देहरादून, अंग्रेजो की सेना में भर्ती होकर 1815 से 1915 तक विश्व भर विभिन्न युद्धों में लड़ कर वीर गति को प्राप्त हुए बहादुर गोरखों की याद में निर्मित युद्ध स्मारक है लाल गेट, लेकिन इतिहास के पन्नो मे धीरे-धीरे खो रही लाल गेट मेमोरियल आर्क, भारत के देहरादून में गोरखा रेजिमेंट की स्वर्णिम स्मृति।
वर्ष 1814-16 में हुए नालापानी खलंगा में आंगला-नेपाली युद्ध में अंग्रेज ने अपने शत्रु वीर गोरखों की युद्ध लड़ने की अदभुत क्षमता से बहुत प्रभावित हुए साथ ही गोरखा भी उनसे बहुत प्रभावित हुए। अपने वीर प्रतिद्वन्दियों की अदम्य वीरता देख कर ब्रिटिशों ने गोरखों को अपनी सेना में शमिल करने का निर्णय लिया और वर्ष 1815 के प्रारंभ में सिरमूर राईफल्स बटालियन की स्थापना की गई।
बटालियन का गठन 15 मार्च 1941 को किंग एडवर्ड के चौथी बटालियन सिरमूर राईफल्स के रूप में ले. कर्नल ओडीटी लोवेट के नेतृत्व में देहरादून में किया गया। 1948 में इसका 5/8 के रूप में इसका पुनर्गठन किया गया। बटालियन ने विभिन्न ऑपरेशन में अपनी वीरता का परिचय दिया है। स्थापना के तुरंत बाद बटालियन ने द्वितीय विश्व युद्ध के दौरा बर्मा (म्यामार) अभियान में भाग लिया था। इस दौरान बटालियन ने 80 जापानी सैनिकों को मार गिराया था। इसके साथ ही बटालियन ने नागालैंड में भी अपनी बहादुरी का परिचय दिया। साथ ही बटालियन ने ऑपरेशन रिइल, ऑपरेशन कैक्टस, उधमपुर-डोडा में चले ऑपरेशन, संयुक्त राष्ट्र मिशन, बटालिक सेक्टर में अपने अदम्य साहस का परिचय दिया था।
प्रथम विश्व युद्ध से पहले 2 जी आर के अधिकारियों ने देहरादून में रेजिमेंट के 100 वें वर्ष को यादगार बनाने के लिए 1915 में एक शताब्दी स्मारक बनाने का निर्णय लिया। 1912 में देहरादून स्थित रेजिमेंटल लाइन्स के प्रवेश द्वार पर स्मारक का निर्माण शुरू हुआ। 1/2 जी आर, मैकफेरसन लाइन्स और 2/2 जीआर, बीचर लाइन्स की ओर जाने वाली सड़क पर एक शताब्दी स्मारक बनाया गया जिसे आज “लाल गेट” के नाम से जाना जाता है।
वीर गोरखालियों की विरासत, गोरखा रेजिमेंट और गोरखाली समुदाय की स्मृति जोहरी गाँव (उत्तर) और बीरपुर (पश्चिम) से लेकर क्लेमेंट टाउन (दक्षिण) और खलंगा-नालापानी किला (पूर्व) तक देहरादून क्षेत्र के आसपास बिखरी हुई है। सिरमूर बटालियन बाद में दूसरी किंग एडवर्ड सप्तम की अपनी गोरखा राइफल्स बन गई और गढ़ी कैण्ट, देहरादून स्थित लाल गेट से उनका गहरा संबंध था। देखभाल और सुलभ जानकारी की गंभीर कमी के कारण देहरादून क्षेत्र में गोरखाओं की विरासत, इतिहास धीरे धीरे लुप्त होती जा रही है।
प्रत्येक वर्ष 7 जून तानबिनगान दिवस के अवसर पर 5/8 जी आर, सिरमूर राइफल्स के पूर्व सैनिक संगठन देहरादून के आफिसर्स, जे सी जो एवं जवान द्वारा लाल गेट पर एकत्र हो कर युद्ध में वीरगति प्राप्त हुये अपने वीर पुरखों को श्रद्धाजंली अर्पित करते हैं।
आज इस अवसरपर कर्नल एस०सी० नैथानी, कर्नल एनएस थापा, कर्नल युवराज लामा, आनरेरी कैप्टेन तिलकराज गुरूंग, सुबेदार दीपक सिंह थापा, आनरेरी कैप्टेन रोबिन राना, सुबेदार गंगा बहादुर गुरूंग, सुबेदार कुंबा सिंह थापा, नायब सुबेदार धन बहादुर थापा उपस्थित थे।