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Tuesday, December 2, 2025


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फिर लटकी लोकायुक्त की नियुक्ति

देहरादून 14 नवम्बर। भाजपा का प्रदेश में भ्रष्टाचार मुक्त सरकार देने का दावा हवा-हवाई साबित हो रहा है। सरकार लोकायुक्त के गठन को लेकर गंभीर नहीं है। ऐसे में लोकायुक्त के चयन का मामला एक बैठक से दूसरी बैठक पर टाल दिया जा रहा है। लोकायुक्त को लेकर कांग्रेस भी गंभीर नहीं है। लोकायुक्त चयन समिति के सदस्य नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य भी अक्सर बैठक से नदारद रहते हैं तो बैठक स्थगित कर दी जाती है। यह जानकारी आरटीआई एक्टिविस्ट एडवोकेट विकेश नेगी द्वारा आरटीआई के माध्यम से उजागर हुई। एडवोकेट विकेश नेगी के मुताबिक यह हाईकोर्ट के आदेेशों की अवमानना है। वह इस मामले में अदालत में सरकार के खिलाफ अवमानना की याचिका दायर करेंगे। या नई जनहित याचिका दायर करेंगे। हाईकोर्ट के तत्कालीन चीफ जस्टिस विपिन सांघवी और जस्टिस राकेश थपलियाल ने 27 जून 2023 को एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए प्रदेश को लोकायुक्त नियुक्त करने के आदेश दिये थे। अपने आदेश में बेंच ने कहा कि आठ सप्ताह की अवधि में यह नियुक्ति की जाए। हाईकोर्ट के आदेश के बाद प्रदेश सरकार ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की अध्यक्षता में एक चयन समिति का गठन किया। इसमें सीएम के अलावा नेता प्रतिपक्ष, विधानसभा अध्यक्ष, हाईकोर्ट के एक जज और एक अन्य सदस्य की नियुक्ति की जानी थी। पिछले डेढ़ साल में इतना ही हुआ है कि अब इस समिति में पूर्व जस्टिस एमएम घिल्डियाल को सदस्य नियुक्त किया गया है। प्रदेश सरकार ने लोकायुक्त की नियुक्ति को लेकर हाईकोर्ट से कुछ समय मांगा था। हाईकोर्ट ने 4 नवम्बर 2024 तक लोकायुक्त नियुक्त करने का समय दिया। इसकी मियाद भी पूरी हो चुकी है। आरटीआई एक्टिविस्ट विकेश नेगी को मिली जानकारी के अनुसार लोकायुक्त को लेकर बैठक दर बैठक होती रही और नतीजा शून्य रहा। दो बैठकों में नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य मौजूद नहीं रहे तो कोई निर्णय नहीं हो सका। गौरतलब है कि लोकायुक्त भाजपा के 2017 के चुनावी घोषणा पत्र में शामिल था। सात साल बाद भी भाजपा सरकार इस पर अमल नहीं कर पा रही है। यही नहीं लोकायुक्त में 24 कर्मचारियों की तैनाती भी की गयी है। ये सभी कर्मचारी बिना काम के ही वेतन हासिल कर रहे हैं। हाईकोर्ट ने इन कर्मचारियों के कार्यों और पदों को लेकर भी सरकार से जवाब तलब किया है। आरटीआई एक्टिविस्ट एडवोकेट विकेश नेगी के मुताबिक प्रदेश सरकार भ्रष्टाचार पर कड़े प्रहार का दावा करती है लेकिन बड़े नेताओं और अफसरों पर कोई कार्रवाई नहीं करती है। उनका कहना है कि लोकायुक्त के गठन से प्रदेश में भ्रष्टाचार पर कुछ अंकुश लगने की संभावना है। लेकिन पक्ष-विपक्ष दोनों ही लोकायुक्त का चयन टाल रहे हैं। उन्होंने सरकार से तुरंत लोकायुक्त नियुक्त करने की मांग की है। उन्होंने कहा कि जरूरत पड़ी तो वह इस मुद्दे पर नई जनहित याचिका दायर करेंगे। हाईकोर्ट के आदेशों पर अमल न करने के लिए सरकार अवमानना की दोषी है।

 

 

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