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Friday, November 22, 2024

प्रतिदिन दून में पैदा हो रहा 15 टन कूड़ा, रोजाना खर्च हो रहे चार करोड़  : सुबुद्धि

  • रूलक की तरफ जिम्मेदार उपभोग और उत्पादन जागरुकता पर कार्यशाला
  • उपभोग शैली और आबादी विस्फोट से दून को खतरा 
  • अगले दस साल में प्रतिदिन पैदा होगा तीस टन कूड़ा

  देहरादून, 4 दिसम्बर रूरल लिटिगेशन एनटाइटलमेंट केंद्र और कट्स की तरफ से सालिड वेस्ट मैनेजमेंट, जिम्मेदार उपभोग-उत्पादन जागरुकता विषय पर आयोजित कार्यशाला में अनियंत्रित उफबोग के खतरों पर चिंता जताई गई। इस मौके पर संयमित उपभोग की वकालत की गई।

शुक्रवार को राजपुर मार्ग सूर्यलोक कालोनी में रूलक सभागार में आयोजित कार्यक्रम के मुख्य वक्ता सीनियर आईएफएस अधिकारी उत्तराखंड राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के सदस्य सचिव एसपी सुबुद्धि ने कहा कि प्रदूषण और उपभोग के बीच सीधा संबंध है। राज्य निर्माण के बाद से देहरादून समेत राज्य में प्रदूषण में बहुत इजाफा हुआ है। आबादी के विस्फोट के साथ ही हमारी उपभोग की शैली भी बदली है। जिस तीव्र गति से आबादी बढ़ रही है उसके कारण बढ़े उपभोग को प्रबंधित करना बड़ी चुनौती है। उन्होंने कहा कि देहरादून की आबादी साढ़े आठ लाख हो चुकी है। हम प्रतिदिन 15 टन कूड़ा पैदा कर रहे हैं। अगले दस साल में यह मात्रा दोगुनी हो जाएगी। वर्तमान में ही कूड़ा प्रबंधन व निस्तारण पर रोजोना तीन से चार करोड़ रुपये का खर्चा आ रहा है। वह बोले कि धरती की क्षमता सीमित है। अगर इसी तरह आबादी बढ़ती रही तो हालात बेकाबू हो जाएंगे।

कार्यक्रम संयोजक रूलक के संस्थापक अध्यक्ष अवधेश कौशल ने कहा कि हम अमेरिका की नकल कर देश और प्रदेश के अनमोल कुदरती संपदा को संरक्षित नहीं रख सकते हैं। जिस तरह हमारे धनिक उपभोग कर रहे हैं उससे समाज में अराजकता मच जाएगी। उन्होंने कहा कि वन गुर्जर कुदरत के साथ तालमेल बिठाकर रखते हैं। वे वास्तविक रूप से प्रकृति का आदर करते हैं। इस मौके पर अवधेश कौशल ने बायोगैस समेत कुदरती तौर तरीकों को अपनाने की सफल कहानियां सुनाई।

नगर निगम के सहायक आयुक्त बींजल दास ने कहा कि पिछले दो साल में नगर निगम ने नए नए प्रयास किए हैं। इससे ठोस कूड़ा प्रबंधन में सफलता मिली है।

इकफाई ला स्कूल के  डा. युगल किशोर ने कहा कि पर्यावरण को बचाने के लिए तमाम नियम कानून हैं। हमें उनको लागू करना है।संचालन करते हुए अवधेश शर्मा ने कहा कि भारतीय सभ्यता और संस्कृति में कुदरत के साथ तालमेल बिठाने का उल्लेख है। हम उस जीवन पद्धति को अपनाएंगे तो शांति और समृद्धि फैलेगी। इस मौके पर रेखा पुंडीर, प्राची, आकांक्षा चौहान, पुष्पा बिष्ट समेत बड़ी संख्या में छात्र, युवा, आगंनवाड़ी कार्यकर्ता शामिल हुए।

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