अर्जेन्टीना के महान फुटबॉलर और कोच रह चुके डिएगो माराडोना का 60 साल की उम्र में निधन हो गया। कार्डिएक अरेस्ट से उनका निधन हुआ। इसी महीने माराडोना की ब्रेन सर्जरी हुई थी और दो सप्ताह पहले ही उन्हें अस्पताल से छुट्टी मिली थी। माराडोना को दुनिया के महान फुटबॉलरों में शामिल किया जाता है। 1986 में अर्जेंटीना को वर्ल्ड चैंपियन बनाने में मराडोना का बड़ा हाथ रहा था।
30 अक्टूबर 1960 को पैदा हुए माराडोना की मौत 25 नवंबर 2020 को हुई. अजब संयोग है कि माराडोना की मौत उसी दिन हुई जिस दिन साल 2016 में क्यूबा के पूर्व प्रधानमंत्री फिदेल कास्त्रो का स्वर्गवास हुआ था. माराडोना कास्त्रो को अपना ‘दूसरा पिता’ मानते थे।
- अकेले दम पर अर्जेंटीना को चैंपियन बनाया
1986 का विश्व कप पूरी तरह माराडोना के नाम रहा। उन्हें टीम की कप्तानी सौंपी गई और वह अकेले दम पर अर्जेंटीना को पहली बार चैंपियन बनाकर लौटे। उन्होंने पांच गोल किए और पांच में मदद की। इससे उन्हें टूर्नामेंट के सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी का गोल्डन बॉल अवॉर्ड भी मिला। सिर्फ उनके देश में ही नहीं, पूरी दुनिया में ‘डिएगो-डिएगो’ का नाम गूंज उठा। माराडोना उस दौर में सबसे लोकप्रिय शख्स बन गए। 1997 में अपने जन्मदिन पर फुटबॉल से संन्यास लिया। 2008 में लियोनल मेस्सी की टीम के कोच बने, पर क्वार्टर फाइनल में टीम हार गई।
साल 1986, माराडोना के विश्वविजय का साल. यही वह साल था जब दुनिया जीत चुके माराडोना पहली बार क्यूबा पहुंचे. यहां पहली बार उनकी मुलाकात हुई फिदेल कास्त्रो से. माराडोना, कास्त्रो और उनके साथी कॉमरेड चे गुएरा के बड़े फैन थे. इनकी कहानियों से विस्मित माराडोना की कास्त्रो से दोस्ती धीरे-धीरे गहरी हुई और माराडोना अक्सर क्यूबा जाने लगे.
इसके बाद डिएगो अरमांडो माराडोना जब भी क्यूबा जाते, तो उनके सामान में कास्त्रो के लिए कुछ हो ना हो, एक फुटबॉल जर्सी जरूर होती थी. एक समर्पित बेसबॉल फैन कास्त्रो को माराडोना के यह तोहफे काफी पसंद आते थे. बदले में कास्त्रो भी माराडोना को मशहूर क्यूबन सिगार देना नहीं भूलते थे.
यह दोस्ती माराडोना के ड्रग एडिक्ट बनने और फुटबॉल छोड़ने के बाद और परवान चढ़ी. यह वह दौर था जब माराडोना का अपना देश, जिसे उन्होंने विश्वविजय का ताज पहनाया था, भी उनसे नफरत करने लगा था. ऐसे में कास्त्रो ने अपने देश के दरवाजे माराडोना के लिए खोल दिए और उन्हें बेहतरीन चिकित्सा उपलब्ध कराई.
- जब पूरी दुनिया ने मेरी तरफ पीठ कर ली थी तब कास्त्रो ने मुझे अपना मानकर मेरे लिए बहुत कुछ किया
इस बात के लिए माराडोना ने हमेशा कास्त्रो का एहसान माना. बकौल माराडोनाकास्त्रो और माराडोना की यह दोस्ती काफी गहरी थी. यहां तक कि माराडोना ने कास्त्रो और गुएरा, दोनों के चेहरे अपने बदन पर गुदवा रखे हैं. माराडोना कास्त्रो को अपना दूसरा पिता कहते थे. 25 नवंबर 2016 को जब कास्त्रो की मौत हुई तो क्रोएशिया में डेविस कप देख रहे माराडोना ने कहा,
‘वह मेरे पिता जैसे थे. जैसे ही यह टेनिस खत्म होगा मैं अपने दोस्त को गुडबाय कहने क्यूबा जाऊंगा. उन्होंने मेरे लिए क्यूबा के दरवाजे तब खोले जब अर्जेंटीना मेरे लिए दरवाजे बंद कर रहा था.’
बाद में माराडोना ने अपना यह वादा पूरा भी किया. वह फिदेल कास्त्रो के अंतिम दर्शन के लिए गए. 4 दिसंबर 2016 को हुए कास्त्रो के अंतिम संस्कार के लिए क्यूबा पहुंचे माराडोना ने कहा था, ‘मुझे ऐसा लग रहा है जैसे मैं क्यूबा का ही हूं.’