- 18 शव मिल गए हैं जबकि 202 लोग लापता हैं। एनटीपीसी से 12 और ऋषिगंगा प्रोजेक्ट से 15 लोगों को सुरक्षित बचाया गया है।
- उत्तराखंड आपदा में देवदूत बने हैं सेना के जवान, ऐसे चला रहे हैं रेस्क्यू ऑपरेशन
- मुख्यमंत्री ने वरिष्ठ अधिकारियों के साथ आपदा राहत और बचाव कार्यों की समीक्षा की
- राहत एवं बचाव कार्यों के लिए एसडीआरएफ मद से 20 करोड़ रूपये जारी।
- कनेक्टीवीटी से कटे गांवों में हेलीकाप्टर से पहुंचाई जा रही राशन व राहत सामग्री।
- केंद्रीय शिक्षा मंत्री डा. रमेश पोखरियाल निशंक, केंद्रीय ऊर्जा मंत्री श्री आरके सिंह, सांसद श्री तीरथ सिंह रावत और प्रभारी मंत्री डा. धन सिंह रावत ने भी तपोवन आदि क्षेत्रों का दौरा कर कर स्थिति का जायजा लिया।
देहरादून 8 फरवरी, उत्तराखंड में चमोली जिले में स्थित ऋषिगंगा ग्लेशियर के टूटने से आई प्राकृतिक आपदा के दौरान भारतीय सेना, एयरफोर्स, नेवी, आईटीबीपी (ITBP) और एनडीआरएफ के जांबाज जवान एक बार फिर देवदूत साबित हो रहे हैं। देश के इन सशस्त्र बलों की विभिन्न टुकड़ियां न सिर्फ अपने जहाजों और हेलीकॉप्टर के जरिये तत्काल एनडीआरएफ की टीमों को मौके पर एयरलिफ्ट कराकर दिन-रात युद्ध स्तर पर राहत-बचाव का कार्य कर रही हैं बल्कि इस दौरान आई बाढ़ में फंसे तमाम लोगों को भी निकालकर उनकी जान बचा रही हैं। इसके साथ ही अब इस आपदा के दौरान फंसे अन्य लोगों को भी सुरक्षित स्थान पर पहुंचाकर उन्हें राहत-सामग्री मुहैया कराई जा रही है।
भारतीय वायुसेना के प्रवक्ता विंग कमांडर इंद्रानिल नंदी बताते हैं कि उत्तराखंड में आई आपदा की जानकारी एयरफोर्स को 7 फरवरी की दोपहर 12 बजकर 27 मिनट पर मिली थी। जिसके बाद साढे 12 बजे तक एयरफोर्स ने अपने आवश्यक ट्रांसपोर्ट और हेलीकाप्टर्स को स्टैंडबाई मोड पर डाल दिया था। इस घटना की जानकारी के दौरान भारतीय वायुसेना के एक चिनूक के साथ चार हेलीकाप्टरों की मदद ली जा रही है। जिनके जरिये एनडीआरएफ और नेवी के मार्कोज कमांडो की टीम के साथ करीब 20 टन राहत-सामग्री को एयरलिफ्ट कर रविवार को शाम 6 बजे तक ही देहरादून पहुंचा दिया गया था. भारतीय वायुसेना के C-130 और AN-32 विमानों को जहां देहरादून के जौलीग्रांट में तैनात किया गया है। जबकि MI-17 और ALH हेलीकाप्टर्स को देहरादून, जौलीग्रांट और जोशीमठ में तैनात किया गया है, जहां से इन जवानों और राहत-सामग्री को मौके पर पहुंचाकर इस आपदा में फंसे लोगों की मदद की जा रही है।
मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने सचिवालय में शासन के वरिष्ठ अधिकारियों, आपदा प्रबंधन, पुलिस, सेना एवं आईटीबीपी के अधिकारियों के साथ बैठक कर जोशीमठ के रेणी क्षेत्र में आई आपदा में राहत एवं बचाव कार्यों की अद्यतन स्थिति की जानकारी ली। मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को निर्देश दिये कि क्षेत्र में खाद्य सामग्री पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध हो। राहत एवं बचाव कार्यों में लगे कार्मिकों को भी सभी आवश्यक सामग्री समय पर उपलब्ध हो। राहत एवं बचाव कार्यों के लिए एसडीआरएफ मद से 20 करोड़ रूपये की धनराशि जारी की गई है।
मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को निर्देश दिये कि आपदा की दृष्टि से संवेदनशील स्थानों का समय-समय पर सर्वे कराया जाय। एसडीआरएफ की टीमें भी संवेदनशील स्थानों के निकट तैनात की जाय। आईआरएस के निदेशक डॉ. प्रकाश चौहान ने जानकारी दी कि ताजी बर्फ के स्खलन से आपदा की संभावना जताई जा रही है। इसकी वजह से नदी के जल स्तर में तेजी से वृद्धि हुई। अब स्थिति सामान्य है।
केंद्रीय शिक्षा मंत्री डा. रमेश पोखरियाल निशंक, केंद्रीय ऊर्जा मंत्री आरके सिंह, सांसद तीरथ सिंह रावत, उत्तराखण्ड के उच्च शिक्षा मंत्री और चमोली जिले के प्रभारी मंत्री डा. धन सिंह रावत ने भी तपोवन आदि क्षेत्रों का दौरा कर स्थिति का जायजा लिया और स्थानीय लोगों से बात की। विधायक महेंद्र प्रसाद भट्ट, विधायक सुरेंद्र सिंह नेगी ने भी तपोवन एवं रैणी मे आपदा प्रभावित क्षेत्र का जायजा लिया।
चमोली जिले में रविवार को आयी आपदा के दूसरे दिन भी रेस्क्यू आपरेशन पूरे दिनभर जारी रहा। आपदा मे सडक पुल बह जाने के कारण नीति वैली के जिन 13 गांवों से संपर्क टूट गया है उन गांवों में जिला प्रशासन चमोली द्वारा हैलीकॉप्टर के माध्यम से राशन, मेडिकल एवं रोजमर्रा की चीजें पहुंचायी जा रही है। जिलाधिकारी ने बताया कि जब तक यहां पर वैकल्पिक व्यवस्था या पुल तैयार नही हो जाता तब तक हैली से यहां पर रसद पहुंचाने का काम जारी रहेगा और जल्द से जल्द क्षेत्र के लोगो की परेशानियां दूर करने का हर संभव प्रयास किया जाएगा। गांवों मे फसे लोगो को राशन किट के साथ 5 किलो चावल, 5 किग्रा आटा, चीनी, दाल, तेल, नमक, मसाले, चायपत्ती, साबुन, मिल्क पाउडर, मोमबत्ती, माचिस आदि राहत सामग्री हैली से भेजी जा रही हैं। आपदा प्रभावित क्षेत्र के साथ ही अलकनन्दा नदी तटों पर जिला प्रशासन की टीम लापता लोगों की खोजबीन में जुटी हैं।
राज्य आपातकालीन परिचालन केंद्र से प्राप्त जानकारी के अनुसार प्रभावित क्षेत्रों में एसडीआरएफ के 70, एनडीआरएफ के 129, आईटीबीपी के 425 जवान एसएसबी की 1 टीम, आर्मी के 124 जवान, आर्मी की 2 मेडिकल टीम, स्वास्थ्य विभाग उत्तराखण्ड की 02 मेडिकल टीमें लगी हुई हैं। प्राप्त जानकारी के अनुसार घटना के बाद 18 शव मिल गए हैं जबकि 202 लोग लापता हैं। एनटीपीसी से 12 और ऋषिगंगा प्रोजेक्ट से 15 लोगों को सुरक्षित बचाया गया है।