- इस सूर्य ग्रहण को भारत में नहीं देखा जा सकेगा, इस ग्रहण का समय शाम 7 बजकर 3 मिनट से आरंभ होगा
- इस ग्रहण को दक्षिण अफ्रीका, प्रशांत महासागर सहित दक्षिण अमेरिका एवं मैक्सिको में देखा जा सकेगा
देहरादून, डॉक्टर आचार्य सुशांत राज ने जानकारी देते हुये बताया कि सोमवार कल यानी 14 दिसंबर 2020 को महीने में सूर्य ग्रहण लगने वाला है। यह इस साल का दूसरा और आखिरी सूर्य ग्रहण होगा। सूर्य ग्रहण 14 दिसंबर, सोमवार को भारतीय समयानुसार इस ग्रहण का समय शाम 7 बजकर 3 मिनट से आरंभ होगा और इसकी समाप्ति मध्यरात्रि में यानी 15 दिसंबर की रात 12 बजकर 23 मिनट पर होगी। इस ग्रहण की कुल अवधि 5 घंटे की रहेगी। तिथि अनुसार यह ग्रहण अगहन कृष्ण अमावस्या को घटित होगा। यह खंडग्रास प्रकार का ग्रहण होगा एवं यह भारत में दिखाई नहीं देगा इसलिए इसकी धार्मिक एवं ज्योतिष मान्यता नहीं है।
वर्ष के आखिरी सूर्य ग्रहण को भारत में नहीं देखा जा सकेगा। इसका समय विदेशों के लिए है। इस ग्रहण को दक्षिण अफ्रीका, प्रशांत महासागर सहित दक्षिण अमेरिका एवं मैक्सिको के कुछ इलाकों में देखा जा सकेगा। इसके अलावा यह सऊदी अरब, कतर, सुमात्रा, मलेशिया, ओमान, सिंगापुर, नॉर्थन मरिना आईलैंड, श्रीलंका और बोर्नियो में भी दिखाई देगा।चूंकि यह ग्रहण भारत में नज़र नहीं आएगा इसलिए गत चंद्र ग्रहण की तरह इस सूर्य ग्रहण का भी कोई सूतक काल नहीं होगा एवं इसका यहां कोई प्रभाव नहीं होगा।
ग्रहण का सूतक भले ही भारत में मान्य ना हो लेकिन ग्रहण का प्रभाव समूची सृष्टि पर एक साथ पड़ता है इसलिए ग्रहण काल के दौरान कुछ चीजों की मनाही है। ग्रहण काल में भोजन करना, कुछ पीना, तेज आवाज से बोलना, शुभ कार्य, मांगलिक कार्य आदि नहीं किए जाते हैं। इस अवधि में गर्भवती महिलाओं को भी घर से बाहर नहीं निकलना चाहिये। ऐसा करने पर गर्भस्थ शिशु पर बुरा असर पड़ सकता है। धार्मिक दृष्टि के अनुसार इस दौरान नकार शक्तियां जाग्रत होती हैं एवं वैज्ञानिक दृष्टि से इस समय सूर्य से निकलने वाला रेडिऐशन बहुत घातक होता है। इसलिए दोनों दृष्टियों के अनुसार ग्रहण काल में बाहर जाना बाधित है।
ग्रहण की अवधि के समय खाने पीने की वस्तुओं में तुलसी के पत्तों को रख देना चाहिये। ग्रहण के समय स्नान ना करें लेकिन समाप्त होने पर अवश्य स्नान करना चाहिये। इससे शुद्धिकरण हो जाता है। चूंकि इस समय प्रकृति बहुत संवेदनशील होती है, इसलिए हर बात का ध्यान रखना जरूरी हो जाता है। जहां तक सूतक की बात है, यह सूर्य ग्रहण और चंद्र ग्रहण दोनों के समय लगता है। बस घटना के समय भौगोलिकता को देखकर इसका समय तय किया जाता है। इस बार भारत में यह ग्रहण नहीं देखा जाएगा इसलिए यहां इसका सूतक नहीं लग रहा है। ग्रहण के पहले मंदिरों के पट बंद कर दिए जाते हैं और ग्रहण खत्म होने पर शुद्धिकरण के बाद खोले जाते हैं।
जब पृथ्वी चंद्रमा व सूर्य एक सीधी रेखा में आते हैं और सूर्य को चांद ढक लेता है। इससे सूर्य का प्रकाश हो जाता है एवं अंधेरा छाने लगता है। इस घटना को सूर्य ग्रहण कहा जाता है। ऐसे में वर्ष के आखिरी सूर्य ग्रहण के समय पृथ्वी और सूर्य के बीच चंद्रमा नजर आएगा। इसके चलते सूर्य आधार ढंक जाएगा।
मत्स्यपुराण की कथानुसार, जब समुद्र मंथन से अमृत निकला था तो राहु नाम के दैत्य ने देवताओं से छिपकर उसे पी लिया था। यह होते हुए सूर्य और चंद्रमा दोनों ने देख लिया था। इस बात की जानकारी उन्होंने भगवान विष्णु को दी। यह सुन विष्णु जी को बहुत क्रोध आ गया। उन्होंने राहु के इस अन्यायपूर्ण कृत के चलते उसे मृत्युदंड देने के लिए उस पर सुदर्शन चक्र से वार किया। ऐसा करने पर राहु का सिर उसके धड़ से अलग हो गया। लेकिन उसने अमृतपान किया हुआ था जिसके चलते उसकी मृत्यु नहीं हुई। वहीं, राहु ने सूर्य और चंद्रमा से प्रतिशोध लेने के लिए दोनों पर ग्रहण लगा दिया। इसे ही आज सूर्यग्रहण और चंद्रग्रहण के नाम से जाना जाता है।
सूर्यग्रहण :- 14 दिसंबर 2020 की शाम को 07:03 बजे शुरू हो जाएगा और सूर्यग्रहण की समाप्ति 14 दिसंबर 2020 की मध्यरात्रि उपरान्त यानि 15 दिसंबर 2020 की 12:23 बजे पर होगी।
डॉक्टर आचार्य सुशांत राज ने जानकारी देते हुये बताया की सूर्य ग्रहण का प्रभाव सभी राशियों पर पड़ेगा। ज्योतिष शास्त्र में सूर्य ग्रहण को प्रमुख घटना माना गया है।