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Thursday, November 21, 2024

सेवानिवृत्ति शिक्षकों को किया सम्मानित

देहरादून। हर साल 5 सितंबर को देश में शिक्षक दिवस मनाया जाता है। यह दिन भारत के पहले उपराष्ट्रपति और दूसरे राष्ट्रपति महान शिक्षाविद डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन के जन्मदिन के उपलक्ष्य में मनाया जाता है। भारतीय संस्कृति गुरु और शिष्य (शिक्षक और छात्र) के बीच के रिश्ते को बहुत महत्व देती है। 5 सितंबर को शिक्षक दिवस न केवल डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन की जयंती का उत्सव है, बल्कि यह शिक्षकों की लगन और कड़ी मेहनत का सम्मान भी करता है। जहाँ छात्रों को अपनी कृतज्ञता और प्रशंसा व्यक्त करने का अवसर मिलता है, वहीं शिक्षकों को आत्मचिंतन करने और छात्रों के लिए एक स्वस्थ और प्रेरक वातावरण बनाने का मौका मिलता है। डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन ने अपने छात्रों से जन्मदिन को शिक्षक दिवस के रूप में मनाने की इच्छा जताई थी। दुनिया के 100 से ज्यादा देशों में अलग-अलग तारीख पर शिक्षक दिवस मनाया जाता है। देश के पहले उप-राष्ट्रपति डॉ राधाकृष्णन का जन्म 5 सितंबर 1888 को तमिलनाडु के तिरुमनी गांव में एक ब्राह्मण परिवार में हुआ था। वे बचपन से ही किताबें पढ़ने के शौकीन थे और स्वामी विवेकानंद से काफी प्रभावित थे।

शिक्षक दिवस के शुभ अवसर पर ऑल इंडियन कांग्रेस संगठन के पदाधिकारी ने भारूवाला ग्रांट वार्ड 79 के अंतर्गत जाली गांव में निवास कर रहे सेवानिवृत्ति शिक्षकों को उनके आवास पर जाकर सम्मानित किया। सम्मान समारोह में केंद्रीय विद्यालय आइटीबीपी की रिटायर्ड शिक्षका श्रीमती नर्मदा राई एवं सेंट मैरी स्कूल से रिटायर्ड शिक्षक पीएस पठानिया को शॉल उड़ाकर सम्मानित किया गया। इस अवसर पर संगठन के प्रदेश अध्यक्ष पीयूष गौड़ ने कहा कि समाज की उन्नति में  शिक्षकों का महत्वपूर्ण योगदान रहता है। शिक्षकों की कृपा से हम ज्ञान प्राप्त करते हैं, और अपने जीवन को सफल बनाते हैं। इस अवसर पर रिटायर्ड ब्रिगेडियर एसएन राई, पीएन राई, डीएस छेत्री, मन बहादुर राणा, रवि विश्वास राय, ललित थापा, वीके अरोड़ा, एसएस थापा आदि उपस्थित रहे।

वहीं आज शिक्षक दिवस के अवसर पर उत्तराखंड राज्य की राजधानी देहरादून में शिक्षक दिवस अपार श्रद्धा भाव के साथ मनाया गया। सभी स्कूल और कॉलेजों में अनेक कार्यक्रम आयोजित किये गये। इस अवसर पर कार्यक्रम के मुख्य अतिथि का कहना था की ‘गुरु’ का हर किसी के जीवन में बहुत महत्व होता है। भारत में प्राचीन काल से ही गुरु-शिष्य की परंपरा का बहुत अधिक महत्व रहा है। यहां गुरुओं को हमेशा से विशेष स्थान दिया गया है। डॉ. राधाकृष्णन शिक्षा को बहुत महत्व देते थे। उन्होंने अपना पूरा जीवन शिक्षा के क्षेत्र में समर्पित कर दिया। एक बार उनके छात्रों ने उनसे उनके जन्मदिन को मनाने का आग्रह किया। इस पर उन्होंने कहा, ‘मेरे जन्मदिन को मनाने के बजाय, अगर 5 सितंबर को शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाए तो मुझे गर्व होगा।’ इस तरह, 1962 से, 5 सितंबर को भारत में शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाने लगा। डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन एक महान दार्शनिक और विद्वान थे। उन्हें 1954 में भारत के सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार भारत रत्न से सम्मानित किया गया था और 1963 में उन्हें ब्रिटिश रॉयल ऑर्डर ऑफ मेरिट की मानद सदस्यता प्रदान की गई थी। डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन का जन्म 5 सितंबर, 1888 को मद्रास प्रेसीडेंसी में हुआ था। एक प्रसिद्ध शिक्षक, डॉ. राधाकृष्णन ने कलकत्ता विश्वविद्यालय और ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों में प्रोफेसर के रूप में कार्य किया। वह एक विपुल लेखक भी थे और उन्होंने अमेरिका और यूरोप में अपने व्याख्यानों के माध्यम से अंतर-सांस्कृतिक समझ को बढ़ावा दिया।

कार्यक्रम में स्टूडेंट ने टीचर्स को धन्यवाद देने के लिए गाने, नाटक और भाषण जैसी गतिविधियों में हिस्सा लिया। इस मौके पर स्कूल और कॉलेज में अलग-अलग प्रतियोगिताएं भी आयोजित की गई, जिनमें स्टूडेंट ने हिस्सा लेकर अपने टीचर्स के लिए भाषण भी दिये।

 

 

 

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