंचा जाता है। जहाँ गढ़वाल रेर्जिमेंट का सेंटर भी है। ऐतिहासिक धरोहर से कम नहीं। वेद औऱ पुराणों पर नजर डाले तो मालिनी नदी का जिक्र होता है। जो आज भी कोटद्वार में बह रही है और बहुत बड़े क्षेत्र में सिंचाई के लिए मददगार साबित हो रही है। बताया जाता है कि, पौराणिक काल में मालिनी नदी के दोनों तरफ विश्वविख्यात विद्यापीठ थे। जहां उच्च शिक्षा हासिल करने के लिए देश-दुनिया से लोग आते थे। कण्वाश्रम का जिक्र चारों वेदों में भी किया गया है। कण्वाश्रम के नाम से कोटद्वार शहर का नाम ‘कण्वनगरी कोटद्वार’ होगा। देवभूमि के गढ़वाल का द्वार कहे जाने वाले कोटद्वार का नाम बदलने की प्रकिया शुरू हो चुकी है। कोटद्वार नगम निगम बोर्ड ने शहर का नाम बदलने का प्रस्ताव पारित कर शासन को पहले ही भेज दिया था। और ये कोटद्वार निगम का पहला फैसला था जो उन्होंने स्वंय लिया था। जिसके बाद कोटद्वार का नया नाम ‘कण्वनगरी कोटद्वार’ होगा।
कोटद्वार का नाम बदले जाने का प्रस्ताव नगर निगम ने पारित कर दिया था और अब कोटद्वार का नाम बदला जाएगा इसपर उत्तराखंड शासन के बाद ख्यमंत्री ने भी सहमति देकर मुहर लगा दी है।