देहरादून, शिव शक्ति महिला मंडल द्वारा तीज महोत्सव का आयोजन पटेल नगर लालपुल स्थित एक होटल में किया गया। तीज कार्यक्रम में महिलाओं हेतु सूंदर फूलो की सजावट के साथ महिलाओं ने रंगारंग प्रस्तुतियां दी गई और कार्यक्रम में महिलाओं द्वारा तंबोला भी खेला गया। कार्यक्रम में 15 से 20 महिलाओं ने अलग-अलग गानों पर प्रस्तुतियां दी कार्यक्रम में 40 तक की उम्र वाली महिलाओं व 40 से ऊपर की उम्र वाली महिलाओं के लिए तीज क्वीन का आयोजन भी किया गया जिसमें कार्यक्रम की जज अर्चना गुप्ता संगीता सेठ निशा कपूर द्वारा प्रथम नेहा ग्रोवर द्वितीय नेहा अग्रवाल तथा तृतीय मेघा सेठ को 40 तक की उम्र की श्रेणी में तीज क्वीन को चुना गया।
शिव शक्ति महिला मंडल के पदाधिकारियों ने कहा तीज के त्यौहारों के माध्यम से आपसी प्रेम हर जीव जंतु ,पेड़ पक्षी व प्राकृति की रक्षा के प्रयास किये जाते है। श्रावण मास में सर्वत्र भक्ति का वातावरण रहता है और प्रकृति में हर तरफ हरियाली की मनोरम छटा दिखाई देती है। इसी भक्ति भरे श्रावण माह में हरियाली तीज का पावन पर्व मनाया जाता है। यह पावन व्रत प्रत्येक वर्ष सावन माह के शुक्ल पक्ष तृतीया तिथि के मनाया जाता है। यह तीज व्रत सुहागिन महिलाएं दाम्पत्य जीवन की सुख-समृद्धि हेतु करती हैं। सनातन देवी देवताओं के असंख्य प्रसंग इस विषय पर है। श्री कृष्ण राधा व बृज के नागरिकों का निश्च्छल प्रेम ही था की श्रीकृष्ण मथुरा चले गए, तब गोपियों ने बार-बार श्रीकृष्ण को संदेश भेजा कि वे वे गोकुल लौट आएं। श्रीकृष्ण ने गोपियों को समझाने के लिए उद्धव जी को गोकुल भेजा। उद्धव जी ने राधा और गोपियों को वैराग्य का उपदेश दिया, लेकिन राधा जी ने उद्धव जी की बात नहीं मानी। उन्होंने यमुना तट के एक उपवन में जाकर श्रीकृष्ण का ध्यान किया।
श्रीकृष्ण प्रकट हुए और राधा के साथ झूला झूलने लगे। जब राधा जी ने श्रीकृष्ण के प्रकट होने की बात गोपियों को बताई, तो उन्होंने भी श्रीकृष्ण का ध्यान किया और उन्हें भी लगा कि श्रीकृष्ण उनके साथ हैं। जब उद्धव जी को यह बात पता लगी कि श्रीकृष्ण गोकुल में गोपियों के साथ थे, तो वे श्रीकृष्ण के पास मथुरा पहुंचे। उन्हें यह पता चला श्रीकृष्ण तो मथुरा से गये ही नहीं। इस पर वे हैरान रह गए। तब भगवान कृष्ण ने उनसे कहा- जो भी पवित्र भाव से मुझे याद करता है, मैं उसके पास उपस्थित हो जाता हूं। अन्य प्रसंग में श्रावण मास में माता पार्वती ने भगवान शिव को पति रूप में पाने के लिए कठोर तपस्या की थी। इससे प्रसन्न होकर भगवान शिव ने हरियाली तीज के दिन ही मां पार्वती को पत्नी रूप में स्वीकार किया था।