- गढ़वाल मंडल के देहरादून महानगर की सभी 6 सीटों पर आप पार्टी ने नहीं दिया किसी गढ़वाली को टिकट, :आप प्रवक्ता संजय भट्ट
- गढ़वाली न दें आप को एक भी वोट, गढ़वाली पहाड़ में आप को जीतने वोट देंगे, देहरादून में गढ़वाली उतने कमजोर होंगे
- दिल्ली विधानसभा चुनाव में भी उत्तराखण्डी को टिकट न देने वाली आप पार्टी ने, देहरादून शहर की सभी 6 सीटों पर भी किया गढ़वालियों का अपमान
- दिनेश मोहनिया और राजीव चौधरी की कथनी और करनी में फर्क और तानाशाही भरी नीति के कारण दर्जनों पदाधिकारियों ने पार्टी छोड़ दी
देहरादून, आम आदमी पार्टी के प्रवक्ता संजय भट्ट ने कई कार्यकर्ताओं के साथ पार्टी छोड़ते हुए अपनी ही पार्टी पर गढ़वालियों और उत्तराखंडियों के साथ भेदभाव के कई आरोप लगाए। संजय भट्ट ने कहा कि आप पार्टी गढ़वाल मंडल में स्थित देहरादून शहर में सभी 6 सीटों पर एक भी गढ़वाली को प्रत्याशी नहीं बनाया है। गौरतलब है कि दिल्ली में 40 लाख उत्तराखण्डी रहते हैं और बीजेपी-कांग्रेस जैसी राष्ट्रीय पार्टियां दिल्ली में कम से कम 2-2 उत्तराखण्डी प्रत्याशी उतारती है, जबकि आप पार्टी ने दिल्ली में एक भी उत्तराखण्डी को टिकट नहीं दिया, लेकिन हद तो तब हो गयी जब आप पार्टी ने गढ़वाल मंडल के दून शहर में एक भी गढ़वाली को टिकट न देकर अपना दिल्ली वाला इतिहास दोहरा दिया।
पूर्व संस्थापक सदस्य संजय भट्ट ने कहा कि देहरादून शहर के आज 4 विधायक गढ़वाल मूल के हैं। बीजेपी 4 गढ़वाली व 2 नॉन गढ़वाली को टिकट देती रही है, जबकि कांग्रेस 2-3 गढ़वाली व 3-4 नॉन गढ़वाली को टिकट देती रही है। जिससे सभी का प्रतिनिधित्व बना रहे और इस बार भी अबतक घोषित विधानसभा टिकटों में करीब यही अनुपात है। लेकिन पहली बार चुनाव लड़ रही आप पार्टी ने तो दून शहर के विधानसभा टिकटों में गढ़वालियों का सफाया ही कर डाला।
संजय भट्ट ने कहा कि गौरतलब है कि देहरादून की सीटों पर 40% से 70% तक गढ़वाली जनसंख्या है, इस आधार पर आप पार्टी को भी दून शहर में 3-4 गढ़वालियों को विधानसभा टिकट देना चाहिए था। लेकिन दिल्ली से आये ये लोग उत्तराखण्डियत और उत्तराखण्ड राज्य आंदोलन की मूल अवधारणा को क्या जानेंगे।
संजय भट्ट ने कहा कि हर समुदाय का वर्ग अपना प्रतिनिधित्व चाहता है और मांगता भी है। पश्चिमी उत्तर प्रदेश में जाट तो पूर्वी उत्तर प्रदेश में मौर्य इसी बात को लेकर जद्दोजहद करते देखे जाते हैं। यही नहीं सोशल इंजीनियरिंग के इसी फॉर्मूले से कई प्रदेशों में सरकारें आई और गई, उत्तराखण्ड के प्रथम मुख्यमंत्री और पहला चुनाव परिणाम इसका बड़ा उदाहरण है। उत्तराखण्ड ने बीजेपी ने 8 महिलाओं को टिकट देकर उत्तराखण्ड निर्माण करने वाली मातृशक्ति का सम्मान किया, तो कांग्रेस व आप पार्टी ने मात्र 5-5 महिलाओं को ही टिकट दिया, जो कि उत्तराखण्ड की मातृशक्ति का अपमान है।
संजय भट्ट ने कहा कि पार्टी प्रभारी दिनेश मोहनिया व सह प्रभारी राजीव कुमार (चौधरी) दिल्ली से आए लेकिन क्या कर्नल (रिटायर्ड) अजय कोठीयाल की आंखों पर भी मुख्यमंत्री बनने की लालच का पर्दा पड़ा है, जो उन्होंने गढ़वालियों के साथ इतना भेदभाव पार्टी में होने दिया। इन झूठ के सहारे राजनीति कर रहे आप प्रभारी ने कहा था कि 60% टिकट पुराने कार्यकर्ताओं को दिए जाएंगे, जबकि मात्र 6 पुराने कार्यकर्ताओं को टिकट दिए गए, बाकी टिकट बसपा, कांग्रेस व अन्य पार्टी से आए धनबलियों को दिए गए। क्या कारण है कि पुराने कार्यकर्ताओं को हाशिये पर डाल दिया गया। प्रभारी मोहनिया ने कहा तो यह भी था कि बीजेपी के 6 मंत्री आप पार्टी जॉइन करेंगे। साथ ही 12 विधायकों के भी जॉइन करने की बात प्रभारी ने कही, लेकिन यह दावे केवल शगूफा और झूठे निकलें हैं।
रोज प्रेस वार्ता करने वाली आप पार्टी ने लोकपाल, लोकायुक्त पर एक भी प्रेस कॉन्फ्रेंस नहीं की, जबकि पार्टी निकली ही अन्ना आंदोलन से है, तो क्या अब पार्टी का मकसद बदल चुका है। आप पार्टी वैसे तो ट्रिपल C की बात करती फिरती है, लेकिन गड़रिया समाज से आने वाले प्रभारी दिनेश मोहनिया ने अपने समाज के करीब आधा दर्जन लोगों को प्रदेश कार्यकारिणी में प्रदेश उपाध्यक्ष आदि पदों पर बैठकर क्या, कम्युनल कार्ड नहीं खेला।
आप पार्टी के रायपुर, ऋषिकेश के प्रत्याशी क्या ट्रिपल C के दायरे में नहीं आते। ऋषिकेश के आप कार्यकर्ताओं ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर गंभीर आरोप लगाए और उनकी डॉक्टर की डिग्री दिखाने की मांग की है, तो रायपुर के प्रत्याशी पर करीब 2 माह पहले कोर्ट के आदेश पर जमीन खरीद धोखाधड़ी में मुकदमा दर्ज हुआ। कैंट विधानसभा के गांधी ग्राम का मामला भी अखबारों की सुर्खियों में रहा जब मंत्री हरक सिंह रावत की सरकारी साइकिलें आप पार्टी के कुछ लोगों ने बांटी थी, और तत्कालीन विधायक स्व हरबंस कपूर ने मुख्यमंत्री से मिल कर शिकायत की थी। मसूरी का प्रत्याशी तो गोरखपुर उत्तर प्रदेश से आया है, जिसकी हिंदी भी पुरबिया है। डोईवाला में मौर्य, मौर्य भी पूर्वी उत्तर प्रदेश के ही होते हैं। जबकि धर्मपुर में ग्राम जहानपुर, सहारनपुर मूल के उम्मीदवार को उतारा गया है।
वरिष्ठ नेता रविन्द्र जुगरान, प्रवक्ता संजय भट्ट, प्रदेश प्रवक्ता राकेश काला, कार्यकारी प्रदेश अध्यक्ष पूर्व IPS अनन्त राम चौहान, प्रदेश प्रवक्ता आशुतोष नेगी (पौडी), जिलाध्यक्ष पछुवादून गुरमेल राठौर, प्रदेश प्रवक्ता अवतार राणा (टिहरी), महानगर अध्यक्ष भूपेंद्र फारसी, जितेंद मलिक प्रदेश सचिव (रुड़की), दीपक सेलवान प्रदेश उपाध्यक्ष SC प्रकोष्ठ, नवीन बिष्ट कैंट, संदीप नेगी संगठन मंत्री बद्रीनाथ, समेत दर्जनों पदाधिकारी आज घर बैठ गए या दूसरी पार्टीयों में चले गए, कारण दिनेश मोहनिया और राजीव चौधरी की तानाशाही भरी नीति और कथनी और करनी में फर्क को लेकर।
अपने लोगों के साथ हो रहे इस प्रकार के भेदभाव व अत्याचार के बाद भी पार्टी में बने रहना, निजी हित साधने के लिए तो अच्छा हो सकता है, परन्तु उत्तराखण्ड प्रदेश हित के लिए सिर्फ छलावा ही होगा। ऐसे में अंतर्मन अब आप पार्टी में बने रहने की गवाही नहीं देता। इसके साथ ही पार्टी के साथियों से क्षमा मांगते हुए कहा कि मैं अब और पार्टी के साथ नहीं रह सकता, अलविदा।
आज इस्तीफा देने वालों में प्रदेश प्रवक्ता आम आदमी पार्टी उत्तराखण्ड, पूर्व सदस्य राष्ट्रीय परिषद आप, प्रथम जिलाध्यक्ष देहरादून आप,संजय भट्ट के साथ, धर्मपुर विधानसभा उपाध्यक्ष पप्पू यादव, धर्मपुर विधायक महासचिव राजू सिंह, समसुद्दीन खान, सन्नी पासवान, शिवमुनि आदि कई कार्यकर्त्ता शामिल रहे।