देहरादून। भुवन कापड़ी ने आज राजधानी देहरादून मे मीडिया कर्मियों से वार्ता करते हुये की राज्य में लोक सेवा आयोग हरिद्वार द्वारा नवंबर होने वाली मुख्य पीसीएस परीक्षा आयोग की त्रुटि के कारण उत्तराखंड राज्य के अनेको हिंदी भाषी पाठ्यक्रम अभ्यार्थियों का भविष्य संकट में पड़ गया है। एक तरफ वर्तमान सरकार हिंदी भाषा की अनिवार्यता पर जोर देता है, वहीं दूसरी तरफ राज्य की मुख्य परीक्षाओं में हिंदी पाठ्यक्रम के अभ्यर्थियों के साथ न्याय नहीं कर रहा है। आयोग द्वारा परीक्षा का आयोजन हिंदी मध्यम और अंग्रेजी माध्यम से कराया जाता है, परंतु इस वर्ष हिंदी माध्यम में आयोग द्वारा हिंदी पाठ्यक्रम को लगभग 30 से 40% बदल दिया गया है एवं यह बदलाव प्रारंभिक परीक्षा के लंबे समय बाद किया गया है। साथ ही साथ आयोग द्वारा अभी तक संशोधित पाठ्यक्रम सार्वजनिक नहीं किया गया, जिस कारण हिंदी पाठ्यक्रम के अभ्यर्थी को तैयारी करने का समय नहीं मिल पाया पाठ्यक्रम देरी से मिलने कारण हिंदी पाठ्यक्रम की अभ्यर्थी मुख्य परीक्षा से बाहर होने की स्थिति आ गए लोक सेवा आयोग की परीक्षा से ही राज्य के युवा चुनकर राज्य की सेवा करने का काम करते हैं एवं राज्य स्तर पर सबसे बड़ी परीक्षा होने के कारण यह राज्य को सीधे-सीधे प्रभावित करने का काम करती है। राज्य में प्रमुख पदों पर इसी परीक्षा से अधिकारियों की भर्ती की जाती है तथा इसमें मुख्य रूप से उत्तराखंड राज्य के अभ्यर्थी चुनकर अपने ही राज्य की सेवा करते हैं परंतु इस बार आयोग की कमी के कारण हिंदी माध्यम में अधिक बदलाव होने एवं पाठ्यक्रम देरी से जारी होने के कारण की वजह से अभ्यर्थियों को को मुख्य परीक्षा के लिए समय नहीं मिल पाया। अतः पीसीएस परीक्षा में सरकार को हस्तक्षेप कर कर मुख्य परीक्षा की तिथि को बढ़ाना चाहिए आयोग को समझना चाहिए कि अगर राज्य का युवा ही इस परीक्षा से बाहर हो जाएगा तो यह राज्य बनने की मूल भावना जिससे हमारे राज्य का युवा ही मुख्य पदों पर बैठकर राज्य की सेवा करें इस पर बहुत बड़ा कोठार घात होगा। राज्य सरकार को तत्काल संज्ञान लेते हुए पीसीएस मुख्य परीक्षा में लगभग 6 माह समय अभ्यर्थियों को देना चाहिए एवं जो भी त्रुटियां इस बार अभ्यर्थियों द्वारा आयोग को बताई जा रही है उसकी एक समिति बनाकर अभ्यर्थियों की समस्या को सुनकर उनका समाधान करना चाहिए जिससे कि राज्य को राज्य का ही युवा अधिकारी मिल सके।