देहरादून 27 जुलाई, उत्तराखंड में ऊर्जा के तीन निगमों के कर्मचारियों ने सोमवार मध्यरात्रि से सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल, हड़ताल पर चले गए हैं। ज्यात हो कि एसीपी की पुरानी व्यवस्था की बहाली और समान काम के लिए समान वेतन समेत 14 सूत्रीय मांगों को लेकर शासन के साथ सोमवार पूरे दिन और देर रात वार्ता जारी रहने के बावजूद समाधान नहीं निकला। शासन ने मांगों को मानने के लिए मंगलवार को होने वाले कैबिनेट बैठक में प्रस्ताव रखने का भरोसा भी दिया, लेकिन कार्मिकों ने इससे संतुष्ट नहीं हैं। हालांकि ऊर्जा सचिव सौजन्या ने बताया कि ऊर्जा कर्मचारी संगठनों ने मंगलवार सुबह शासन के प्रस्ताव पर विचार करने का भरोसा दिया है। उधर, उत्तराखंड विद्युत अधिकारी कर्मचारी संयुक्त संघर्ष मोर्चा ने हड़ताल प्रारंभ कर दी। इससे मनेरी भाली और पछवादून की पांच जल विद्युत परियोजनाओं में उत्पादन ठप हो गया है। उत्तराखंड में ऊर्जा के तीन निगमों के 3500 से ज्यादा कार्मिकों ने सोमवार मध्यरात्रि से हड़ताल पर चले जाने के साथ ही प्रदेश में कई जगहों पर बिजली आपूर्ति भी बाधित हो गई है। तीनों निगमों के ऊर्जाकर्मियों की सचिव और फिर मुख्य सचिव से वार्ता विफल होने के बाद उत्तराखंड विद्युत अधिकारी कर्मचारी संयुक्त संघर्ष मोर्चा ने सोमवार रात 12 बजे से हड़ताल शुरू कर दी है। इसके तहत न तो यूजेवीएनएल के विद्युत गृहों पर कर्मचारी काम करेंगे और न ही बिजली से जुड़ी किसी भी गतिविधि में सहयोग करेंगे। ऊर्जा कमियों की हड़ताल से कई जगह बत्ती गुल है जिससे आम आदमी परेशान है।
वहीं, देहरादून में भी कई फीडर से बिजली आपूर्ति बाधित हो गई है। दून के सभी बिजलीघरों में ताले लटके हैं। बिजली कटने की वजह से लोग भी परेशान हो रहे हैं।
सीएस ने कर्मचारियों को सभी मांगों को कैबिनेट में लाने की बात कही, लेकिन कर्मचारी अपने जिद पर अड़े रहे, और यह वार्ता विफल रही। जिसके बाद अपनी 14 सूत्रीय मांगों को लेकर ऊर्जा कर्मचारियों ने बीती रात 12 बजे से हड़ताल शुरू कर दी है।
सोमवार को हड़ताल की घोषणा के साथ ही सचिव ऊर्जा सौजन्या ने कर्मचारियों को सचिवालय में बातचीत के लिए बुलाया था. करीब 4 घंटे तक चली यह वार्ता विफल रही. कर्मचारी सरकार को और समय देने को तैयार नहीं हुए. जिसके बाद शाम को मुख्य सचिव से भी वार्ता हुई लेकिन वो भी बेनतीजा रही।
कर्मचारियों का कहना है कि उपनल संविदा और सेल्फ हेल्प कार्मिकों के समान कार्य के लिए समान वेतन देने, विभिन्न भत्ते देने सहित 14 सूत्रीय मांगों को लेकर उन्होंने हड़ताल करने का निर्णय लिया है. यदि उनकी मांगों को लेकर कोई समाधान नहीं निकला, तो कर्मचारियों को अनिश्चिकालीन हड़ताल पर जाने को मजबूर होना पड़ेगा. बता दें कि तीनों ऊर्जा निगम के कर्मचारी बीते 4 सालों से एसीपी की पुरानी व्यवस्था और उपनल के माध्यम से कार्योजित कार्मिकों के नियमितीकरण और समान कार्य समान वेतन की मांग को लेकर लामबंद है। कुछ जगहों पर बिजली कर्मचारियों के हड़ताल पर जाने के बावजूद बिजली आपूर्ति सुचारू रही।