- उत्तराखण्ड विधानसभा अध्यक्ष रितु खंडूड़ी ने सचिव विधानसभा का कक्ष किया सील, जांच तक छुट्टी पर भेजा
- कहा, विधानसभा प्रदेश का सर्वोच्च सदन है, इसकी गरिमा को बनाए व बचाए रखना मेरा दायित्व ही नहीं मेरा कर्तव्य
- मेरे लिए सदन की गरिमा से ऊपर कुछ भी नहीं है इसको बनाए रखने के लिए कितने ही कठोर व कड़वे निर्णय लेने हों, मैं पीछे नहीं हदूंगी: रितु खंडूड़ी
देहरादून, आज शनिवार को एक बड़ा निर्णय लेते हुए विधानसभा अध्यक्ष रितु खंडूड़ी ने सचिव विधानसभा का कक्ष सील कर दिया है। उत्तराखंड की जनता एवं नियुक्तियों की जांच की मांग कर रहे बेरोजगारों को अब विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूडी भूषण से काफी उम्मीदें है। आज विधानसभा के सचिव मुकेश सिंघल के कक्ष को सील करने के बाद, सिंघल को जांच तक छुट्टी पर भेजा गया है, लेकिन उन्हें जांच समिति को सहयोग करने के लिए वह उपस्थित रहना होगा। उत्तराखंड विधानसभा भर्ती प्रकरण पर उत्तराखंड विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूडी भूषण ने पत्रकार वार्ता के दौरान कहा कि उत्तराखण्ड विधानसभा प्रदेश का सर्वोच्च सदन है, इसकी गरिमा को बनाए व बचाए रखना मेरा दायित्व ही नहीं मेरा कर्तव्य भी है। एक बात मैं स्पष्ट रूप से प्रदेशवासियों को और खासतौर पर उत्तराखण्ड के युवा वर्ग को कहना चाहूंगी, वह आश्वस्त रहें, मैं किसी को भी निराश नहीं करूंगी, सबके साथ न्याय होगा। मेरे लिए सदन की गरिमा से ऊपर कुछ भी नहीं है इसको बनाए रखने के लिए कितने ही कठोर व कड़वे निर्णय लेने हों, मैं पीछे नहीं हदूंगी। विधान सभा परिसर लोकतन्त्र का मंदिर है। अध्यक्ष होने के नाते किसी भी प्रकार की अनियमितता एवं अनुशासनहीनता मुझे स्वीकार्य नहीं है। विधान सभा व प्रदेश के हित में मुझे जितने भी रिफॉर्म्स विधान सभा में करने पड़े, मै उसके लिए तैयार हूँ।
मेरे सार्वजनिक जीवन की शुरूआत माननीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के व्यक्तित्व से प्रभावित होकर हुई। मुझे याद है उन्होंने कहा था “ना खाऊंगा ना खाने दूंगा” इसी ध्येय को मैंने भी अपने जीवन में उतारा है। मीडिया व अन्य विभिन्न स्रोतों से विधान सभा सचिवालय में कार्मिकों व अधिकारियों की विधि एवं सेवा नियमों के विरूद्ध नियुक्तियों एवं पदोन्नति के सम्बन्ध में प्राप्त जानकारी के आधार पर जनहित में मैंने आज दो बड़े निर्णय लिए हैं। तीन सदस्य विशेषज्ञों की जांच समिति गठित की गई है, जिसमें उत्तराखंड सरकार में पूर्व सचिव रहे दिलीप कुमार कोटिया अध्यक्ष, सुरेन्द्र सिंह रावत व अवनींद्र सिंह नयाल को सदस्य बनाया गया है। ये सभी उत्तराखंड सरकार के पूर्व कार्मिक सचिव हैं एवं प्रदेश के मामले के विशेषज्ञ हैं। इसके साथ-साथ यह भी निर्देश दिया है कि ये विशेषज्ञ समिति अधिकतम एक माह के भीतर अपना प्रतिवेदन, जांच रिपोर्ट सझाव उपलब्ध करायेगी।