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Thursday, November 21, 2024

सेलाकुई स्थित कंपनी में बुधवार को बाल अधिकार संरक्षण आयोग का मुआयना

  • सेलाकुई की डिक्सन कंपनी में आधार कार्डों में फर्जीवाड़े की आशंका
  • किशोरियों से हुई पूछताछ तो खुली गड़बड़ियों की परतें
  • बाल अधिकार संरक्षण आयोग अध्यक्ष , सीडब्लूसी टीम सदस्य और कोर्ट वालिंटीयर पहुंचे
  • कंपनी प्रबंधन और ठेकेदारों की मिलीभगत की आशंका

देहरादून, 27 नवम्बर सेलाकुई स्थित डिक्सन कंपनी में बुधवार को बाल अधिकार संरक्षण आयोग, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण,चाईल्ड वेल्फेयर कमेटी समेत कई स्वयंसेवी संगठनों ने मौका मुआयना किया। इसमें आधार कार्ड में भारी फर्जी वाड़ा की आशंका जताई जा रही है। बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने चार लड़कियों को नाबालिग पाया है। उनके आधार कार्ड को भी फर्जी साथ ही प्रबंधन के अधिकारियों व ठेकेदारों को तलब किया है। इस प्रकरण की विभिन्न आयामों पर जांच शुरु हो गई है। आयोग ने यहां पर गठित सैक्सुअल हैरेसमेंट रिडरेसल कमेटी को भी नाममात्र का पाया गया। इसकी रिपोर्ट कंपनी से मांगी गई है।

मंगलवार को जिला विधिक सेवा प्राधिकरण की सचिव व सिविल जज

नेहा कुशवाहा के नेतृत्व में आकस्मिक निरीक्षण किया गया था। उस दौरान तमाम अनियमितताएं सामने आई थी। सिविल जज नेहा कुशवाहा अपने स्तर पर कार्यवाही कर रही हैं। आज उनके निर्देश पर लीगल वाल्यूटियर शमीना सिद्दीकी व नाजमा इकबाल पहुंची। यहां पर उन्होंने किशोरियों से विस्तार से जानकारी हासिल की। बाल अधिकारों के लिए काम करने वाली संस्था मैक के जहांगीर आलम, बचपन बचाओ आंदोलन के सुरेश उनियाल, अपना घर की कृतिका क्षेत्री, मानसी मिश्रा भी साथ थे। उन्होंने भी जांच व पूछताछ की कार्रवाई की।

बुधवार की शाम अचानक बाल अधिकार संरक्षण आयोग की अध्यक्ष ऊषा नेगी अन्य सदस्यों के साथ डिक्सन कंपनी परिसर पहुंची। यहां पर उन्होंने सीधे किशोरियों से बातचीत की। बातचीत में चार किशोरियों को नाबालिग पाया गया। यह सारी कार्रवाई चाईल्ड वेल्फेयर कमेटी के सामने की गई। इस बाबत ऊषा नेगी ने सख्ती से प्रबंधन के अधिकारियों से जानकारी हासिल की। इस बात की आशंका जताई जा रही है कि अन्य 90 किशोरों के आधार कार्ड भी फर्जी हो सकते हैं। ऐसा इसलिए है चूंकि ज्यादातर आधार कार्ड पर बच्चियों की जन्मतिथि 1 जनवरी पाई गई है। चाईल्ड वेल्फेयर कमेटी के सुधीर भट्ट ने भी किशोरियों से जानकारी प्राप्त की। वे इसकी विस्तारित रिपोर्ट तैयार कर रहे हैं। पाई गई चार नाबालित किशोरियां एक कमरा किराए पर लेकर रहती हैं।

  • उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के बेहद गरीब परिवारों की हैं किशोरियां

मंगलवार और बुधवार को हुई कार्रवाई में यह स्पष्ट हो गया है कि डिक्सन कंपनी में काम करने वाली अधिकतर किशोरियां बेहद गरीब परिवारों से ताल्लुक रखती हैं। ये उत्तराखंड व उत्तरप्रदेश की हैं। इनमें से अधिकतर पीलीभीत, शाहजहांपुर, हरदोई, बरेली, रामपुर आदि क्षेत्र की हैं।

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