देहरादून, 12 जुलाई, आज देहरादून के जाने माने समाजसेवी एवं पद्मश्री से सम्मानित अवधेश कौशल का मंगलवार तड़के यहां मैक्स अस्पताल में निधन हो गया। वह 87 वर्ष के थे।
कौशल की पुत्रवधु रूचि कौशल ने बताया कि वह लंबे समय से बीमार चल रहे थे और सोमवार से उनके अंगों ने काम करना बंद कर दिया था, दून के मैक्स हॉस्पिटल में उनका इलाज चल रहा था। उन्होंने आज तड़के पांच बजे अंतिम सांस ली। 87 वर्षीय सामाजिक कार्यकर्ता पद्मश्री अवधेश कौशल के निधन पर समाज के कई वर्गों ने दुख प्रकट किया।
कौशल को अस्सी के दशक में मसूरी में खनन पर रोक लगवाने का श्रेय जाता है, अस्सी के दशक में दून-मसूरी के बीच लम्बे समय से चल रही चूना भट्टा खदानों को बंद कराने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। इससे वहां पर्यावरण को हो रही क्षति पर लगाम लगी । उन्हें घुमंतू जनजाति गुज्जरों का मसीहा भी माना जाता है जिन्होंने उनके अधिकारों के लिए एक लंबी प्रशासनिक और कानूनी लड़ाई लड़ी। गुज्जरों के लिए संघर्ष करते हुए उन्हें 2015 में जेल भी जाना पड़ा।
भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज बुलंद करने वाले कौशल कुछ वर्ष पूर्व उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्रियों को आवास सहित दी जाने वाली अन्य सुविधाओं पर होने वाले व्यय की वसूली के लिए उत्तराखंड उच्च न्यायालय तक गए थे। उत्तराखंड में पूर्व मुख्यमंत्रियों को मिलने वाली सरकार की तरफ से फायदों को भी अवधेश कौशल ने ही बंद करवाया था।