देहरादून। शिव सेना के प्रदेश प्रमुख गौरव कुमार के द्वारा 17 वर्ष पूर्व श्री गौरी शंकर मंदिर खुड़बुड़ा मोहल्ला में श्री शनि देव महाराज की मूर्ति स्थापित की गई थी। आज श्री शनि देव प्रतिमा के 18 वे स्थापना दिवस के पावन अवसर पर शिव सेना के द्वारा मंदिर परिसर मे भव्य कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस अवसर पर प्रात: 6 बजे शिव सैनिकों ने श्री शनि देव महाराज की मूर्ति को पंच स्नान कराया एवम् प्रसाद वितरित किया। इस अवसर पर प्रदेश प्रमुख गौरव कुमार ने कहा की शनिदेव को न्यायाधीश की उपाधि प्राप्त है। मान्यता है कि शनिदेव कर्मों के अनुसार जातकों को फल प्रदान करते हैं। जिस जातक के अच्छे कर्म होते हैं, उन पर शनिदेव की कृपा बनी रहती है और और जो व्यक्ति बुरे कर्मों में लिप्त रहता है। उन पर शनिदेव का प्रकोप बरसता है। शनि देव को ग्रहों का राजा कहा जाता है। भगवान भोलेनाथ ने इन्हें न्याय के देवता की उपाधि दी है। शनि देव को न्याय का देवता माना जाता है क्योंकि वे कर्मों के अनुसार फल देते हैं। शनि देव को दंडनायक ग्रह घोषित करने का श्रेय भगवान शिव को जाता है। शनि देव को भगवान शिव का आशीर्वाद मिला था, जिससे उन्हें न्याय करने और दंडित करने की शक्ति मिली। शनि देव को सूर्य देव का पुत्र माना जाता है शनि देव की दृष्टि किसी व्यक्ति पर बिगड़ जाए, तो उसे लेने-देने पड़ते हैं।शनि देव की दृष्टि में सभी समान हैं।
गौरव कुमार ने कहा की सूर्य पुत्र शनिदेव न्याय के देवता हैं। शनिदेव अच्छे कर्म करने वालों को सदैव अच्छा फल प्रदान करते हैं। शनिदेव परमकल्याण कर्ता न्यायाधीश और जीव का परमहितैषी ग्रह माने जाते हैं। ईश्वर पारायण प्राणी जो जन्म जन्मान्तर तपस्या करते हैं, तपस्या सफ़ल होने के समय अविद्या, माया से सम्मोहित होकर पतित हो जाते हैं, अर्थात तप पूर्ण नही कर पाते हैं, उन तपस्विओं की तपस्या को सफ़ल करने के लिये शनिदेव परम कृपालु होकर भावी जन्मों में पुन: तप करने की प्रेरणा देता है। द्रेष्काण कुन्डली मे जब शनि को चन्द्रमा देखता है, या चन्द्रमा शनि के द्वारा देखा जाता है, तो उच्च कोटि का संत बना देता है। और ऐसा व्यक्ति पारिवारिक मोह से विरक्त होकर कर महान संत बना कर बैराग्य देता है। शनि पूर्व जन्म के तप को पूर्ण करने के लिये प्राणी की समस्त मनोवृत्तियों को परमात्मा में लगाने के लिये मनुष्य को अन्त रहित भाव देकर उच्च स्तरीय महात्मा बना देता है। ताकि वर्तमान जन्म में उसकी तपस्या सफ़ल हो जावे, और वह परमानन्द का आनन्द लेकर प्रभु दर्शन का सौभाग्य प्राप्त कर सके.यह चन्द्रमा और शनि की उपासना से सुलभ हो पाता है। शनि तप करने की प्रेरणा देता है। और शनि उसके मन को परमात्मा में स्थित करता है। कारण शनि ही नवग्रहों में जातक के ज्ञान चक्षु खोलता है। इस अवसर पर मुख्य रूप से अभिनव बेदी, वासु परविंदा, लक्ष्य बजाज, आचार्य राकेश गौड़, बल्लू खुराना आदि उपस्थित रहें।