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मुख्यमंत्री ने अखाड़ा परिषद के साथ हरिद्वार कुम्भ 2021 को लेकर की बैठक
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कहा-कुंभ की परम्परा एवं संस्कृति का रखा जाएगा पूरा ध्यान
देहरादून, २२ नवम्बर मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने रविवार को मुख्यमंत्री आवास में अखाड़ा परिषद् के साथ हरिद्वार कुम्भ 2021 की तैयारियों को लेकर बैठक की। मुख्यमंत्री ने कहा कि कुंभ मेला अपने दिव्य एवं भव्य स्वरूप में होगा। कुंभ की परम्परा एवं संस्कृति का पूरा ध्यान रखा जाएगा। कोविड के कारण कुछ व्यावहारिक समस्याएं आई हैं। कुम्भ के शुरू होने पर कोविड की स्थिति कैसी रहती है, उसके अनुसार कुंभ के स्वरूप को विस्तार दिया जाएगा।
मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने कहा कि कुंभ में परिस्थितियों के हिसाब से जो भी निर्णय लिए जाएंगे, उसमें अखाड़ा परिषद और साधु-संतों के सुझाव जरूर लिए जाएंगे। राज्य सरकार का प्रयास है कि श्रद्धालुओं को किसी भी प्रकार की परेशानी न हो। उन्होंने कहा कि कुंभ के कार्यों की समय-समय पर समीक्षा की जा रही है, जो कार्य चल रहे हैं, उन्हें जल्द पूरा करने के लिए संबंधित विभागीय सचिवों को नियमित निगरानी करने के निर्देश दिए गए हैं। मुख्य सचिव को भी 15 दिन में कुभ मेले की समीक्षा के निर्देश दिए गए हैं।
बैठक में मुख्यमंत्री ने मेलाधिकारी से कंभ कार्यों की प्रगति की जानकारी ली। मेलाधिकारी दीपक रावत ने कहा कि 15 दिसंबर तक अधिकांश स्थाई प्रकृति के कार्य पूर्ण हो जायेंगे। 31 दिसम्बर तक सभी कार्य पूर्ण कर लिए जायेंगे। कुंभ के लिए बनाए जा रहे 9 घाटों, 8 पुलों व सड़कों का कार्य पूरा होने वाला है। सवच्छता, पेयजल, पार्किंग की व्यवस्था, अतिक्रमण हटाने का कार्य लगातार किया जा रहा है।
शहरी विकास मंत्री मदन कौशिक ने कहा कि कुंभ सकुशल संपन्न कराने के लिए अखाड़ा, परिषद् एवं संत समाज का पूरा सहयोग लिया जायेगा। अखाड़ों की समस्याओं का हर संभव निदान करने का प्रयास किया जाएगा। अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेन्द्र गिरी ने कहा कि हरिद्वार कुंभ के सफल आयोजन के लिए राज्य सरकार को पूर्ण सहयोग दिया जाएगा।
इस अवसर पर अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के महामंत्री महंत हरि गिरी, महंत प्रेम गिरी, महंत सत्यगिरी, महंत कैलाशपुरी, महंत मुकुन्दानन्द ब्रह्मचारी, महंत रवीन्द्र पुरी, गढ़वाल कमिश्नर रविनाथ रमन, आईजी गढ़वाल अभिनव कुमार, आईजी कुंभ मेला संजय गुंज्याल, अपर सचिव शहरी विकास विनोद कुमार सुमन, अपर मेलाधिकारी डॉ. ललित नारायण मिश्र, हरवीर सिंह, रामजी शरण शर्मा आदि उपस्थित थे।