देहरादून, उत्तराखंड प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गणेश गोदियाल एवं महामंत्री (संगठन) मथुरादत्त जोशी नें संयुक्त बयान जारी कर केंद्रीय बजट पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि केंद्रीय बजट ने देश की जनता को निराश किया है। उत्तराखंड को पिछले वर्षों की तरह फिर निराश किया, हालाँकि की केंद्र सरकार चुनाव अचार संहिता का बहाना ले सकती है परंतु आम आदमी को भी इस बजट ने निराश ही किया है, खेती -किसानी की उपेक्षा के साथ किसान को मिलने वाली कई सब्सिडी, उनकी आमदनी, महंगाई, युवाओं के रोज़गार छोटे उद्योग धंधे, छोटे व्यापारी के हित के विरोधी है यह बजट। आयकर की सीमा भी नही बढ़ाई।
गणेश गोदियाल नें कहा की भाजपा की राज्य सरकार के साढे चार साल के शासन काल में समाज का हर वर्ग निराश है। मंहगाई, बेरोजगारी अपने चरम पर है। राज्य के मुख्य पर्यटन तीर्थाटन को राजनीति का शिकार बनाया जा रहा है।
गणेश गोदियाल नें कहा उत्तराखण्ड के लिहाज से तो बजट पूरी तरह से निराशाजनक और खोखला सावित हुआ है। जिस ग्रीन बोनस की दरकार उत्तराखण्ड की जनता को वर्षाे से है और अपेक्षा भी थी कि डबल इंजन की सरकार होने के नाते यही मुफीद समय था जब उत्तराखण्ड का यह सपना पूरा हो सकता था ऐसे में उत्तराखण्ड की झोली एक बार फिर खाली ही रह गई। इस बजट में सुरसा की तरह बढ़ रही महंगाई पर कैसे अंकुश लगाया जायेगा यह प्रश्न अनुउत्तरित ही रहा। बेरोजगार युवाओं के लिए कोई चिन्ता या प्रावधान बजट के अन्तर्गत नही किया गया है।
मथुरादत्त जोशी नें कहा की भाजपा की राज्य सरकार के साढे चार साल के शासन काल में समाज का हर वर्ग निराश है। मंहगाई, बेरोजगारी अपने चरम पर है। राज्य के मुख्य पर्यटन तीर्थाटन को राजनीति का शिकार बनाया जा रहा है।
श्री जोषी नें कहा उत्तराखण्ड पयर्टन प्रधान प्रदेश है ऐसे में कोरोना संकट से जूझ रहे उत्तराखण्ड के पयर्टन सेक्टर को बूस्ट करने हेतु एक बड़े पैकेज की दरकार थी, वहां भी निराशा ही हाथ लगी। पहले ही जीएसटी से हो रहे 2,200 करोड़ के नुकसान को उत्तराखण्ड झेल रहा था वहीं कोरोना काल में 4,000 करोड़ का नुकसान और हो गया ऐसे में वित्तीय संकट से जूझ रहे प्रदेश को केन्द्रीय बजट से बहुत सारी अपेक्षायें थी जो चूर-चूर हो गई।
गणेश गोदियाल एवं मथुरादत्त जोशी नें कहा कि पूँजीपतियों को छोड़ सभी वर्गों को बजट ने निराश किया है। सरकार ने पिछले बजट का खर्च ही लगभाग आधा किया हो तो खर्च करने भी सरकार सुस्त रही है मुद्रास्फूर्ति, महंगाई पर भी सरकार कुछ नही कर पाई राजस्व में बढ़ोतरी में ळैज् सहित विभिन मदों में आमदनी के बावजूद मनरेगा सहित कई समाजिक योजनाओं में बजट में कंजूसी की गई है।