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Wednesday, September 10, 2025
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आईएमए के विरोध को राजकीय आयुर्वेद एवं यूनानी चिकित्सा सेवा संघ ने बताया दुर्भाग्यपूर्ण

  • प्रांतीय कार्यकारिणी ने जिलाध्यक्षों और सचिवों से की आनलाइन मीटिंग
  • केंद्र सरकार द्वारा 58 प्रकार की सर्जरी की अनुमति देना तर्कसंगतः नपलच्याल

देहरादून, राजकीय आयुर्वेद एवं यूनानी चिकित्सा सेवा संघ ने आयुर्वेदिक चिकित्सकों को सर्जरी देने के अधिकार का इंडियन मेडिकल एसोसिएशन आईएमए के विरोध को दुर्भाग्यपूर्ण बताया।
गुरुवार को संघ के प्रदेश अध्यक्ष डा. कृष्ण सिंह नपलच्याल और संयोजक डा. डीडी बधानी सहित प्रांतीय कार्यकारिणी के सभी पदाधिकारियों ने सभी जिला कार्यकारिणी के अध्यक्ष और सचिव से आनलाइन मीटिंग की। प्रांतीय अध्यक्ष डा. नपलच्याल ने कहा कि केंद्र सरकार द्वारा 58 प्रकार की सर्जरी की अनुमति देना तर्कसंगत है, क्योंकि आयुर्वेद के शास्त्रों तथा ग्रंथों में इन सभी शल्य कर्मों का विस्तार से वर्णन किया गया है। वर्तमान में एलोपैथिक चिकित्सकों द्वारा किए जा रहे शल्य कर्म तथा इनमें प्रयोग होने वाले यंत्र आयुर्वेद की प्रसिद्ध ग्रंथ सुश्रुत संहिता से ही प्रेरित हैं। फादर आॅफ सर्जरी तथा फादर आफ प्लास्टिक सर्जरी माने जाने वाले महर्षि सुश्रुत ने 2800-3000 वर्ष पूर्व ही इन सभी शल्य कर्मो का वर्णन किया है, जिसका अध्ययन सभी आयुर्वेद चिकित्सकों के पाठ्यक्रम में सम्मिलित है। उन्होंने कहा कि आईएमए द्वारा विरोध किया जाना संकीर्ण मानसिकता का प्रतीक है।
संयोजक डा. बधानी ने भी एलोपैथिक चिकित्सकों के विरोध को दुर्भाग्यपूर्ण बताया। प्रांतीय महासचिव डा. हरदेव रावत ने कहा कि कोरोना काल में आयुर्वेद डाक्टरों ने महत्पवूर्ण भूमिका निभाई। आयुर्वेद की दवाइयां भी कोरोना महामारी में काफी कारगार साबित हुई। उन्होंने भी आईएमए के विरोध को दुर्भाग्यपूर्ण और संकीर्ण मानसिकता वाला बताया। साथ ही कहा कि आयुर्वेद डाक्टर आपातकालीन सेवा करने के लिए भी तैयार हैं।

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