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Wednesday, December 3, 2025


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छह घंटे के भीतर आग लगने की 12 घटनाएं

देहरादून, 21 अक्टूबर। देहरादून शहर में बीते देर शाम से लेकर मंगलवार तड़के तक, महज साढ़े छह घंटे के भीतर आग लगने की 12 घटनाएं सामने आईं। सबसे भयंकर आग मेहूंवाला में प्लास्टिक के गोदाम और निरंजनपुर मंडी की छत पर लगी थी। राहत की बात यह रही कि जन जागरूकता और फायर स्टेशन की तत्परता से जान-माल का बड़ा नुकसान टल गया, हालांकि पिछले साल के मुकाबले इस बार आग की घटनाओं में कमी आई है। इस बार भी आग लगने की बड़ी वजह पटाखे, खासकर स्काई शॉट, रॉकेट आदि बने। दिवाली की रात आतिशबाजी शुरू होते ही आग लगने की सूचनाओं में एकाएक इजाफा हुआ। रात 7:32 बजे से तड़के लगभग 2 बजे तक फायर स्टेशन को 12 कॉल मिलीं, जिनमें पटाखों की वजह से लगी आग प्रमुख थी। इन 12 घटनाओं में सबसे विकट स्थिति मेहूंवाला और निरंजनपुर मंडी में देखने को मिली।

मेहूंवाला में प्लास्टिक के एक बड़े गोदाम में भीषण आग लग गई। प्लास्टिक की ज्वलनशीलता के कारण आग तेजी से फैली और इस पर काबू पाना दमकल विभाग के लिए एक बड़ी चुनौती बन गया। आग इतनी भयंकर थी कि दमकल विभाग को इस पर पूरी तरह काबू पाने में डेढ़ घंटे का समय लग गया। सबसे बड़ी मुश्किल यह हुई कि जलते प्लास्टिक से अत्यधिक मात्रा में जहरीला धुआं और तेज गंध पूरे इलाके में फैल गई। इससे फायर फाइटिंग ऑपरेशन में जुटे कर्मियों को मुश्किलों का सामना करना पड़ा, वहीं आसपास के लोगों को भी सांस लेने में काफी परेशानी हुई। स्थिति को नियंत्रित करने के लिए, दमकल विभाग ने विशेष एग्जॉस्ट लगाकर धुएं और प्लास्टिक की गंध को दूर करने की कोशिश की।

निरंजनपुर मंडी में एक बिल्डिंग की छत पर भयानक आग लग गई। छत पर फलों के बक्से, लकड़ी का सामान, फल आदि को प्लास्टिक के तिरपाल/टेंट से ढककर रखा गया था। प्रारंभिक जांच के अनुसार, यह आग भी संभवतः प्लास्टिक पटाखों की वजह से लगी, जिसने तिरपाल को तुरंत पकड़ लिया। गनीमत यह रही कि बिल्डिंग के अंदर मौजूद लोग समय रहते बाहर आ गए, जिससे कोई जनहानि नहीं हुई।

धर्मावाला में दुकान, जीएमएस रोड पर चलती कार, राजीव नगर में इलेक्ट्रिक फायर, नेहरू ग्राम में पोली हाउस, ओल्ड राजपुर रोड पर पेड़, सरस्वती बिहार के पास एक घर और कार में आग लगने जैसी अन्य 10 घटनाएं भी दर्ज की गईं। देहरादून फायर स्टेशन की सभी यूनिटों ने तत्परता दिखाते हुए सभी 12 फायर कॉल पर तुरंत कार्रवाई की और जान-माल के बड़े नुकसान को टाला।

फायर सेफ्टी ऑफिसर किशोर उपाध्याय ने बताया कि राहत की बात यह है कि पिछले साल दिवाली के दौरान हुई आग लगने की घटनाओं (39 कॉल्स) के मुकाबले इस बार संख्या में उल्लेखनीय कमी आई है। इसका श्रेय फायर विभाग के जन जागरूकता अभियान को जाता है, जिसके कारण लोगों ने छतों पर कबाड़ आदि ज्वलनशील सामग्री नहीं रखी, जिससे छोटी-मोटी आग की घटनाएं कम हुईं। हालांकि इस साल भी ज्यादातर आग लगने के कारणों में पटाखे ही प्रमुख रहे, जिनकी जांच की जा रही है।

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