देहरादून। वामपंथी पार्टियां भाकपा, माकपा और भाकपा(माले) ने तीन कृषि कानूनों और प्रस्तावित बिजली अधिनियम के खिलाफ देशव्यापी किसान आंदोलन का समर्थन किया है। साथ ही किसान संगठनों द्वारा कल प्रस्तावित भारत बंद में किसान संगठनों के साथ सक्रियता पूर्वक भागीदारी करने का निर्णय लिया है।
भाकपा के राज्य सचिव समर भण्डारी, माकपा के राज्य सचिव राजेंद्र सिंह नेगी और भाकपा(माले) के गढ़वाल सचिव इन्द्रेश मैखुरी की ओर से जारी संयुक्त प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया है कि केंद्र की मोदी सरकार ने किसानों को दिल्ली पहुंचने से रोकने के लिए जिस तरह का बर्ताव किया, वह आलोकतांत्रिक, असंवैधानिक और तानाशाहीपूर्ण था। किसानों के साथ दुश्मनों जैसा सलूक किया जाना निंदनीय है। तीन नए कृषि कानून इस देश के किसानों के हितों पर कुठराघात करते हुए खेती-किसानी को कॉरपोरेट घरानों के हवाले करने के लिए लाये गए हैं।
उन्होंने कहा कि ये कानून मंडी व्यवस्था और न्यूनतम समर्थन मूल्य जैसी व्यवस्था के खात्मे का आधार हैं। इन कानूनों के जरिये केंद्र सरकार ने अनाज, दाल, खाद्य तेल, तिलहन,आलू,प्याज की कालाबाजारी को वैध बना दिया है. यह किसानों के लिए ही नहीं देश की खाद्य सुरक्षा के लिए भी गंभीर खतरा पैदा करेगा। तीनों नेताओं ने केंद्र सरकार से इन किसान विरोधी काले कानूनों को तत्काल रद्द करने की मांग की।