25.2 C
Dehradun
Sunday, July 6, 2025

भगवान श्रीरामलला का दिव्य विग्रह देवभूमि की विश्वविख्यात ऐपण कला से सुसज्जित शुभवस्त्रम में सुशोभित हुए

देहरादून। उत्तराखण्ड की समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर और पारंपरिक कलाओं को न केवल एक नई पहचान मिल रही है, बल्कि भविष्य की पीढ़ियाँ भी इससे प्रेरित होकर जुड़ रही हैं। आज का दिन उत्तराखण्डवासियों के लिए गौरव का दिन था, जब अयोध्या में विराजमान भगवान श्रीरामलला का दिव्य विग्रह देवभूमि की विश्वविख्यात ऐपण कला से सुसज्जित शुभवस्त्रम में सुशोभित हुए। यह शुभवस्त्रम न केवल उत्तराखण्ड की पारंपरिक कला और समर्पण का प्रतीक था,बल्कि इसने राज्य की सांस्कृतिक समृद्धि में राष्ट्रीय पटल पर एक नया गौरवशाली अध्याय जोड़ा। इन शुभवस्त्रों को उत्तराखण्ड के कुशल शिल्पकारों ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की प्रेरणा से तैयार किया। स्वयं मुख्यमंत्री ने इसे अयोध्या पहुँचाकर श्रीराम मंदिर में भेंट किया। इस शुभवस्त्रम् में न केवल प्रदेश की ऐपण कला नजर आती है, बल्कि इसमें निहित भक्ति और श्रम साधकों की अद्वितीय शिल्पकला का अद्भुत समन्वय भी है। जिसने उत्तराखण्ड की सांस्कृतिक छवि को और अधिक प्रखर बना दिया। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के गतिशील नेतृत्व में प्रदेश की लोक कला,संगीत,नृत्य और शिल्पों के संवर्धन की दिशा में भी अनेक ठोस कदम उठाए जा रहे हैं। मुख्यमंत्री न केवल राज्य के स्थानीय हस्तशिल्प और कारीगरों को प्रोत्साहित कर रहे हैं,बल्कि राज्य के युवाओं को भी अपनी सांस्कृतिक जड़ों से जोड़ने और इसे संजोने की प्रेरणा दे रहे हैं। सीएम के प्रयासों का ही प्रतिफल है कि उत्तराखण्ड की पारंपरिक कला और संस्कृति की गूंज अब अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर भी सुनाई देने लगी है। विभिन्न अंतर्राष्ट्रीय आयोजनों में उत्तराखण्ड की लोक कलाओं को प्रमुखता से प्रस्तुत किया जा रहा है,जिससे राज्य को वैश्विक पहचान और सम्मान मिल रहा है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का मानना है कि प्रदेश की सांस्कृतिक धरोहरों का संरक्षण और संवर्धन आधुनिक संसाधनों और तकनीकों के साथ होना चाहिए, ताकि यह अमूल्य विरासत आने वाली पीढ़ियों तक सुरक्षित रहे। मुख्यमंत्री का यह दृढ़ विश्वास है कि राज्य का समग्र विकास तभी संभव है, जब उसकी सांस्कृतिक जड़ें मजबूत हों। इसलिए उनके नेतृत्व में युवाओं को डिजिटल माध्यमों और सोशल मीडिया के ज़रिए संस्कृति से जोड़ा जा रहा है। सांस्कृतिक संस्थानों और कला संगठनों के सहयोग से युवाओं को पारंपरिक कलाओं में प्रशिक्षित किया जा रहा है, जिससे वे अपनी संस्कृति पर गर्व करें और इसे और आगे बढ़ा सकें।

 

 

 

 

Related Articles

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

spot_img
spot_img
spot_img

Stay Connected

22,024FansLike
0FollowersFollow
0SubscribersSubscribe

Latest Articles

- Advertisement -spot_img
error: Content is protected !!