31.4 C
Dehradun
Saturday, July 5, 2025

माता सीता के प्राकट्य दिवस के रूप में मनायी जाती हैं मां जानकी अष्टमी

हरिद्वार। अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष एवं श्री मनसा देवी मंदिर ट्रस्ट हरिद्वार के महंत रवीन्द्र पूरी ने बताया कि मां जानकी अष्टमी, जिसे जानकी जयंती के नाम से भी जाना जाता है, भगवान श्रीराम की अर्धांगिनी माता सीता के प्राकट्य दिवस के रूप में श्रद्धा, भक्ति और उल्लास के साथ मनाई जाती है। यह शुभ तिथि भक्तों के लिए अत्यंत पवित्र मानी जाती है, क्योंकि इस दिन स्वयं माता लक्ष्मी ने राजा जनक के यज्ञभूमि में धरती से प्रकट होकर माता सीता के रूप में जन्म लिया था। उनका जीवन त्याग, धैर्य, शक्ति और मर्यादा की अप्रतिम मिसाल है, जो समस्त नारी जाति को प्रेरणा प्रदान करता है। माता सीता को ‘जनकसुता’, ‘वैदेही’ और ‘मिथिलेश्वरी’ जैसे अनेक नामों से जाना जाता है। उनका जीवन हमें सिखाता है कि चाहे कैसी भी परिस्थितियाँ आएं, धर्म और सत्य के मार्ग से विचलित नहीं होना चाहिए।

उन्होंने अपने जीवन में अनेक कठिनाइयों का सामना किया, लेकिन वे सदैव धर्मपरायण, सहनशील और कर्तव्यनिष्ठ बनी रहीं। उनकी भक्ति, सेवा और समर्पण का अनुपम उदाहरण हमें अपने जीवन में धैर्य, साहस और प्रेम को अपनाने की प्रेरणा देता है।इस पावन अवसर पर श्रद्धालु व्रत, पूजा-अर्चना, रामायण पाठ, भजन-कीर्तन और दान-पुण्य के माध्यम से माता जानकी का स्मरण कर उन्हें श्रद्धा-सुमन अर्पित करते हैं।

अनेक स्थानों पर विशेष रूप से भगवान श्रीराम और माता सीता के विवाह का आयोजन किया जाता है, जिससे भक्तों के हृदय में भक्ति और प्रेम का संचार होता है। इस दिन किए गए पुण्य कार्य अत्यंत फलदायी माने जाते हैं और माता सीता अपने भक्तों पर विशेष कृपा बरसाती हैं। आज के दिन हम माता सीता से प्रार्थना करते हैं कि वे हमें धैर्य, समर्पण, करुणा और प्रेम की शक्ति प्रदान करें। उनके आशीर्वाद से सभी के जीवन में सुख, शांति और समृद्धि बनी रहे। माता जानकी के आदर्शों को अपनाकर हम अपने जीवन को सफल और धर्ममय बना सकते हैं।

 

Related Articles

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

spot_img
spot_img
spot_img

Stay Connected

22,024FansLike
0FollowersFollow
0SubscribersSubscribe

Latest Articles

- Advertisement -spot_img
error: Content is protected !!