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Saturday, July 5, 2025

फिलहाल दायित्व बंटवारे के मूड में नहीं भाजपा सरकार

देहरादून, 25 फरवरी। उत्तराखंड राज्य में जहां एक तरफ 4 कैबिनेट मंत्री के रिक्त पदों पर अभी तक कोई नियुक्त नहीं हो पायी, वहीं सरकार अपने संगठन के कार्यकर्ताओं को दायित्व बांटने तक में कंजूसी करती दिखाई दे रही हैं। 2 वर्ष बाद राज्य में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं लेकिन धामी सरकार ने आज तक अपनी पार्टी के कार्यकर्ताओं को दायित्व के इंतजार में लटकाया हुआ है। एक तरफ भाजपा के कार्यकर्ता दायित्वों का इंतजार कर रहे हैं, वहीं दूसरी तरफ राज्य सरकार दायित्व बंटवारे के मूड में दिखाई नहीं दे रही है। ऐसा इसलिए कहा जा रहा है क्योंकि कि सरकार ने दो आयोग के अध्यक्षों के कार्यकाल को बढ़ाने का फैसला लिया है। इसमें उत्तराखंड बाल अधिकार संरक्षण आयोग और राज्य महिला आयोग शामिल है। उत्तराखंड शासन ने जो आदेश जारी किया है उसके अनुसार, इन दोनों ही आयोग के अध्यक्षों का कार्यकाल हाल में ही खत्म हो गया था। ऐसे में इस पर निर्णय लेते हुए नए अध्यक्ष की तैनाती न होने तक इनके कार्यकाल को बढ़ाया गया है। उत्तराखंड बाल अधिकार संरक्षण आयोग की अध्यक्ष गीता खन्ना का कार्यकाल भी बढ़ाया गया है। उत्तराखंड बाल अधिकार संरक्षण आयोग में अध्यक्ष पद के तौर पर गीता खन्ना जिम्मेदारी संभाल रही हैं। उनका कार्यकाल 6 जनवरी 2025 को ही समाप्त हो गया था। लेकिन इसके बावजूद नए अध्यक्ष की तैनाती को लेकर सरकार ने कोई निर्णय नहीं लिया है। ऐसे में उत्तराखंड बाल अधिकार संरक्षण आयोग के कामों में आ रही कठिनाई को देखते हुए अब नए अध्यक्ष की तैनाती नहीं होने तक गीता खन्ना को ही उत्तराखंड बाल अधिकार संरक्षण आयोग के अध्यक्ष की जिम्मेदारी सौंपी गई है। वहीं उत्तराखंड राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष कुसुम कंडवाल का भी कार्यकाल बढ़ाया गया है। कुसुम कंडवाल का कार्यकाल भी 6 जनवरी 2025 को खत्म हो गया था। इसके बावजूद भी इस पद पर नए अध्यक्ष की नियुक्ति नहीं की गई थी। इसी को देखते हुए अब कुसुम कंडवाल को ही राज्य महिला आयोग की जिम्मेदारी देखते रहने से जुड़ा आदेश जारी हुआ है। उत्तराखंड की धामी सरकार के कार्यकाल में पिछले लंबे समय से भाजपा कार्यकर्ता दायित्व की राह देख रहे हैं। कई बार इसको लेकर राजनीतिक बयानबाजी भी तेज हुई, मगर निकाय चुनाव होने के कारण मामला ठंडे बस्ते में चला गया। ऐसे में जिस तरह अब विभिन्न आयोग के अध्यक्ष पद पर कार्यकाल बढ़ाया जा रहा है, उससे यह साफ है कि सरकार फिलहाल दायित्व बांटने के मूड में नहीं है।

 

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