देहरादून 9 मई, वरिष्ठ राज्य आंदोलनकारी व महिला आयोग की पूर्व अध्यक्ष सुशीला बलूनी का 84 वर्ष की उम्र में निधन हो गया। आज मंगलवार की शाम घर पर अचानक तबीयत बिगड़ने पर परिजन उन्हें इलाज के लिए मैक्स अस्पताल ले गए थे। जहां उन्होंने अंतिम सांस ली। वरिष्ठ राज्य आंदोलनकारी सुशीला बलूनी पिछले दो-तीन साल से अस्वस्थ चल रही थीं। परिजनों के मुताबिक पिछले साल जुलाई में उन्हें हार्ट संबंधी समस्या के चलते भी अस्पताल में भर्ती किया गया था। बलूनी के तीन पुत्र और विजय बलूनी और एक बेटी है।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने भी वरिष्ठ राज्य आंदोलनकारी तथा उत्तराखंड महिला आयोग की पूर्व अध्यक्ष सुशीला बलूनी के निधन पर दुःख व्यक्त किया है। उन्होंने दिवंगत आत्मा की शांति एवं शोक संतप्त परिजनों को धैर्य प्रदान करने की ईश्वर से कामना की। मुख्यमंत्री ने कहा कि पृथक उत्तराखण्ड के निर्माण में सुशीला बलूनी के योगदान को सदैव याद रखा जायेगा।
बताते चलें सुशीला बलूनी 80 के दशक में हेमवती नंदन बहुगुणा के समर्थक के रूप में पौड़ी गढ़वाल लोक सभा चुनाव से राजनीति में सक्रिय रहीं थीं। सुशीला बलूनी उत्तराखंड क्रांति दल में भी लम्बे समय तक रहीं। उनकी उत्तराखंड राज्य निर्माण आंदोलन में भी बड़ी अहम भूमिका रही थी। उन्होंने 2003 में देहरादून मेयर का चुनाव भी लड़ा और त्रिकोणीय संघर्ष में बहुत अच्छे वोट हासिल किए, लेकिन चुनाव नहीं जीत पाईं। बाद में वह भाजपा में शामिल हो गई थीं। वह उत्तराखंड आंदोलनकारी सम्मान परिषद की अध्यक्ष और उत्तराखंड महिला आयोग की अध्यक्ष भी रहीं। उनकी छवि एक जुझारू, संघर्षशील और ईमानदार महिला नेत्री के रूप में रही। उन्हें उत्तराखंड में सुशीला ताई या सुशीला दीदी के नाम से भी जाना जाता रहा है।