- वैक्सीनेशन प्रोग्राम में ज्यूडिशरी को फ्रंट लाइन वर्कर की श्रेणी में न रखने पर हाईकोर्ट ने नाराजगी जताई है
- केंद्र तथा राज्य सरकारों ने अपने-अपने वैक्सीनेशन कैंप लगाएं हैं अब वैक्सीनेशन प्रोग्राम में 18 से 44 वर्ष की बारी भी आ गई है।
देहरादून/नैनीताल, हाईकोर्ट द्वारा स्वास्थ सचिव को पत्र लिख कर नाराजगी जताई गई है रजिस्ट्रार प्रोटोकॉल द्वारा जारी पत्र में कहा गया है कि ज्यूडिशरी को फ्रंट लाइन वर्कर की श्रेणी में नहीं रखा गया है, जब कि इस समय कोविड-19 ने भयानक रूप ले लिया है पिछले कुछ दिनों से हमारे जज और वकील इस महामारी से प्रभावित हुए हैं। जजों,अधिवक्ताओं, कोर्ट स्टाफ , अधिवक्ताओं के मुंशी व उनके परिवार को फ्रंट लाइन वर्कर की श्रेणी में नहीं रखा गया उनको एक आम नागरिक की तरह व्यवहार किया जा रहा है तथा वेक्सिनेशन के लिए के लिए कोई विशेष प्रबंध नहीं किए गए हैं
इस महामारी से लड़ने के लिए केंद्र तथा राज्य सरकारों ने अपने-अपने वैक्सीनेशन कैंप लगाएं हैं अब वैक्सीनेशन प्रोग्राम में 18 से 44 वर्ष की बारी भी आ गई है। लेकिन सरकार हमारे साथ सौतेला व्यवहार कर रही है। हम लोगों को फ्रंट लाइन वर्कर के साथ नहीं गिना गया है। हमें आम नागरिक की तरह छोड़ दिया है जबकि न्यायालय से से जुड़ी हमारी लीगल फर्टेनिटी ने कोविड-19 संक्रमण के दौरान बढ़-चढ़कर काम किया है और पिछले कुछ दिनों से हमारे जज और वकील इस महामारी के शिकार हुए हैं आज तक हमारे लिए कोई भी वेक्सिनेशन प्रोग्राम नहीं रखा गया है राज्य सरकार को निर्देशित किया जाता है कि प्रदेश की जिला स्तरीय स्वास्थ सेवाओं से वैक्सीनेशन प्रोग्राम करा कर ज्यूडिशियल ऑफिसर, अधिवक्ता, उनके मुंशी, कोर्ट स्टाफ और उनके परिवार के लोगों के लिए वैक्सीनेशन कैंप लगा कर वैक्सीनेशन कराएं।