देहरादून, 21 नवंबर। भाषा विभाग की शोध परियोजना के तहत हिन्दी के प्रथम डि० लिट् डॉ. पीताम्बर दत्त बड़थ्वाल जी के साहित्य संकलन की तर्ज पर उत्तराखण्ड भाषा संस्थान निम्न तीन शोध परियोजनाओं को संचालित करने का कार्य करेगा। इसमें संरक्षण व संकलन की दृष्टि से साहित्यकारों एवं शोधकर्ताओं से प्रस्ताव प्राप्त करने की योजना को श्री सुबोध उनियाल जी, मा० मंत्री, भाषा विभाग, उत्तराखण्ड सरकार के स्तर पर अनुमोदित किया गया है।
तीनों परियोजनाओं की संक्षिप्त प्रस्तावना/विषयवस्तु इस प्रकार है :-
1- उत्तराखण्ड की उच्च हिमालयी एवं जनजातीय भाषाओं का संरक्षण एवं अध्ययन: वैविध्य से भरपूर उत्तराखण्ड में भौगोलिक परिस्थितियों के साथ ही बोली-भाषा में भी अन्तर आ जाता है। यहाँ नीती-माणा, गुंजी-बर्फू से लेकर नेटवाड-सांकरी और तराई तक भाषिक और सांस्कृतिक विविधता के अनेक रूप व अनेक लोक-बोलियों एवं भाषाएँ प्रचलन में है। राज्य में दो प्रमुख क्षेत्रीय भाषाएँ/बोलियां कुमाउंनी एवं गढ़वाली हैं। उक्त बोली-भाषाओं को बोलने वालों की कला, साहित्य, लोक गीत-संगीत, परम्परा, संस्कृति, उत्सव, त्योहार, खान-पान आदि अलग-अलग हैं। इन बोली भाषाओं मध्ये कुछ भाषाएं खतरे की जद में हैं, जिन्हें संरक्षित किया जाना नितान्त आवश्यक है।
2-प्रख्यात नाट्यकार ‘गोविन्द बल्लभ पन्त जी’ का समग्र साहित्य संकलन: हिन्दी साहित्य को सजाने संवारने वाली आरंभिक पीढ़ी के मूर्धन्य साहित्यकार पं० गोविंद बल्लभ पंत जी, जिन्होंने पौराणिक, ऐतिहासिक विषयों पर लेखन में व्यापक पहचान के साथ अनेक उपन्यास एवं कहानियों भी लिखीं, उनका साहित्य अगाध है। उत्तराखण्ड के ऐसे रचनाकार का परिचय सर्वविदित हो और हिन्दी के पाठकों तक उनकी अधिकतम रचनाओं को पहुंचाने के उद्देश्य से भाषा संस्थान द्वारा प्रख्यात नाट्यकार गोविन्द बल्लभ पंत का समग्र साहित्य संकलन के लिए योजना प्रस्तावित की जा रही है।
3- उत्तराखण्ड के पूर्वज साहित्यकारों का साहित्य संकलन : भाषा संस्थान अपने पूर्वज साहित्यकारों की पत्र-पत्रिकाओं में तत्समय प्रकाशित धरोहर को संरक्षित करने के लिए साहित्यकारों / संकलनकर्ताओं की समिति गठित कर भारत के विभिन्न पुस्तकालयों विश्वविद्यालयों के विभिन्न विभागों, लब्ध प्रतिष्ठित पत्रिकायें जैसे-सरस्वती, नागरी-प्रचारिणी पत्रिका, चांद, माधुरी, विशाल भारत, वीणा, सुधा, कल्याण संगम, धर्मयुग, आज, हिन्दुस्तान, नवनीत आदि में प्रकाशित साहित्य की छाया प्रति प्राप्त करते हुए संदर्भ-ग्रन्थ सूची तैयार कर ग्रन्थ का प्रकाशन किया जाना प्रस्तावित है।