10.5 C
Dehradun
Wednesday, February 5, 2025

पौष पूर्णिमा के साथ ही प्रयागराज में महाकुंभ की शुरुआत

प्रयागराज। प्रयागराज में तीन नदियों की त्रिवेणी में स्नान कर लोग मोक्ष की कामना करते हैं। श्रद्धा, आस्था और संस्कृति का महापर्व भारत की सनातन परंपरा का उद्घोष है। भारत विश्व बंधुत्व का उद्घोष करता रहा है। इसमें करुणा, आत्मीयता और परस्पर सद्भाव है। महाकुंभ के आयोजन से भारत दुनिया को यह संदेश देता है कि किस तरह अनेकता में एकता का दर्शन यहां होता है। महाकुंभ 2025 का शुभारंभ हो गया है। पवित्र स्नान के पहले दिन लाखों श्रद्धालुओं ने स्नान किया। अनुमान है कि इस बार महाकुंभ में 40 करोड़ से अधिक श्रद्धालु पवित्र स्नान करेंगे। संगम नगरी में महाकुंभ मेले का दिव्य और भव्य आगाज हो गया है। पौष पूर्णिमा के साथ ही 26 फरवरी तक चलने वाले महाकुंभ की शुरुआत हो गई है। इस बार महाकुंभ में 40 करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं के शामिल होने का अनुमान लगाया जा रहा है। महाकुंभ के पहले दिन से प्रयागराज में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ जुटी है। लाखों श्रद्धालुओं ने त्रिवेणी संगम में पवित्र डुबकी लगाई हैं। 144 साल बाद दुर्लभ संयोग में रविवार की आधी रात संगम पर पौष पूर्णिमा की प्रथम डुबकी के साथ महाकुंभ का शुभारंभ हुआ। विपरीत विचारों, मतों, संस्कृतियों, परंपराओं स्वरूपों का गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती की त्रिवेणी के तट पर महामिलन 45 दिन तक चलेगा। इस अमृतमयी महाकुंभ में देश-दुनिया से 45 करोड़ श्रद्धालुओं, संतों-भक्तों, कल्पवासियों और अतिथियों के डुबकी लगाने का अनुमान है। थरथरा देने वाली कंपकंपी आस्था के आगे मीलों पीछे छूट गई। संगम पर आधी रात लाखों श्रद्धालुओं का रेला उमड़ पड़ा। कहीं तिल रखने की जगह नहीं बची। आधी रात से ही पौष पूर्णिमा की प्रथम डुबकी का शुभारंभ हो गया। इसी के साथ संगम की रेती पर जप, तप और ध्यान की वेदियां सजाकर मास पर्यंत यज्ञ-अनुष्ठानों के साथ कल्पवास भी आरंभ हो गया। समुद्र मंथन के दौरान निकले कलश से छलकीं अमृत की चंद बूंदों से युगों पहले शुरू हुई कुंभ स्नान की परंपरा का आज से आगाज हो गया। इस बार महाकुंभ में 183 देशों के लोगों के आने की उम्मीद है।

डॉक्टर आचार्य सुशांत राज का कहना हैं की जब बृहस्पति कुंभ राशि और सूर्य मेष राशि में प्रवेश करता है, तब कुंभ लगता है। त्रिवेणी संगम के कारण प्रयाग का महाकुंभ सभी मेलों में ज्यादा महत्व रखता है। देवताओं और राक्षसों के बीच समुद्र मंथन के दौरान 14वें रत्न के रूप में अमृत कलश निकला था, जिसे हासिल करने के लिए उनमें संघर्ष हुआ। असुरों से अमृत बचाने के लिए भगवान विष्णु ने विश्व मोहिनी रूप धारण कर वह अमृत कलश अपने वाहन गरुड़ को दे दिया। असुरों ने गरुड़ से वह कलश छीनने का प्रयास किया तो अमृत की कुछ बूंदें प्रयागराज, नासिक, हरिद्वार और उज्जैन में गिर गईं। तब से हर 12 साल बाद इन स्थानों पर कुंभा मेला आयोजित किया जाता है। महाकुंभ कब से शुरू हुआ, इस संबंध में कुछ भी लिखित प्रमाण नहीं है। हालांकि, इस मेले का सबसे पहला लिखित प्रमाण बौद्ध तीर्थयात्री ह्वेनसांग के लेख में मिलता है। उन्होंने छठवीं शताब्दी में सम्राट हर्षवर्धन के शासनकाल में होने वाले कुंभ मेले का वर्णन किया है। वहीं, ईसा से 400 वर्ष पूर्व सम्राट चंद्रगुप्त के दरबार में आए एक यूनानी दूत ने भी ऐसे ही मेले का जिक्र अपने लेख में किया है। सनातन धर्म ध्वजा के संवाहक रहे महाराजा विक्रमादित्य और महाराजा हर्षवर्धन के बाद इसे संयोग ही कहेंगे कि केंद्र में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और यूपी में सीएम योगी आदित्यनाथ जैसे भारतीय संस्कृति के संवाहक इस महाकुंभ का दायित्व संभाल रहे हैं। आदि गुरु शंकराचार्य ने धर्म की रक्षा के लिए अखाड़ों की परंपरा बनाई। यह अलग बात है उस समय अखाड़े के नागा संन्यासी शस्त्र विद्या में पारंगत थे। यही अखाड़े हिंदू धर्म की रक्षा सनातन धर्म के पवित्र ग्रंथों और धार्मिक स्थलों की रक्षा करते रहे हैं। आज फिर से उसी संरक्षण और संवर्धन के लिए संवाहक पूरे मनोयोग से कार्य कर रहे हैं। इस बार के महाकुंभ को अगर विशेष कहा जा रहा तो इसके पीछे आधार यह है कि इस महाकुंभ में स्नान का मौका व्यक्ति को जीवन में एक बार ही मिल सकता है। 144 साल बाद महाकुंभ का सुअवसर आया है। 12 वर्ष बाद आयोजित होने वाले कुंभ को पूर्णकुंभ कहा जाता है और 12 पूर्णकुंभों के बाद यह महाकुंभ पड़ रहा है। न सिर्फ भारत, बल्कि दुनिया के तमाम देशों के लोगों में हमारी परंपरा और संस्कृति के प्रति खास ललक, श्रद्धा और विश्वास दिख रहा है। महाकुंभ का विशाल आयोजन वसुधैव कुटुंबकम का उद्घोष करने वाले सनातन धर्म का सर्वस्पर्शी आध्यात्मिक राष्ट्रीय सनातन परंपराओं से ओतप्रोत है।

Related Articles

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Stay Connected

22,024FansLike
0FollowersFollow
0SubscribersSubscribe

Latest Articles

- Advertisement -spot_img
error: Content is protected !!