बागेश्वर। जब पूरा उत्तराखंड वनाग्नि की चुनौती से संघर्ष कर रहा था, उस कठिन समय में बागेश्वर जनपद ने एक शांत और सतर्क उदाहरण प्रस्तुत करते हुए पर्यावरण संरक्षण की दिशा में उल्लेखनीय सफलता प्राप्त की है। वर्ष 2025 के वनाग्नि सीजन (15 फरवरी से 15 जून) के दौरान जिले में मात्र तीन मामूली वनाग्नि घटनाएं दर्ज की गईं, जबकि पिछले वर्ष यही संख्या 36 थी। इस प्रकार वनाग्नि की घटनाओं में लगभग 12 गुना कमी दर्ज की गई।
यह उल्लेखनीय उपलब्धि जिले में सक्रिय प्रशासनिक निगरानी, वन विभाग की तत्परता, वन सुरक्षा समितियों व प्रहरी दलों की सतर्कता, और सबसे महत्वपूर्ण, स्थानीय नागरिकों की जागरूकता व सहभागिता का प्रत्यक्ष परिणाम है। जनसहयोग और समयबद्ध समन्वय से इस वर्ष एक भी पौधरोपण क्षेत्र प्रभावित नहीं हुआ, जबकि वर्ष 2024 में 0.775 हेक्टेयर क्षेत्र आग की चपेट में आया था।
वन क्षति में भी भारी कमी आई-पिछले वर्ष 57.62 हेक्टेयर क्षेत्र अग्नि की चपेट में आया था, वहीं 2025 में केवल 1.2 हेक्टेयर प्रभावित हुआ। क्षति राशि रुपये 1,86,135 से घटकर रुपये 3,600 रह गई। इस सफलता के पीछे जिला प्रशासन की सतर्कता, वन सुरक्षा समितियों की सक्रियता, समय पर गश्त, नागरिकों की जागरूकता, और पूर्व नियोजित रणनीतियों का महत्वपूर्ण योगदान रहा। पौधरोपण क्षेत्र पूर्णतः सुरक्षित रहा। जिलाधिकारी आशीष भटगांई के नेतृत्व में चलाए गए जागरूकता अभियानों और जोखिम प्रबंधन कार्यों के कारण जनपद ने पर्यावरण सुरक्षा की एक मिसाल पेश की है। यह उपलब्धि राज्य के लिए प्रेरणास्पद है।