ऋषिकेश/देहरादून 21, पर्यावरणविद, स्वतंत्रता संग्राम सेनानी व पद्मभूषण सुंदरलाल बहुगुणा (93 वर्ष) का शुक्रवार की दोपहर अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान ऋषिकेश में निधन हो गया। बीती आठ मई को कोरोना संक्रमित होने के कारण उन्हें एम्स ऋषिकेश में भर्ती किया गया था। चिपको आंदोलन के प्रणेता और प्रख्यात पर्यावरणविद सुंदरलाल बहुगुणा ने ऋषिकेश स्थित एम्स में अंतिम सांस ली। कोरोना समेत अन्य बीमारियों से ग्रसित होने के कारण उन्हें 8 मई को एम्स में भर्ती कराया गया था।
पद्मभूषण सुंदरलाल बहुगुणा का नारा था-‘धार ऐंच डाला, बिजली बणावा खाला-खाला।’ यानी ऊंचाई वाले क्षेत्रों में पेड़ लगाइये और निचले स्थानों पर छोटी-छोटी परियोजनाओं से बिजली बनाइये।वह उत्तराखंड में बिजली की जरूरत पूरी करने के लिए छोटी-छोटी परियोजनाओं के पक्षधर थे। इसीलिए वह टिहरी बांध जैसी बड़ी परियोजनाओं के खिलाफ आंदोलन छेड़ रखा था। इसे लेकर उन्होंने वृहद आंदोलन शुरू कर अलख जगाई थी। सादा जीवन उच्च विचार को आत्मसात करते हुए वह जीवनपर्यंत प्रकृति, नदियों व वनों के संरक्षण की मुहिम में जुटे रहे। बहुआयामी व्यक्तित्व के धनी बहुगुणा का नदियों, वनों व प्रकृति से बेहद गहरा जुड़ाव था।
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने उनके निधन पर शोक व्यक्त किया है। सीएम रावत ने कहा कि पहाड़ों में जल, जंगल और जमीन के मसलों को अपनी प्राथमिकता में रखने वाले और रियासतों में जनता को उनका हक दिलाने वाले बहुगुणा जी के प्रयास को सदैव याद रखा जाएगा।
मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने ट्वीट किया, ‘चिपको आंदोलन के प्रणेता, विश्व में वृक्षमित्र के नाम से प्रसिद्ध महान पर्यावरणविद् पद्म विभूषण श्री सुंदरलाल बहुगुणा जी के निधन का अत्यंत पीड़ादायक समाचार मिला है। यह खबर सुनकर मन बेहद व्यथित है. यह सिर्फ उत्तराखंड के लिए नहीं, बल्कि संपूर्ण देश के लिए अपूरणीय क्षति है। पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में दिए गए महत्वपूर्ण योगदान के लिए उन्हें 1986 में जमनालाल बजाज पुरस्कार और 2009 में पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया था। पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में सुंदरलाल बहुगुणा जी के कार्यों को इतिहास में सुनहरे अक्षरों में लिखा जाएगा।’
उत्तराखंड में लगातार बढ़ रहे कोरोना संक्रमण की चपेट में अब पद्म विभूषण सुंदरलाल बहुगुणा भी आ गए थे। ज्ञात हो कि वे पिछले लगभग दो सप्ताह से बुखार से पीड़ित थे, तब उनका देहरादून में ही एक निजी लैब में टेस्ट कराने पर उनकी कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव आई थी। तबियत बिगड़ने के कारण उन्हें एम्स ऋषिकेश में भर्ती कराया गया था।