- काबुल का रतन नाथ मंदिर एक बहुत ही प्राचीन मंदिर है, यहाँ हिन्दु श्रद्धालुओं में इसकी बड़ी मान्यता है।
- रतन नाथ मंदिर के पुजारी पंडित राजेश कुमार ने मंदिर छोड़ने से मना कर दिया है। उनका कहना है कि तालिबान उन्हें भले ही मार दे लेकिन वो मंदिर नहीं छोड़ेंगे।
नई दिल्ली 18 अगस्त, तालिबान ने रविवार 15 अगस्त को अफगानिस्तान पर कब्जा कर लिया, अब अफगानिस्तान में तालिबान के कट्टर शरिया शासन लौटने की आहटें सुनाई देने लगी हैं, जिसके तले देश की जनता ने 1996 से 2001 का वक्त बिताया था। 9/11 हमले के बाद अमेरिका ने अफगानिस्तान से तालिबान शासन को समाप्त किया। बहुत से लोगों को भय है कि तालिबान शासन आने के बाद महिलाओं और जातीय अल्पसंख्यकों की आजादी समाप्त हो जाएगी और पत्रकारों तथा गैर सरकारी संगठनों के काम करने पर पाबंदियां लग जाएंगी। तालिबान के अफगानिस्तान पर कब्जा करने के पहले ही राष्ट्रपति अशरफ गनी देश छोड़कर ओमान चले गए। तालिबान के काबुल पर कब्जा करने और देश में जारी अराजकता के कारण अपनी जान बचाने के लिए लोग बड़ी संख्या में पलायन कर रहे हैं। लेकिन, काबुल में रतन नाथ मंदिर के पुजारी पंडित राजेश कुमार ने अपनी जान बचाने के लिए काबुल से भागने से इनकार कर दिया।
काबुल में रतन नाथ मंदिर के पुजारी पंडित राजेश कुमार ने कहा, “कुछ हिंदुओं ने मुझसे काबुल छोड़ने का आग्रह किया और मेरी यात्रा तथा ठहरने की व्यवस्था करने की पेशकश की। लेकिन, मेरे पूर्वजों ने सैकड़ों वर्षों तक इस मंदिर की सेवा की। मैं इसे नहीं छोड़ूंगा। अगर तालिबान मुझे मारता है, तो मैं इसे अपनी सेवा मानता हूं।” राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के मुखपत्र ऑर्गनाइजर ने यह बातें अपनी रिपोर्ट में लिखी हैं।
Pandit Rajesh Kumar, the priest of Rattan Nath Temple in Kabul:
"Some Hindus have urged me to leave Kabul & offered to arrange for my travel and stay.
But my ancestors served this Mandir for hundreds of years. I will not abandon it. If Taliban kiIIs me, I consider it my Seva"
— Bharadwaj (@BharadwajSpeaks) August 15, 2021