नई दिल्ली, मिस्र की स्वेज नहर में फंसे विशालकाय कार्गो कंटेनर शिप को निकालने का काम युद्धस्तर पर जारी है। यह जहाज अपनी जगह से कुछ हिला तो जरूर है लेकिन अभी यह नहीं कहा जा सकता है कि इसको निकालने का काम कब तक पूरा होगा।
स्वेज कनाल में फंसे कार्गो शिप एवर गिवेन की कुछ नई सैटेलाइट तस्वीरें सामने आईं हैं। तस्वीरों से स्वेज की खाड़ी में जहाजों का जो जाम लगा है जानकारी मिली है कि फंसे हुए जहाज को 25 भारतीय चला रहे हैं और स्वेज नहर में एवर गिवेन जहाज के फंसने के चलते यहां करीब 2 सौ से ज्यादा जहाज यहाँ फंस गए हैं।
स्वेज नहर में फंसा चीन से जा रहा विशालकाय कंटेनर शिप, समुद्र में लंबा ट्रैफिक जाम कारण बन गया है स्वेज नहर में एवर गिवन नाम के इस विशालकाय जहाज के फंस जाने से भीषण ट्रैफिक जाम लग गया है। तेज हवा से घूमने के बाद ये कंटेनर जहाज फंस गया, जिससे समुद्र में कार्गो वेसल्स का लंबा जाम लग गया है। रिपोर्ट के अनुसार, एवर गिवेन के चालक दल ने बताया कि स्वेज नहर को पार करते समय आए हवा के एक तेज बवंडर के कारण उनका शिप घूम गया है।
मिस्र की स्वेज नहर में इस विशालकाय कार्गो कंटेनर शिप के फंसने से भीषण जाम लग गया है। अधिकारियों ने चेतावनी दी है कि अगर इसे जल्द नहीं हटाया गया तो इस रास्ते से होने वाली वैश्विक आपूर्ति प्रभावित हो सकती है। बता दें कि स्वेज नजर भूमध्य सागर को लाल सागर से जोड़ती है। इस मार्ग के जरिये एशिया से यूरोप जाने वाले जहाजों को अफ्रीका घूमकर नहीं जाना पड़ता है।
स्वेज़ नहर लाल सागर और भूमध्य सागर को जोड़ने वाली एक नहर है। सन् 1858 में एक फ्रांसीसी इंजीनियर फर्डीनेण्ड की देखरेख में स्वेज नहर का निर्माण शुरु हुआ था। यह नहर आज 168 किमी लम्बी, 60 मी चौड़ी और औसत गहरी 16.5 मी है।
भूमध्य सागर को लाल सागर से जोड़ने वाली मानव निर्मित स्वेज नहर वैश्विक समुद्री व्यापार के लिए एक प्रमुख जीवन रेखा की तरह है क्योंकि यह जहाजों को बिना अफ्रीका के पास से गुजरे यूरोप से दक्षिण एशिया जाने का रास्ता देती है. इससे यूरोप और भारत के बीच की समुद्री यात्रा की दूरी लगभग 7,000 किमी कम हो जाती है.