देहरादून, उत्तराखंड विधानसभा चुनाव 2022 में बीजेपी और कांग्रेस अपने सभी बागियों को पूरी तरह से मनाने में असफल रही है। भाजपा को इस चुनाव में जबरदस्त नुकसान होने की आशंका है क्योंकि सरकार विरोधी लहर के साथ साथ उनके बागी भी मैदान में ताल ठोक रहे हैं। बागियों के नाम वापस लेने के बाद भी पार्टी को भीतरघात का खतरा बना हुआ है। इसका सीधा गणित इस प्रकार से है कि बागी नामांकन वापस लेने के बाद पार्टी के साथ पूरी तरह से खड़ा होने से प्रत्याशी जीतता है तो बागियों के टिकट मिलने की संभावनाएं 10 साल आगे चली जाती हैं और हारता है तो 5 साल में फिर टिकट मांग सकता है। प्रदेश में कुल मिलाकर कांग्रेस और भाजपा के बागी नुकसान तो दोनों पार्टी को कर रहे हैं किंतु सरकार विरोधी लहर के चलते भाजपा को नुकसान होते हुए खतरा ज्यादा दिखाई दे रहा है क्योंकि उसके ज्यादा बागी मैदान में हैं। कोरोना की पाबंदियों के चलते भीड़ इकठ्ठी न कर पाने के कारण पार्टियां बड़े नेताओं को मैदान में उतार कर हवा का रुख बदलने में असमर्थ नजर आ रही है। राजनैतिक विषेशज्ञों के अनुसार इस बार लगता है कि देहरादून की सीटों पर भी बड़ा उलटफेर होगा। देहरादून की 4 विधानसभाओं पर तो कांग्रेस का पलड़ा भारी पड़ता दिखाई दे रहा है भाजपा की दो सीट मसूरी और रायपुर के उम्मीदवारों को काफी मजबूत माना जा रहा है जिनकी जीत पक्की मानी जा रही है लेकिन बाकी सीटों पर बागियों के चलते असमंजस की स्थिति है।
भाजपा के बागियों जिनको पार्टी मानाने में सफल हुई है उनमे डोईवाला सीट से सौरभ थपलियाल, सुभाष भट्ट, राहुल पंवार और वीरेंद्र रावत, कालाढूंगी सीट पर पूर्व पदाधिकारी गजराज सिंह बिष्ट, घनसाली सीट से सोहनलाल खंडेलवाल, पिरान कलियर सीट से जय भगवान सैनी आदि हैं। डोईवाला सीट पर राज्य सभा सांसद अनिल बलूनी और पूर्व सीएम डॉ.रमेश पोखरियाल निशंक की बागियों को मनाने में अहम भूमिका मानी जा रही है। भाजपा अब भी लगभग एक दर्जन विधानसभा सीटों पर बगावत का सामना करेगी। इन सीटों पर पार्टी के अधिकृत प्रत्याशी के खिलाफ मैदान में उतरे बागियों ने नामांकन वापस लेने से साफ इनकार कर दिया है। इनमें पार्टी के रुद्रपुर से विधायक राजकुमार ठुकराल , धनौल्टी से पूर्व विधायक महावीर रांगड़, कर्णप्रयाग से टीकाराम मैखुरी, कोटद्वार से धीरेंद्र चौहान, धर्मपुर से वीर सिंह पंवार, देहरादून कैंट से दिनेश रावत, घनसाली से दर्शनलाल, डोईवाला से जितेंद्र नेगी, चकराता से कमलेश भट्ट, यमुनोत्री से मनोज कोली, किच्छा से अजय तिवारी, मनोज शाह भीमताल, पवन चौहान लालकुआ, रुड़की में टेकबल्लभ और नितिन शर्मा मैदान में डटे हुए हैं और पार्टी के अधिकृत के प्रत्याशियों के खिलाफ चुनाव लड़ रहे हैं। उनके चुनाव लड़ने से पार्टी को भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है और चुनाव के समीकरण व परिणाम पलट सकते हैं।
वहीँ कांग्रेस की भी बागियों को लेकर समस्या से जूझ रही है। हालांकि कांग्रेस नामांकन वापसी के अंतिम दिन पूर्व मंत्री शूरवीर सिंह सजवाण समेत पांच नेता पार्टी के उम्मीदवारों को मनाने में सफल रही है। सहसपुर में भी बागियों ने नाम वापस लिया और साथ ही किच्छा सीट से कांग्रेस के हरीश पनेरू भी पीछे हट गए हैं। लेकिन कांग्रेस अपने सभी बागियों को पूरी तरह मनाने में असफल रही। कांग्रेस ने यमुनोत्री में संजय डोभाल, घनसाली में भीमलाल आर्य, रुद्रप्रयाग में पूर्व कैबिनेट मंत्री मातवर सिंह कंडारी, रामनगर से संजय नेगी, लालकुआं में संध्या डालाकोटी को भी मनाने का पूरा प्रयास किया गया।अभी तक कांग्रेस के सभी प्रयास असफल रहे। यहां तक संध्या डालाकोटी जो लालकुआं सीट पर पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत के खिलाफ ताल ठोक रही हैं। जिसके कारण हरीश रावत की परेशानियाँ बढ़ी हुई हैं। क्योंकि हरीश रावत इस सीट पर पहले ही 2017 का विधानसभा का चुनाव हार चुके हैं।