देहरादून, भाजपा से निष्काषित होने के बाद हरक सिंह रावत के पास केवल कांग्रेस का ही विकल्प बचा है, उधर हरक के आने आहट से ही पार्टी के नेताओं ने विरोध करना शुरू कर दिया है। खास तौर पर जहाँ जहाँ से टिकट मांगने की सम्भावनायें हैं। केदारनाथ से विधायक मनोज रावत ने हरक को कांग्रेस में लेने का विरोध किया है। केदारनाथ विधायक मनोज रावत ने भी हरक को लेने पर आपत्ति जताई है उन्होंने कहा कि छह साल पहले हरक की वजह से कांग्रेस सरकार के गिरने की नौबत आ गई थी। अब पांच साल भाजपा सरकार में सत्ता का मजा लेने के बाद अब वो वापस आना चाहते हैं, इसका क्या मतलब है? हरक को पार्टी में लिया गया तो कार्यकर्ताओं का मनोबल टूटेगा। मनोज रावत ने कहा दिल्ली को भी कार्यकर्ताओं की भावना से अवगत कराया जाएगा। कांग्रेस के भीतर ही कहीं खुल कर तो कहीं अंदर ही अंदर विरोध चल रहा है विरोध करने वाले वही लोग और उनके समर्थक हैं जो पिछले 5 साल से चुनाव की तैयारी कर रहे हैं।
अब अगर हरक सिंह कांग्रेस ज्वाइन करते हैं कई सीटों के समीकरण गड़बड़ाने की आशंकायें हैं. भाजपा में वह केदारनाथ से टिकट मांग रहे थे इसी लिए मौजूदा विधायक मनोज रावत उनका कांग्रेस में विरोध कर है हालांकि अब हरक अब सौदेबाजी की स्थिति में नहीं हैं फिर भी अगर हरक डोईवाला से टिकट मांगते हैं तो पूर्व विधायक तथा वरिष्ठ कांग्रेसी हीरा सिंह बिष्ट तथा एसपी सिंह के टिकटों पर संकट आएगा। अगर हरक डोईवाला से टिकट देते हैं तो यदि हीरा सिंह बिष्ट को विकल्प रायपुर से टिकट देना पड़ेगा फिर वहां पहले से तैयारी कर रहे प्रभु लाल बहुगुणा और आरएसएस से कांग्रेस में आए महेंद्र सिंह नेगी गुरुजी की दावेदारी पर भी असर पड़ेगा। हरक यमकेश्वर से भी चुनाव लड़ने मन बना रहे थे किन्तु भाजपा छोड़ कांग्रेस में जाने वाले शैलेंद्र रावत वहां पहले से ही मौजूद है। लैंसडौन से हरक की बहु अनुकृति गुसाई पहले से ही तैयारी कर रही है और कहीं से टिकट न मिलने पर निर्दलीय लड़ने का मन बना चुकी हैं।
सूत्रों की माने तो अब हरक सिंह के भाजपा से विदाई के बाद पार्टी के कई दावेदारों ने चैन की सांस ली है पार्टी में अब मारामारी की स्थिति नहीं रहेगी। वहीँ उनके कांग्रेस ज्वाइन करने के बाद वह कहीं से भी चुनाव लड़ते हैं तो कांग्रेस में घमासान मचना तय माना जा रहा है। उधर चुनाव की घोषणा से पहले हरक जिन विधायकों के साथ का दम भर रहे थे उनमे से कोई भी उनके साथ नजर नहीं आ रहा है, कुल मिला कर कहा जाये तो हरक के लिए अभी की स्थिति अच्छी नजर नहीं आ रही है। सोशल मीडिया में भी हरक सिंह रावत को लेकर दोनों तरह की प्रतिक्रियाएं सामने आ रही हैं। कुछ कांग्रेसी कार्यकर्ता हरक की वापसी को पार्टी को चुनावी बढ़त का हिस्सा मान रहे हैं। जबकि कई राजनैतिक विरोधियों का यह कहना है कि हरक जैसे दल बदलू नेताओं से पार्टीयों को दूरी बना कर रखनी चाहिए। यदि ऐसे लोगों को पार्टियां बार-बार अपने मंच का इस्तेमाल करने देती हैं तो जो कार्यकर्ता झंडे, बैनर और दरी लगा कर टिकट की उम्मीद लगाता है तो फिर वह पार्टी इस कृत्य से हतोत्साहित होता है।