चंडीगढ़। भ्रष्टाचार के मामले में आरोपी विदेश में रह रही 75 वर्षीय महिला की अग्रिम जमानत याचिका पर फैसला सुनाते हुए पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने यह स्पष्ट कर दिया है कि जमानत के लिए बांड भरते हुए पुलिस या कोर्ट की मौजूदगी में हस्ताक्षर अनिवार्य नहीं है। हाईकोर्ट ने महिला को डाक के माध्यम से बांड भरने की अनुमति देते हुए उसे अग्रिम जमानत का लाभ दिया है।याचिका दाखिल करते हुए यूएसए में रहने वालीं वीणा परमार ने बताया कि भूमि से जुड़े एक मामले में विजिलेंस ब्यूरो ने भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम में अमृतसर में मामला दर्ज किया था। इस मामले में याची भी आरोपी है और उसे आशंका है कि पुलिस उसे गिरफ्तार कर सकती है। ऐसे में याची ने हाईकोर्ट से अपील की है कि उसे अग्रिम जमानत का लाभ दिया जाए। याची ने कहा कि वर्तमान में वह 75 वर्ष की हैं और यूएसए में रह रही हैं। वह बेहद बीमार हैं, इसलिए वह जमानत के दस्तावेजों पर हस्ताक्षर के लिए यात्रा कर अदालत में मौजूद नहीं रह सकती है। हाईकोर्ट ने कानून को स्पष्ट करते हुए कहा कि जमानती दस्तावेजों पर पुलिस या कोर्ट के समक्ष हस्ताक्षर की कोई अनिवार्यता नहीं है। हाईकोर्ट ने एक लाख रुपये के बेल बांड पर याची को जमानत दे दी। साथ ही उसे वीसी के माध्यम से जांच अधिकारी के समक्ष पेश होने का आदेश दिया है।