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Wednesday, September 10, 2025
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जैन धर्म में गुरु-शिष्य परंपरा का बहुत महत्व

देहरादून, 10 जुलाई। पुष्पगिरी तीर्थ प्रणेता गणाचार्य श्री 108 पुष्पदंत सागर महामुनिराज के अज्ञानुवर्ती शिष्य संस्कार प्रणेता ज्ञानयोगी जीवन आशा हॉस्पिटल प्रेरणा स्रोत आचार्य श्री 108 सौरभ सागर महामुनिराज के मंगल पुष्प वर्षायोग के अंतर्गत आज गुरु पूर्णिमा महोत्सव के शुभ अवसर पर प्रातः 8:00 बजे संगीत में भक्ति नृत्य के साथ गुरु पूजा शास्त्र भेंट एवं गुरु आरती की गई। इसके पश्चात जिनवाणी जाग्रति मंच एवं महिला जैन मिलन मूकमाटी की महिलाओं द्वारा सुंदर मंगलाचरण एव गुरु भक्ति गीत पर प्रस्तुति दी गयी।

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि के रूप में राजीव गर्ग एव डा. अतुल कृष्ण ने आचार्य श्री के चरणों में श्रीफल भेट कर आशीर्वाद प्राप्त किया। इसके पश्चात पुष्प वर्षयोग समिति द्वारा अतिथियों का सम्मान कर प्रतीक चिह्न भेट किया गया। गुरुपूर्णिमा पर्व पर गुरुभक्तो द्वारा आचार्य श्री को 31 शास्त्र भेट किये गये एव गुरु पूजन किया गया। इस अवसर पर 108 आचार्य श्री सौरभ सागर ने अपने मंगल आशीर्वाद में सभी भक्तों को आशीर्वाद देते हुए कहा कि जीवन में गुरु का होना अत्यंत आवश्यक है जो हमें हमारे जीवन को सही मार्ग प्रशस्त कर बाधाओं से बचाता है और मोक्ष मार्ग पर ले जाता है। गुरु पूर्णिमा, जिसे व्यास पूर्णिमा भी कहा जाता है, जैन धर्म में एक महत्वपूर्ण पर्व है जो सभी आध्यात्मिक और शैक्षणिक गुरुओं को समर्पित है। इस दिन, जैन धर्मावलंबी अपने गुरुओं, विशेष रूप से जैन आचार्यों, के प्रति श्रद्धा और सम्मान व्यक्त करते हैं। जैन धर्म में गुरु-शिष्य परंपरा का बहुत महत्व है। गुरु पूर्णिमा इस परंपरा को मनाने और गुरुओं के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने का दिन है। जिसमें जैन आचार्य अहिंसा, त्याग, और संयम के मार्ग पर चलने का उपदेश देते हैं। वे ज्ञान, तप, और त्याग का संदेश देते हैं, जिससे समाज में नैतिकता, संस्कार और धर्म के प्रति जागरूकता बढ़ती है। और जिस तरह यहां श्रद्धालुओ का भक्तिभाव देख रहा हूं वह धर्म के प्रति असीम आस्था और विश्वास को प्रकट करता है।

कार्यक्रम के पश्चात विनोद कुमार जैन, मोहित जैन, एडवोकेट शोभित जैन, मेघा जैन, रिचा जैन, सानवी, यशवी, वामिका, शास्वत जैन परिवार शक्ति विहार द्वारा सभी के सुरुचिपूर्ण भोजन की व्यवस्था की गयी। कार्यक्रम में दूर-दूर से सभी श्रद्धालुओं ने लखनऊ, दिल्ली, ऋषिकेश, मेरठ, ग़ज़ियाबाद, सरधना, मुज़्ज़फरनगर, बीना गंज, जयपुर, रूडकी, हरिद्वार,बरेली आदि से बड़ी संख्या में गुरुभक्ति ने प्रतिभाग कर अपनी श्रद्धा भक्ति की। इस अवसर पर देहरादून के सभी जैन संस्थाओं के अन्य सभी गणमान्य लोग मौजूद रहे।

 

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