25.5 C
Dehradun
Saturday, July 5, 2025

भारतीय संस्कृति की विविधता और एकता को समर्पित लोकमंथन 2024 का आयोजन

देहरादून, 20 नवम्बर। भारतीय संस्कृति की विविधता और एकता को समर्पित लोकमंथन 2024 का आयोजन 21 से 24 नवंबर तक भाग्यनगर (हैदराबाद) में किया जाएगा। यह अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन और सांस्कृतिक महोत्सव भारत की सांस्कृतिक विरासत, परंपराओं और प्राचीन ज्ञान का उत्सव है। लोकमंथन एक द्विवार्षिक राष्ट्रीय सम्मेलन है, जहां कलाकार, विद्वान, और चिंतक एकत्र होते हैं। वे समाज में प्रचलित मुद्दों पर चर्चा कर नए विचारों और समाधानों का निर्माण करते हैं। लोकमंथन-2024 का थीम ‘लोक अवलोकन, लोक विचार, लोक व्यवहार और लोक व्यवस्था’ है। इसका विधिवत उद्घाटन राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु 22 नवंबर को शिल्प कलावेदिका में करेंगी। पूर्व उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू इससे पूर्व 21 नवंबर को शिल्प कलावेदिका में प्रदर्शनी और सांस्कृतिक महोत्सव का उद्घाटन करेंगे। लोकमंथन राष्ट्रवादी विचारकों और कार्यकर्ताओं की द्विवार्षिक राष्ट्रीय संगोष्ठी है। यह एक ऐसा मंच है, जहां देश के विभिन्न भागों से कलाकार, बुद्धिजीवी और शिक्षाविद एकत्रित होते हैं और समाज में व्याप्त प्रश्नों पर विचार-विमर्श करते हैं, जिसका उद्देश्य आख्यानों को नया स्वरूप देना और राष्ट्र को अपनी सभ्यतागत भूमिका निभाने के लिए तैयार करना है।

उत्तराखंड की टीम हैदराबाद (भाग्यनगर) में लोकमंथन -2024 कार्यक्रम के लिए रवाना हुई। लोकमंथन -2024 कार्यक्रम 21 नवम्बर से 24 नवंबर तक आयोजित किया जा रहा है। इस कार्यक्रम में भारत के सभी प्रातों के अतिरिक्त विदेशो से भी मेहमान आ रहे हैं। जिसमें भारत के सभी प्रातों के अलावा वहां की भेषभूषा, लोक कलाएं व पारम्परिक नृत्य आदि की प्रस्तुति दी जायेगी। उक्त जानकारी देते हुए उत्तराखंड राज्य की राज्य मंत्री श्रीमती विनोद उनियाल ने बताया कि इस कार्यक्रम में सभी प्रातों की एक झलक डाक्यूमेंटरी के माध्यम से भी दिखाई जायेगी। उत्तराखण्ड से मुख्यमंत्री की सूझ-बूझ व संवेदनशीलता का आज पूरा विश्व कायल है, ऐसा सिल्क्यारा पर डाक्यूमेंटरी दिखाई जाने की सम्भावना है।उत्तराखण्ड के प्रतिनिधि मण्डल में श्रीमती विनोद उनियाल (राज्यमंत्री उत्तराखण्ड सरकार), डाक्टर कुसुम नौटियाल, डाक्टर अंजलि वर्मा, सीमा उप्रेती, डाक्टर गुरूमीत सिंह, डाक्टर चन्द्रपाल आदि लोग इस भव्य कार्यक्रम का हिस्सा बनेगें।

उत्तराखंड राज्य की राज्य मंत्री श्रीमती विनोद उनियाल ने बताया कि लोकमंथन 2024 में तेलंगाना की समृद्ध सांस्कृतिक परंपरा को प्रमुखता दी जाएगी। प्रदर्शित कलाओं में दोकड़ा धातु शिल्प, कोंडापल्ली के खिलौने, निरमल पेंटिंग्स, कला मक्खनकारी वस्त्र, और कुम्हारकला शामिल हैं। तेलंगाना के पारंपरिक नृत्य, नाटक, और संगीत जैसे पेरिनी, ओग्गु कथा, और तोलु बोम्मलता का प्रदर्शन भी होगा। ब्रिटिश औपनिवेशिक काल के दौरान ‘आदिवासी’ और ‘ग्रामवासी’ जैसे शब्दों का उपयोग भारत को विभाजित करने के लिए किया गया। इसके विपरीत, लोकमंथन का उद्देश्य इन कृत्रिम विभाजनों को समाप्त करना है और भारत की वास्तविक एकता को उजागर करना है। भारत के गुरुकुल, जो वन और ग्रामीण क्षेत्रों में स्थित थे, प्राचीन काल में वैज्ञानिक, दार्शनिक, और व्यावसायिक ज्ञान के प्रमुख केंद्र थे। यही परंपराएँ आज भी ग्रामीण और वनवासी क्षेत्रों में जीवित हैं। लोकमंथन 2024 का उद्देश्य इन प्राचीन परंपराओं को पुनर्जीवित करना और उन्हें आधुनिक भारत के साथ जोड़ना है। इस अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन के चौथे संस्करण का आयोजन प्रज्ञा प्रवाह, नई दिल्ली और प्रज्ञा भारती, तेलंगाना द्वारा देश भर में उनके सहयोगी संगठनों के साथ मिलकर किया जा रहा है। इसमें इतिहास संकलन समिति, संस्कार भारती, विज्ञान भारती, अधिवक्ता परिषद, अखिल भारतीय साहित्य परिषद और भारतीय शिक्षण मंडल शामिल हैं। मुख्य कार्यक्रम शिल्प कला वेदिका में आयोजित किया जाएगा। वहीं शिल्परमम में एक प्रदर्शनी और सांस्कृतिक उत्सव का आयोजन किया जा रहा है। लोकमंथन के पिछले संस्करण भोपाल, रांची और गुवाहाटी में आयोजित किए गए थे, जिसमें उपनिवेशवाद और लोक परंपरा जैसे विषयों पर ध्यान केंद्रित किया गया था।  लोकमंथन 2024 का उद्देश्य भारतीय संस्कृति, परंपराओं, और विरासत को वैश्विक मंच पर प्रस्तुत करना है। यह कार्यक्रम भारतीय युवाओं को अपनी सांस्कृतिक जड़ों से जुड़ने का अवसर प्रदान करता है। यह भारत की सांस्कृतिक विविधता को एकजुटता में बदलने का प्रयास है।

लोकमंथन एक द्विवार्षिक राष्ट्रीय सम्मेलन है, जहां कलाकार, विद्वान, और चिंतक एकत्र होते हैं। वे समाज में प्रचलित मुद्दों पर चर्चा कर नए विचारों और समाधानों का निर्माण करते हैं। इस बार की थीम ‘लोक अवलोकन’ है, जो तीन मुख्य पहलुओं पर केंद्रित होगी-

लोक विचार : प्रकृति के साथ संतुलन बनाते हुए भारत के विचारों और चिंतन की पड़ताल।

लोक व्यवहार : समय और परिस्थितियों के अनुसार विकसित परंपराओं और व्यवहार।

लोक व्यवस्था : विविध समुदायों की प्रगति, सुरक्षा और विकास के लिए स्थापित प्रणालियाँ।

राज्य सरकारों के मंडप : छत्तीसगढ़, गुजरात, मध्य प्रदेश, राजस्थान, त्रिपुरा, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और तेलंगाना।

विशेष प्रदर्शनियां : वानवासी संस्कृति पर फोटो प्रदर्शनी। वानवासी स्वतंत्रता सेनानियों पर प्रदर्शनी।

 

Related Articles

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

spot_img
spot_img
spot_img

Stay Connected

22,024FansLike
0FollowersFollow
0SubscribersSubscribe

Latest Articles

- Advertisement -spot_img
error: Content is protected !!