- जंगली पानी के पक्षी जैसे बत्तख और गीज़ प्राकृतिक तौर पर इन्फ्लुएंज़ा-ए वायरस कैरी करते हैं।
- पर्यावरण मंत्रालय ने सभी राज्यों में प्रवासी पक्षियों की निगरानी के लिए एक एक्शन प्लान तैयार करने को कहा
- हालांकि स्थिति कंट्रोल में है। लेकिन कई बार बर्ड फ्लू का वायरस अगर मनुष्य तक पहुंच गया तो जानलेवा भी हो सकता है।
दिल्ली/देहरादून, बर्ड फ्लू के चलते हिमाचल केरल और राजस्थान में हजारों पक्षी मर रहे हैं इसके अलावा देश के कई राज्यों में बर्ड फ्लू/एवियन वायरस से हजारों पक्षियों के मरने की पुष्टि हो चुकी है।
हिमाचल में इस मौसम में प्रवासी पक्षी बहुतायत में कांगड़ा और आसपास के इलाकों में आते हैं। सोमवार तक के आंकड़े करीब 2300 पक्षियों के मौत की पुष्टि कर रहे हैं. इसके बाद राज्य सरकार ने कई इलाकों के पक्षियों को मारने के लिए आदेश दिए हैं।
उसी तरह केरल में पिछले 2-3 दिनों में 12000 से ज्यादा बत्तख केवल दो जिलों कोट्टायम और अलप्पुझा में मर चुकी हैं। इस राज्य में हर साल ही बर्ड फ्लू की मार पड़ती है. वहां भी राज्य सरकार कई प्रभावित इलाकों में पक्षियों को मार रही है. राजस्थान में भी 500 के आसपास पक्षी मारे गए हैं. मध्य प्रदेश राज्य में भी अलर्ट जारी हो गया है। हालांकि स्थिति कंट्रोल में है। लेकिन कई बार बर्ड फ्लू का वायरस अगर मनुष्य तक पहुंच गया तो जानलेवा भी हो सकता है।
कई राज्यों में एलर्ट भी जारी हो गया है और लोगों को पोल्ट्री फॉर्म उत्पाद नहीं खाने की सलाह दी गई है। उत्तराखंड में भी देहरादून के आसपास और देहरादून में कुछ जगह कोओं मरने की खबरें आ रही हैं जिसके चलते कोओं के विसरा को पशु चिकित्सा विभाग को भेजा है अभी तक यह वायरस मुर्गी और अंडे में पहुंचा है, इसकी उत्तराखंड में अभी तक कोई पुष्टि नहीं हुई है फिर भी लोगों ने मुर्गे और अंडे की मांग में अचानक कमी आने के कारण उनके दामो में भी इसका असर दिखाई दे रहा है।
इसी बीच पर्यावरण केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय ने सभी राज्यों के मुख्य सचिवों और मुख्य वन्यजीव वार्डनों को पत्र लिखकर उनको एवियन इन्फ्लुएंजा के लिए राज्य स्तरीय निगरानी समितियों का गठन करने को कहा है। और राज्यों को सलाह दी गई है कि प्रवासी और स्थानीय पक्षियों की मौतें और उनकी संख्या के साथ कारण केन्द्रीय पर्यावरण मंत्रालय को बताया जाए, मंत्रालय ने कहा कि सैम्पल और टेस्टिंग रिपोर्ट इकठ्ठा करने और भेजने के लिए पशु चिकित्सा विभाग संपर्क किया जाना चाहिए। पर्यावरण मंत्रालय ने सभी राज्यों में प्रवासी पक्षियों की निगरानी के लिए एक एक्शन प्लान तैयार करने को कहा गया है. राज्य प्रवासी पशु-पक्षियों के नमूनों के संग्रह में राज्य पशु चिकित्सा विभागों के साथ सहयोग करेंगे. इसमें मृत पक्षियों का सैंपल अत्यंत सावधानी और साइंटिफिक ऑब्जर्बेशन के साथ लिया जाएगा. वहीं, निगरानी केवल संरक्षित क्षेत्रों तक ही सीमित नहीं रहेगी, बल्कि उन क्षेत्रों में भी होगी जहां प्रवासी पक्षी आते हैं, चिड़ियाघरों में भी सतर्कता बरती जानी चाहिए।
जंगली पानी के पक्षी जैसे बत्तख और गीज़ प्राकृतिक तौर पर इन्फ्लुएंज़ा-ए वायरस कैरी करते हैं। कई पक्षियों के शरीर में ये फ्लू मौजूद होता है पर वे इससे बीमार नहीं पड़ते और मल के ज़रिए वायरस को शरीर से निकाल देते हैं। जैसे कई पक्षी बीमारी को विकसित किए बिना फ्लू करते हैं, और इसे उनकी बूंदों में बहा देते हैं। चूंकि पक्षी उड़ान भरते समय भी उत्सर्जित होते हैं, इसलिए वे अमेरिकी विषाणु विज्ञान प्राध्यापक विंसेंट रैनियेलो के शब्दों में, “इन्फ्लूएंजा वायरस का एक अच्छा एरोसोल प्रदान करते हैं, जो इसे दुनिया भर में फैलाते हैं”।
पानी के प्रवासी पक्षियों से, जिनमें से कई लंबी दूरी की यात्रा करते हैं, वायरस इस प्रकार मुर्गी और स्थलीय पक्षियों में फैलते हैं। कभी-कभी इसी तरह यह वायरस सूअरों, घोड़ों, बिल्लियों, कुत्तों और मनुष्य जैसे स्तनधारियों पर पहुँचता है।