देहरादून, 22 नवम्बर। केन्द्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान की अध्यक्षता में आयोजित 28वी आईसीएआर क्षेत्रीय समिति-प्रथम की बैठक में प्रदेश के कृषि मंत्री गणेश जोशी सचिवालय से वीडियो कान्फ्रेंसिग के माध्यम से जुड़े। कार्यक्रम में विभिन्न राज्यों के कृषि मंत्रीगण कृषि वैज्ञानिक कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति सहित विभागीय अधिकारीगण उपस्थित रहे। सुबे के कृषि मंत्री गणेश जोशी ने क्षेत्रीय समिति की बैठक में कृषि के क्षेत्र में प्रदेश की निम्न समस्या पर शोध किये जाने पर अपने महत्वपूर्ण सुझाव दिए। कृषि मंत्री गणेश जोशी ने जंगली जनवरो द्वारा खेती को काफी नुकसान पहुंचाया जा रहा है। जिससे कृषकों का खेती के प्रति रुचि कम हो रही है। इस हेतु खेती को जंगली जनवरो से सुरक्षा हेतु किफायती तथा उपयोगी समाधान की आवश्यकता पर जोर दिया और ध्यान केंद्रित किया। उन्होंने केंद्र सरकार से अनुरोध करते हुए कहा कि पूर्व में किसानों की फसलों की सुरक्षा के लिए घेरबाड़ के लिए केंद्र सरकार द्वारा धनराशि दी जाती थी जो अब बंद हो गई है। उन्होंने आग्रह करते हुए कहा कि जब तक इस क्षेत्र में शोध नहीं हो जाता तब तक प्रदेश के किसानों की फसलों को जंगली जानवरों से सुरक्षित करने के लिए घेरबाड़ हेतु विशेष बजट दिया जाए। बैठक के दौरान मंत्री गणेश जोशी ने अपने महत्वपूर्ण सुझाव देते हुए कहा कि राज्य के ऊंचे पहाड़ी क्षेत्रों में विशेष रूप से उगाए जाने वाले तुमड़ी आलू की पारंपरिक खेती पर शोध करने की आवश्यकता है। कृषि मंत्री गणेश जोशी ने प्रदेश में तुमड़ी आलू की अपार संभावनाएं हैं। उन्होंने कहा कि तुमड़ी आलू की सबसे अधिक डिमांड बढ़ती जा रही है। उन्होंने तुमड़ी आलू पर शोध किया जाना भी बेहद आवश्यक है। ताकि उत्पाद को बढ़ाया जा सके और किसानों को उसका उचित दाम मिल सके। मंत्री गणेश जोशी ने प्रदेश के पर्वतीय क्षेत्रों में अधिकांश जैविक खेती अपनाई जा रही है, इस हेतु कृषि एवं औद्यानिकी फसलों में कीट व्याधि की रोकथाम हेतु प्रभावी जैव रसायन की आवश्यकता है। जिससे कृषक जैविक खेती से जुडे रह सकें। उन्होंने भॉग (हैम्प) की अधिसूचित प्रजाति की आवश्यकता है, जिसमे टीएचसी की मात्रा (<0.3%) कम हो। कृषि मंत्री गणेश जोशी ने पर्वतीय क्षेत्रों के परम्परागत फसलों के स्थानीय प्रजातियों को बीज श्रृंखला में लाये जाने की आवश्यकता है। प्रदेश सरकार द्वारा स्थानीय फसलों को जीआई टैग प्रदान किया गया है। जिसमें मण्डुवा, साँवा, काला भटट्, तोर, राजमा आदि सम्मिलित है। इन फसलों के बीजो के सरंक्षण तथा संवर्द्धन पर कार्य किये जाने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि जैविक खाद की प्रदेश में कमी है। इस हेतु जंगल के अवशेष से खाद बनाये जाने पर कार्य किये जाने की आवश्यकता है।जिसमे शोध किया जाना आवश्यक है। पर्वतीय क्षेत्रों हेतु दलहन प्रजाति उर्द, अरहर की अधिसूचित प्रजाति विकसित किये जाने की आवश्यकता है। कृषि मंत्री गणेश जोशी ने चौबटिया गार्डन को विकसित करने हेतु केंद्र सरकार से सहयोग की भी मांग की। उन्होंने कहा कि प्रदेश के विभिन्न कृषि जलवायु क्षेत्र में विभाजित कर 08 क्षेत्रीय समिति का गठन किया गया है। जिसमें क्षेत्रीय समिति प्रथम में उत्तराखण्ड, हिमाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर और लद्वाख को रखा गया है। कृषि मंत्री गणेश जोशी ने भारत सरकार का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि उनके इस प्रयास से क्षेत्र विशेष की आवश्यकतानुसार तथा जलवायु को दृष्टिगत रखते हुए शोध कार्य किये जाने में सहायता मिल रही है। साथ ही भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद का आभार प्रकट करते हुए उनके द्वारा समय-समय पर क्षेत्रीय समिति की बैठक आयोजित कर प्रदेश की कृषि एवं रेखीय विभागो की समस्याओं का समाधान किया जा रहा है। इस अवसर पर सचिव कृषि एसएन पांडे, कृषि महानिदेशक रणवीर सिंह चौहान, निदेशक कृषि केसी पाठक, डायरेक्टर उद्यान दीप्ति भट्ट, सहित विभिन्न प्रदेशों के कृषि मंत्री वैज्ञानिक, कृषि विश्वविद्यालय कुलपति भी उपस्थित रहे।