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Tuesday, September 9, 2025
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आपदा की मार, सत्तापक्ष की बेरुख़ी पर उठे सवाल : गरिमा मेहरा दसौनी

देहरादून, 11 अगस्त। उत्तराखंड में आई भीषण आपदा ने आम जनजीवन को अस्त-व्यस्त कर दिया है इस पर उत्तराखंड कांग्रेस की मुख्य प्रवक्ता गरिमा मेहरा दसौनी ने सत्ताधारी भाजपा  सरकार पर आपदा प्रबंधन में पूरी तरह विफल रहने का आरोप लगाया है। दसौनी का कहना है कि सरकार के बड़े नेता और मंत्री इस मुश्किल घड़ी में पीड़ितों के साथ खड़े होने के बजाय बयानबाज़ी और राजनीतिक कार्यक्रमों में व्यस्त हैं। दसौनी ने कहा कि उत्तरकाशी और पौड़ी जैसे सर्वाधिक प्रभावित ज़िलों में, जहाँ आपदा को 6 दिन से ज़्यादा का समय बीत चुका है, सत्ताधारी दल भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट अब तक नहीं पहुँचे हैं। इसके अलावा, राज्य मंत्रिमंडल में जो मंत्री हैं भी, वे राहत कार्यों से नदारद नज़र आ रहे हैं। कांग्रेस प्रवक्ता ने प्रदेश के मुख्या के अकेले मोर्चा संभालने के दावे पर भी सवाल उठाए हैं, यह कहते हुए कि सरकार के भीतर समन्वय और ज़िम्मेदारी का अभाव साफ़ दिख रहा है। दसौनी ने भाजपा पर निशाना साधते हुए कहा कि उनके नेता, जो चुनावों के दौरान “गंगा मैया” और “केदार बाबा” के नाम पर दिल्ली से उत्तराखंड तक आते हैं, इस विकट परिस्थिति में पीड़ितों का हाल जानने तक नहीं आए। यह भाजपा की बेरुख़ी और संवेदनहीनता को दर्शाता है। एक और गंभीर मुद्दा जिस पर कांग्रेस ने सरकार को घेरा है, वह है पीड़ितों के लिए घोषित की सहायता राशि। कांग्रेस ने इसे “क्रूर मज़ाक” बताते हुए कहा है कि इतनी मामूली राशि से न तो पीड़ितों के ज़ख्म भर सकते हैं और न ही उनके टूटे घर-परिवार का पुनर्निर्माण हो सकता है। दसौनी ने माँग की है कि धामी सरकार को दिखावे की राजनीति छोड़कर, तुरंत स्थायी और ठोस राहत-पुनर्वास योजना लागू करनी चाहिए, ताकि आपदा पीड़ितों को वास्तविक और पर्याप्त मदद मिल सके। इस बीच, कांग्रेस के नेता और कार्यकर्ता लगातार प्रभावित क्षेत्रों में जाकर लोगों की मदद कर रहे हैं और उनका दुख बाँट रहे हैं, ताकि संकट की इस घड़ी में वे ख़ुद को अकेला महसूस न करें। गरिमा ने बताया कि उत्तराखंड कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष उत्तरकाशी के जिला अध्यक्ष प्रताप नगर विधायक और कई वरिष्ठ नेता एवं कार्यकर्ता ग्राउंड जीरो पर जान जोखिम में डालते हुए दिखाई दिए परंतु सत्ताधारी दल के प्रदेश अध्यक्ष ने अभी तक आपदाग्रस्त क्षेत्र के और स्थानीय ग्रामीणों की कोई सुध नहीं ली है। ऐसे में यदि मुख्यमंत्री जी कह रहे हैं की सियासत करने का बहुत वक्त मिलेगा इस वक्त सबको एकजुट होना चाहिए तो शायद वह यह संदेश अपने ही प्रदेश अध्यक्ष को देना चाह रहे हैं जो लगातार भाजपा प्रदेश मुख्यालय में लोगों को भाजपा ज्वाइन कर रहे हैं और पंचायत चुनाव में पर्याप्त संख्या के अभाव में लोकतंत्र की हत्या करने पर तुले हुए हैं।

 

 

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