- दुर्घटना में पति के निधन के वक्त परूली देवी की उम्र मात्र 12 साल थी
- रक्षा सेवाओं के मुख्य नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक के प्रयागराज कार्यालय ने आखिरकार उनकी पेंशन सितंबर 1977 से स्वीकृत कर दी
- अब परूली देवी को 1977 से 44 साल की पेंशन का एरियर 20 लाख के लगभग मिलेगा।
देहरादून/ पिथौरागढ़ 7 अप्रैल, एक पूर्व फौजी की मृत्यु के 69 वर्ष बाद उनकी 81 वर्षीय पत्नी को पेंशन मिलने का मामला सामने आया है। मात्र 12 साल में ब्याही परूली देवी के पति की मौत भारतीय सेना में ड्यूटी के दौरान 1952 में हो गई थी। लेकिन पेंशन 2021 में स्वीकृत हुई है। परूली देवी की शादी 10 मार्च 1951 को देवलथल तहसील के लोहाकोट निवासी सैनिक गगन सिंह के साथ हुई थी। दुर्भाग्य से 14 जून, 1952 को गगन सिंह की गोली लगने से ड्यूटी के दौरान ही मौत हो गई थी इस दुर्घटना में पति के निधन के वक्त उनकी उम्र मात्र 12 साल थी। इस दौरान न तो परूली देवी को पेंशन की कोई जानकारी मिली और नही भारतीय सेना ने उनकी कोई सुध ली। पति के मौत के बाद कुछ समय परूली देवी ने ससुराल में ही गुजारा। लेकिन फिर वे मुख्यालय के करीब लिंठ्यूडा स्थित अपने मायके आ गईं। पूरी जिंदगी परूली देवी ने अपने मायके में ही गुजारी है। लगभग 81 साल की पूर्व फौजी की पत्नी परूली देवी के जीवन में अचानक से पेंशन के पैसों का मिलना, एक सामाजिक कार्यकर्ता डीएस भंडारी की वजह से संभव हुई है जो लम्बे समय से लोगों की पेंशन मामलों में मदद करने के लिए चर्चित हैं उन्होंने उनके बारे में सुना और आखिरकार उनकी तकलीफों को जानने के बाद उनके लिए कुछ करने का निर्णय किया।
जब भंडारी को यह पता चला कि पारूली देवी के पति की मृत्यु सेवा में रहते हुए एक दुर्घटना में हुई थी और वह पारिवारिक पेंशन पाने की हकदार हैं तो उन्होंने यह सुनिश्चित करने के लिए दिन रात एक कर दिया कि उन्हें इसका लाभ मिले। सात वर्ष पूर्व सेवानिवृत्त होने के बाद से सामाजिक सेवा में लगे भंडारी ने बताया कि 14 जून, 1952 में पति की मृत्यु के बाद से अपने भाइयों के साथ लुंथुरा गांव में रह रही पारूली देवी के बारे में जब उन्हें पता चला तो वह खुद को उनकी मदद करने से नहीं रोक पाए। अब परूली देवी को 1977 से 44 साल की पेंशन का एरियर 20 लाख के लगभग मिलेगा।
भंडारी ने बताया कि पूछताछ करने पर पता चला कि पारूली देवी भारत सरकार की पूर्व सैनिक पारिवारिक पेंशन स्कीम के तहत पेंशन पाने की हकदार हैं। उन्होंने बताया कि रक्षा सेवाओं के मुख्य नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक के प्रयागराज कार्यालय ने आखिरकार उनकी पेंशन सितंबर 1977 से स्वीकृत कर दी जिसके बाद पारूली देवी को कुल 20 लाख रुपए मिलेंगे। इस बारे में संपर्क करने पर पारूली देवी ने कहा, ‘अब मुझे पैसे की जरूरत नहीं है, इन पैसों पर मेरे मायके वालों का हक़ है क्यूंकि मैं इन्ही के साथ रही और इन्होने मेरा ख्याल रखा, मुझे किसी तरह की परेशानी नहीं होने दी लेकिन सरकार ने मेरे पति और मुझे पहचान दी। यह मेरे लिए बहुत संतोष की बात है।