लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) गुरमीत सिंह मुख्य अतिथि के रूप सम्मिलित हुए
देहरादून। इस मौके पर बालाजी श्रीवास्तव महानिदेशक बीपीआरडी ने मुख्य अतिथि को पौधा देकर उनका स्वागत किया। उन्होंने दो दिवस में प्रतिभागियों
एवं एक्सपर्ट के द्वारा किये गये मंथन से निर्धारित संकल्पों पर अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की।
1. पुलिस के विभिन्न पोर्टल जैसे सीसीटीएनएस एवं आईसीजेएस से प्राप्त डेटा को AI और MI तकनीकों से विश्लेषण कर प्रभावशाली प्रयोग करना।
2. सुरक्षा के विभिन्न आयामों में न्यूनतम मानकों को विकसित करना।
3. ड्रग्स के विरूद्ध अभियानों में समस्त एजेंसियों के मध्य परस्पर समन्वय स्थापित कर इस अभियान को राष्ट्रीय आन्दोलन के रूप में परिवर्तित करना।
4. सीएपीएफ एवं राज्य पुलिस बलों के मध्य बेहतर समन्वय एवं निर्बाध संचार स्थापित करने हेतु संयुक्त कार्ययोजना तैयार करना।
5. पुलिस के स्तर पर तथ्य की जांच युनिट्स की स्थापना।
6. सामुदायिक पुलिसिंग के कार्यक्रमों में स्थानीय लोगों का सहयोग लेकर संयुक्त कार्ययोजना तैयार करना।
कार्यक्रम में शामिल अतिथि मुख्य सचिव, उत्तराखण्ड श्री एस एस संधू जी ने कहा कि युवाओं द्वारा नवाचार में विशेष रूचि लेकर तकनीक एवं अनुसंधान के क्षेत्र में नई उपलब्धियां हासिल की जा रही हैं। देश के अग्रणी शैक्षिक संस्थाओं के साथ मिलकर BPR&D को पुलिस आधुनिकीकरण हेतु विशेष कार्ययोजना बनाने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि वर्तमान परिदृश्य में पुलिस को तकनीक के साथ-साथ धारणा पर भी विशेष ध्यान देना होगा।
समापन समारोह के अन्त में अशोक कुमार, पुलिस महानिदेशक, उत्तराखण्ड ने मुख्य अतिथि महोदय का आभार प्रकट किया। उन्होंने कहा कि दो दिवसीय इस पुलिस साइंस कांग्रेस का एजेंडा माननीय गृह मंत्री जी द्वारा निर्धारित किया गया था। उन्होने बताया कि तीन नए कानूनों के लागू होने के बाद भारत का क्रिमिनल जस्टिस सिस्टम एक नए युग में प्रवेश करेगा और आम जन को समयबद्ध न्याय प्राप्त होगा। उन्होंने बताया कि हार्ड कोर क्राइम के अनावरण में उत्तराखण्ड पुलिस का अनावरण प्रतिशत 88% है। उन्होने कहा कि विगत कुछ वर्षों में पुलिस बल में अभूतपूर्व परिवर्तन कर दूरगामी लक्ष्य निर्धारित कर पुलिस बल को और अधिक सक्षम व पेशेवर बनाया गया है। अन्त में उन्होंने 49वीं अखिल भारतीय पुलिस साइंस कांग्रेस के सफल आयोजन हेतु कार्यक्रम में प्रतिभाग करने वाले समस्त डेलीगेट्स, एक्सपर्ट एवं आयोजन समिति के सदस्यों का आभार व्यक्त किया।
समापन समारोह के अन्त में मुख्य अतिथि महोदय को अशोक कुमार द्वारा स्मृति चिन्ह भेंट किया गया।
इससे पूर्व 49वीं अखिल भारतीय पुलिस साइंस कांग्रेस के दूसरे दिन के सांतवें सत्र में सामुदायिक पुलिसिंग पर हुई चर्चा में श्री के.बी. देवराजन, आईपीएस, सेवानिवृत्त, पुलिस महानिदेशक ने कहा कि पुलिस कर्मियों को सामुदायिक पुलिसिंग के क्षेत्र में बेहतर परिणामों हेतु कौशल विकास का प्रशिक्षण दिया जाना महत्वपूर्ण है। समाज एवं पुलिस के बीच समन्वय बनाने के लिए समाज के सभी वर्गों, सीनियर सीटिजन, महिलाओं, युवाओं, किशोरों एवं छात्रों के लिए अलग-अलग सामुदायिक पुलिसिंग कार्यक्रम चलाये जाने की आवश्यकता पर जोर दिया गया। उन्होंने वर्तमान में नक्सल प्रभावित क्षेत्रों, सीमावर्ती क्षेत्रों, महिलाओं एवं प्रवासी मजदूरों के लिए पुलिस द्वारा चलाये जा रहे सामुदायिक पुलिसिंग कार्यक्रम के बारे में विस्तृत रूप से प्रस्ततिकरण दिया।
श्री मोहित गर्ग, आईपीएस-2013 (कमांडेंट 19वीं आईआर बटालियन सीएएफ करणपुर, जगदलपुर ने छत्तीसगढ़ में नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में सामुदायिक पुलिसिंग के तहत चलाये जा रहे कार्यक्रमों की महत्ता बताते हुए इनके लाभ बताए। मनवा-पूना-बीजापुर कम्यूनिटी पुलिसिंग प्रोग्राम के अन्तर्गत पुलिस द्वारा नक्सलवाद ये प्रभावित क्षेत्रों में पुहंचकर कार्य किया गया है। सुदुर क्षेत्रों में सिटीजन फ्रेंडली पुलिसिंग की व्यवस्था से पुलिस के कार्यों को नई पहचान मिली है। बच्चों, महिलाओं एवं विशेषकर पूर्व नक्सलियों को साथ में लेकर पुलिस द्वारा समुदाय के मध्य अपनी प्रभावी पहुंच बनायी गयी है। जिसके अनेक लाभप्रद परिणाम सामने आए हैं।
डॉ. डिंपल रावल, निदेशक, स्कूल ऑफ नेशनल सिक्योरिटी एंड लॉ, आरआरयू ने गुजरात कम्यूनिटी पुलिसिंग एवं महिला सुरक्षा के लिए पुलिस की भूमिका पर वक्तव्य दिया। पुलिस एवं सरकार के द्वारा चलाये जा रहे नारी गौरव नीति, नारी अदालत, वन स्टॉप सेंटर- सखी, सुरक्षा सेतु स्कीम के बारे में विस्तारपूर्वक बताया।
सत्र में विगत वर्ष आयोजित हुई 48वीं अखिल भारतीय पुलिस साइंस कांग्रेस के ATR अनुपालन रिपोर्ट पर भी चर्चा हुई। अंत में सदन द्वारा सम्बन्धित विषय पर खुली चर्चा हुई और 49वीं अखिल भारतीय पुलिस साइंस कांग्रेस के नये संकल्प पारित किये गये। यह संकल्प पुलिसिंग के लिये मार्गदर्शक बिन्दु होंग