- हाईकोर्ट ने कहा कि 5 महीने से रोडवेज कर्मचारियों को वेतन न देकर सरकार ने उनको भूखा मरने के हाल पर छोड़ा
- कोरोना के चलते हालात खराब तो वित्त सचिव, परिवहन सचिव और बाकी आईएएस की सेलरी क्यों नहीं रोक देते
- कर्मचारियों की सेलरी रोकने पर उनके दर्द का अहसास तभी हो सकता है जब आप लोगों को भी सेलरी न मिले
नैनीताल, उत्तराखंड परिवहन निगम द्वारा रोडवेज कर्मचारियों को कोविड लाॅकडाउन के दौरान पिछले पांच महीने से वेतन और पेंशन नहीं देने पर दायर जनहित याचिका पर छुट्टी के बावजूद शनिवार को नैनीताल हाईकोर्ट में चीफ जस्टिस आरएस चैहान की बेंच में सुनवाई हुई। हाईकोर्ट ने शुक्रवार की सुनवाई में सरकार के रुख से नाराजगी जताते हुए मुख्य सचिव ओमप्रकाश, वित्त सचिव अमित नेगी और परिवहन सचिव डॉ रंजीत कुमार सिन्हा को वर्चुअली तलब किया था।
शनिवार को हाईकोर्ट ने एक बार फिर जमकर सरकार को फटकार लगाई और यहां तक कहा कि पांच महीने से रोडवेज कर्मचारियों को वेतन न देकर सरकार ने उनको भूखा मरने के अपने हाल पर छोड़ दिया, लेकिन अदालत इस तरह से कर्मचारियों के मानवाधिकारों का हनन नहीं होने देगी। हाईकोर्ट ने कहा कि रोडवेज के कर्मचारी सरकार के बंधुआ मजदूर नहीं हैं, जिनसे महीनों बिना सेलरी के काम कराया जाए। कोर्ट ने सवाल किया कि सरकार इतनी असंवेदनशील कैसे हो सकती है?
चीफ जस्टिस आरएस चौहान ने कड़ी फटकार लगाते हुए कहा कि अगर कोरोना के चलते हालात खराब हो गए तो वित्त सचिव अमित नेगी, परिवहन सचिव डॉ रंजीत कु्मार सिन्हा और तमाम आईएएस की सेलरी क्यों नहीं रोक देते। कोर्ट ने कहा कि कर्मचारियों की सेलरी रोकने पर उनके दर्द का अहसास तभी हो सकता है जब आप लोगों को सेलरी न मिले।
हाईकोर्ट ने परिवहन सचिव को फटकार लगाते हुए कहा कि आप 6 मार्च से परिवहन सचिव हैं लेकिन आपने कर्मचारियों की सेलरी-पेंशन को लेकर क्या किया। रंजीत सिन्हा ने कहा अभी कल ही 23 करोड़ रु दिए गए हैं। जिस पर हाईकोर्ट ने पूछा इससे फरवरी और बमुश्किल मार्च की सेलरी दी जा सकेगी। क्योंकि हर माह निगम को 17 करोड़ चाहिए। कोर्ट ने कहा बाकी 68 करोड़ पर कब फैसला होगा। चीफ जस्टिस ने कहा कि रोडवेज के लंबित वेतन केस में ऐसा लगता है कि सरकार नकली दवा दे रही मर्ज ठीक करने को, जबकि सर्जरी की दरकार है।
हाईकोर्ट ने कहा कि सवाल सिर्फ जून तक की सेलरी का नहीं बल्कि दिसंबर 2021 तक इस पर खर्च होने वाले 170 करोड़ रुपये का है, जिसे लेकर सरकार सोई हुई है। चीफ जस्टिस आर एस चौहान ने कहा कि जब त्वरित तौर पर चारधाम यात्रा को लेकर कैबिनेट बुलाई जा सकती है तब राज्य के हजारों लोगों की रोजी-रोटी के सवाल यानी सेलरी-पेंशन पर आपात कैबिनेट क्यों नहीं बुलाई जा सकती है। हाईकोर्ट ने कहा कि ये भी हो सकता है कि अफसरों ने मुख्यमंत्री को कार्मिकों के दर्द के बारे में पूरी तरह से बताया नहीं गया होगा अन्यथा पांच महीने से रुकी सेलरी पर कोई निर्णय हो गया होगा।
चीफ जस्टिस चौहान ने कहा कि रविवार या सोमवार को आपात कैबिनेट बैठक बुलाकर कर्मचारियों की रुकी सेलरी को लेकर निर्णय लें और मंगलवार 29 जून को हाईकोर्ट को अवगत कराएं। हालांकि, सरकारी वकील एसएन बाबुलकर ने तर्क दिया कि बारिश का मौसम है और इतना जल्दी कैबिनेट के सभी सदस्यों यानी मंत्रियों को बुलाना संभव नहीं होगा। इस पर हाईकोर्ट चीफ जस्टिस ने कहा कि वर्चुअल कैबिनेट मीटिंग बुलाइये। प्रधानमंत्री वर्चुअली सब मुख्यमंत्रियों से लगातार बात कर रहे है क्या आपके पास वर्चुअल कैबिनेट के संस्थान नहीं हैं।
चीफ जस्टिस चौहान ने चीफ सेक्रेटरी ओमप्रकाश से कहा कि उम्मीद है आप मुख्यमंत्री को कल या परसों आपात बैठक बुलाने को रजामंद कर पाएंगे ताकि हमारे हजारों लोगों को भूख मरने के लिए न छोड़ा जाए।