देहरादून, 20 नवम्बर छठ महापर्व के पावन अवसर पर शुक्रवार को राजधानी में हजारों श्रद्धालुओं ने सूर्य भगवान को अर्ध्य दिया। कोरोना के कारण सार्वजनिक तौर पर सूर्यदेव को अर्ध्य देने पर पाबंदी रही। इस वजह से घरों और मुहललों में ही सूर्य भगवान का पूजन-वंदन हुआ। बेहद कठिन व्रत रखने वाले व्रतियों ने जल में खड़ा रहकर पंरपरागत ढंग से पूजन और आराधन किया।
शुक्रवार को अस्ताचलगामी सूर्य को अर्ध्य अर्पित किया गया। व्रत धारण करने वाली महिलाओं ने फलों, ठेकुआ और अन्य पूजा सामग्री से भरी टोकरी, तिलक –चंदन के साथ छठ मइया का पूजन किया। घंटों व्रती जल में खड़े रहे और सूर्य देव-छठी मइया का पूजन करते रहे। इस दौरान लोगों ने गीत गाए। सूर्य देव और छठी मइयां को समर्पित गीतों ने वातावरण भक्तिभाव से परिपूर्ण कर दिया। श्रद्धालुओं ने भोजपुरी, मगहगी, मैथिली भाषा बोली में मनभावन गीत गाए।
सांई मंदिर के मुख्य पुजारी पंडित विनोद झा ने बताया कि सभी पूर्वा समाज के समुदायों ने श्रद्धा और भक्ति के साथ पर्व मनाया है। मर्यादा और संयम का परिचय दिया गया है। इससे पाजिटिव एनर्जी पैदा हुई है। पंडित विनोद झा और पंडित हरेराम झा समेत बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने काठ बंगला में सूर्य भगवान को अर्ध्य दिया।
नेशविला रोड पर बिहारी महासभा के को कोषाध्यक्ष रितेश कुमार के आवास पर जिलाधिकारी आशीष श्रीवास्तव समेत कई अधिकारियों ने शिरकत की। इस मौके पर जिलाधिकारी आशीष कुमार श्रीवास्तव ने सभी को छठ महापर्व की शुभकामनाएं दी। उनका कहना था कि कोरोना काल के कारण तमाम बंदिशें हैं। लेकिन हम सभी आत्मिक भाव से इस महापर्व को मना रहे हैं। सहस्त्रधारा मार्ग पर आलोक कुमार सिन्हा के निवास पर भी विधि विधान से पूजन किया गया। कार्यक्रम में बिहारी महासभा के अध्यक्ष ललन सिंह, सचिव चंदन कुमार झा, रितेश कुमार, अजय कुमार, डा. अमर कुमार आदि शामिल रहे। शिव सेना मुख्यालय में भी छठ पूजन किया गया। यहां पर शिव सेना प्रमुख गौरव कुमार ने कहा कि छठ महापर्व है जो सूर्य भगवान के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करता है। हम सभी को चाहिए कि इस महापर्व को मिलकर मनाएं। इस मौके पर जिला प्रमुख अमित कर्णवाल समेत बड़ी संख्या में लोग शामिल हुए। उन्होंने कहा कि छठ महापर्व सूर्य भगवान और उषा-प्रत्यूषा के प्रति कृतज्ञता जताने का त्योहार है। सूर्य भगवान जीवन के आधार हैं। उनकी वजह से ही धरा पर जीवन कायम है। अगर सूर्य भगवान नहीं हो तो धरती पर जीवन की कल्पना भी नहीं की जा सकती।
नदियों, नहरों, तालाबों में भी हुआ पूजन
देहरादून। शासन-प्रशासन की तमाम बंदिशों के बावजूद नदियों, नहरों और तालाब में छठ महापर्व का पूजन किया गया। कई जगह सामाजिक दूरी का ख्याल भी नहीं रखा गया। हालांकि श्रद्धालुओं ने खुद ही कमोबेश सोशल डिस्टेंसिंग बनाने का प्रयास किया। इस बार नदियों के किनारे श्रद्धालुओं की संख्या भी काफी कम रही। अधिकतर लोगों ने पहले से तय कर लिया था कि घरों में छठ पूजा की जाएगी।